दर्पण न्यूज़ सर्विस
अमृतसर, 27 फरवरीः अजनाला थाने पर खालिस्तान समर्थकों के हमले के पांच दिन बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। सीसीटीवी फुटेज में सभी आरोपी साफ देखे जा सकते हैं। इसके बावजूद पुलिस ने अभी तक किसी आरोपी की पहचान सार्वजनिक नहीं की है। न ही इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज की गई है। इस बीच दमदमी टकसाल अमृतपाल के विरोध में उतर आई है।
रविवार को अमृतसर ग्रामीण के एसएसपी सतिंदर सिंह ने कहा था कि पुलिस व अन्य एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। कोई भी आरोपी बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, इतने दिन तक कार्रवाई न होने से पुलिस व सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 23 फरवरी को 'वारिस पंजाब दे' के समर्थकों ने अजनाला थाने पर हमला कर दिया था, इसमें एसपी समेत छह पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत को रिहा कर दिया था। लवप्रीत को रूपनगर के रहने वाले वरिंदर सिंह के अपहरण व मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
वहीं, दमदमी टकसाल अजनाला के प्रमुख जत्थेदार अमरीक सिंह अजनाला ने कहा है कि लवप्रीत को छुड़वाने के लिए अमृतपाल सिंह और उसके साथियों ने जिस तरह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्वरूप को ढाल बना कर उपयोग किया, वह मर्यादा के विरुद्ध है। इसके लिए सिख संगठनों को आवाज उठानी चाहिए। जत्थेदार अमरीक सिंह अमृतसर में मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन पर झूठा आरोप लगाया जा रहा है कि दमदमी टकसाल अजनाला के डेरा ने वरिंदर सिंह को पुलिस के पास अमृतपाल के खिलाफ शिकायत करने के लिए उकसाया। वरिंदर सिंह न तो उनकी टकसाल का विद्यार्थी है और न ही सेवादार। यहां तक के वह खुद आज तक कभी वरिंदर सिंह से नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यह पता चला था कि वरिंदर सिंह और उसके दो साथी अजनाला में किसी धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे। इस दौरान वह टकसाल के मुख्यालय में रुके थे। टकसाल के द्वार हर गुरसिख के लिए खुले हैं। इसी दौरान कुछ लोग वरिंदर को वाहन में बिठा कर ले गए। कई किलोमीटर दूर एक ट्यूबवेल पर उसके साथ मारपीट की। उनकी पकड़ से छूटने के बाद वरिंदर ने अमृतपाल और उसके साथी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।