भुपेंद्र शर्मा, नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पौत्री एवं राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्षा तारा गांधी भट्टाचार्य ने देश में मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर चिंतन करते हुए कहा है कि आज मैं साक्षरता और शिक्षित होने में अंतर देख रही हूं। तारा गांधी भट्टाचार्य ने उक्त बात सिटी दर्पण समाचार पत्र के संपादक भुपेंद्र शर्मा के साथ अपने नई दिल्ली स्थित निवास पर एक खास इंटरव्यू के दौरान कही। उन्होंने कहा कि साक्षर होना और चीज़ है जबकि शिक्षित होना और चीज़।
आज लोग साक्षर तो हो रहे हैं मगर शिक्षित नहीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में हमारा भविष्य आज के बच्चों और युवाओं के हाथ में है। उन्हें सही शिक्षा मिलनी चाहिए। लड़कों और लड़Þकियों में शिक्षा का स्तर बराबर होना चाहिए। शिक्षित समाज के लिए दूसरी क्रांति की आवश्यकता है। यह समय की मांग भी है।
उन्होंने कहा कि सही शिक्षा के तहत क्षमा, अहिंसा और जिम्मेदारी की भावनाएं यकीनन शामिल रहनी चाहिएं। उन्होंने महात्मा गांधी जी का खास तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई अहिंसक संघर्ष और नागरिक शक्ति के लिए रही है। समाज में घृणा और नफरत की जगह हमें प्रेम और अहिंसा की ओर तवज्जो देनी चाहिए।
तारा गांधी भट्टाचार्य का इशारा हाल ही विभिन्न राज्यों में विभिन्न समुदायों के बीच आपसी तनाव को लेकर था। उन्होंने कहा कि हम सब को मिलकर प्रेम से रहना चाहिए। सर्वोदय चिंतन की ओर सही कदम उठाने चाहिएं। देश के मौजूदा परिवेश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनकी भूमिका पर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए सभी राजनीतिक पार्टियां एक बराबर हैं। हर पार्टी में कुछ लोग बुरे होते हैं तो काफी अच्छे भी होते हैं। हमें अच्छे समाज के निर्माण के लिए अच्छे लोगों और उनके सही कदमों की दरकार होनी चाहिए।