दर्पण न्यूज़ सर्विस
नई दिल्ली, 05 अप्रैलः नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं कक्षा की किताब से महात्मा गांधी, नाथूराम गोडसे और RSS से जुड़ी कुछ जानकारियों को हटा दिया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2022 में NCERT ने एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि उनकी किताबों से क्या हटाया जाएगा और क्या जोड़ा जाएगा।
अब NCERT पर आरोप लगा है कि गांधी को लेकर कुछ ऐसी बातें भी हटा दी गईं जो जून में जारी लिस्ट में थी ही नहीं। नई किताबें बाजारों में आ गई हैं। NCERT के मुताबिक, नया सिलेबस एकेडमिक सेशन 2023-24 से ही लागू हो रहा है। बदलाव के साथ नई किताबें बाजार में आ गई हैं।
अब पढ़िए क्या-क्या हटाया गया?
हिन्दी की बुक से गजल और गीत भी हटाए गए
NCERT ने हिन्दी के सिलेबस में भी कुछ बदलाव किए हैं। इनमें हिंदी आरोह भाग-2 की किताब से फिराक गोरखपुरी की गजल और अंतरा भाग दो से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का गीत गाने दो मुझे को हटा दिया है। इसके अलावा विष्णु खरे की एक काम और सत्य को भी हटाया गया है।
सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स चैप्टर भी नहीं पढ़ाया जाएगा
मौजूदा सेशन से होने जा रहे बदलाव केवल 12वीं क्लास तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि 10वीं और 11वीं क्लास की बुक्स से भी कई चैप्टर हटाए गए हैं। 11वीं की बुक ‘थीम्स इन वर्ल्ड हिस्ट्री’ से ‘सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स’, ‘संस्कृतियों का टकराव’ और ‘द इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन’ जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं। इसी तरह 10वीं की बुक लोकतांत्रिक राजनीति-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे चैप्टर हटाए गए हैं।
स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से ‘जन आंदोलन का उदय’ और ‘एक दल के प्रभुत्व का दौर’ हटा दिया गया है।
मामले से जुड़े दो बड़े राजनीतिक बयान
- भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने NCERT के इस फैसले की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इतिहास की किताबों में चोरों को मुगल सल्तनत और भारत का बादशाह बताया जाता था। इन किताबों से झूठे इतिहास को हटाना बढ़िया डिसीजन है।
- राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने NCERT के इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने PM मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए, जब बीजेपी केंद्र में सत्ता में आई थी।
किसी भी विचारधारा के दबाव में आकर ये बदलाव नहीं किए गए: NCERT
NCERT चीफ दिनेश प्रसाद सकलानी ने बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी की वजह से छात्रों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ। बच्चे तनाव में रहे। ऐसे में महसूस किया गया कि पाठ्यपुस्तकों का भार कम किया जाना चाहिए, इसलिए ही यह फैसला लिया गया। NCERT ने इस बात से इनकार किया है कि उसने किसी भी विचारधारा के दबाव में आकर ये बदलाव किए हैं।