सिटी दर्पण ब्युरो, नई दिल्ली, 17 जूनः अमेरिकी सरकार ने कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के लिए ड्रगमेकर कंपनियों को 18 अरब डॉलर दिए थे। अब अमेरिका के पास 5 वैक्सीन हैं, जिन्हें रिकॉर्ड टाइम में तैयार किया गया है। इसी तर्ज पर आगे बढ़ते हुए अमेरिकी रिसर्चर्स कोविड-19 पिल्स यानी टेबलेट बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने 3 अरब डॉलर का फंड दिया है। ये पिल्स शुरुआत में ही वायरस का असर खत्म कर देंगी और इनकी वजह से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
जल्द शुरू होंगे क्लीनिकल ट्रायल्स
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस (DHHS) ने इस कोविड-19 पिल प्रोग्राम का ऐलान किया है। कुछ कंपनियां इसके ट्रायल्स जल्द करने का काम शुरू कर चुकी हैं। इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि इस रिसर्च प्रोग्राम में न सिर्फ कोरोना बल्कि उन संभावित बीमारियों की दवाओं पर भी काम किया जाएगा, जो निकट भविष्य में मानवता के लिए हेल्थ चैलेंजेज सामने रख सकती हैं। इसके लिए एंटी वायरल प्रोग्राम फॉर पेन्डेमिक चलाया जा रहा है।
अगले साल के अंत तक कुछ दवाओं की लॉन्चिंग संभव
कोविड के लिए विकसित दवाइयों का उपयोग संक्रमण के बाद लक्षणों को कम करने के लिए किया जाएगा। ये अभी विकास के चरण में हैं और नैदानिक परीक्षणों के पूरा होने तक साल के अंत तक आ सकती हैं। वित्त पोषण से नैदानिक परीक्षणों को गति मिलेगी और निजी क्षेत्र को अनुसंधान, विकास और विनिर्माण में अतिरिक्त सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि महामारी की क्षमता वाले कई वायरसों के लिए कुछ उपचार मौजूद हैं। लेकिन टीके स्पष्ट रूप से हमारी तैयारी का केंद्र बिंदु बने हुए हैं।
दूसरे वायरस का भी इलाज खोजा जाएगा
रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोग्राम के जरिए इन्फ्लूएंजा, एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए भी दवाएं यानी पिल्स तैयार की जाएंगी। इन पर एक साल से रिसर्च जारी था, लेकिन कोरोना के आने के पहले दूसरी बीमारियों की टेबलेट्स तैयार करने में सफलता नहीं मिल सकी थी। अब इस काम को मिशन मोड पर फिर शुरू किया गया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीजेस के डायरेक्टर डॉक्टर एंथनी फौसी ने कहा- हम चाहते हैं कि जल्द ही वो वक्त भी आए जब हम कोविड-19 के मरीजों का इलाज एंटीवायरल पिल्स के जरिए कर सकें। डॉक्टर फौसी ने कहा- एक सुबह मैं जागता हूं। मुझे लगता है कि तबीयत ठीक नहीं है। सूंघने की शक्ति और टेस्ट चला जाता है। गले में भी तकलीफ है। तब मैं अपने डॉक्टर को फोन लगाकर कहूं- मुझे कोविड हुआ है और मुझे दवा बता दीजिए।
एंटीवायरल ड्रग से फायदा नहीं हुआ था
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के शुरुआती दौर में रिसर्चर्स ने कुछ एंटीवायरल ड्रग इस्तेमाल किए थे, लेकिन गंभीर मरीजों पर इनके अच्छे नतीजे नहीं मिले थे। अब रिसर्चर्स को लगता है कि अगर बीमारी के शुरुआती कुछ दिनों में इनका इस्तेमाल किया जाए तो यह फायदेमंद साबित हो सकती हैं। अब तक रेमडेसिविर ही कुछ हद तक कामयाब हुआ है। इसे अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें भी डॉक्टरों की निगरानी बहुत जरूरी है। WHO ने नवंबर में इसके इस्तेमाल पर सावधानी बरतने को कहा था।
मंजूरी मिलते ही 15 लाख डोज खरीदेगा अमेरिका
अमेरिकी प्रशासन ने पहले ही घोषणा की हुई है कि अगर इस एंटीवायरल दवा को आपातकालीन उपयोग के लिए हरी झंडी मिलती है तो वह अकेले 1.5 मिलियन से अधिक डोज खरीदेगा। इस दवा को अमेरिका की प्रसिद्ध फार्मा कंपनी मर्क बना रही है। डीएचएचएस ने खुलासा किया कि वह पहले से ही 19 तरह के बीमारी ठीक करने वाले एजेंट्स का क्लिनिकल ट्रायल करवा रहा है। अगले एक साल के अंदर इनमें से कई दवाओं को एफडीए की मंजूरी मिलने का अनुमान भी है।
ट्रंप प्रशासन ने वैक्सीन पर ही दिया था जोर
एंटीवायरल ड्रग्स को बनाने में अमेरिका की यह फंडिंग दरअसल ट्रंप प्रशासन के एक पुराने फैसले में सुधार से संभव हुआ है। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कोरोना वैक्सीन निर्माण के लिए ऑपरेशन वॉर्प स्पीड शुरू किया था। इस दौरान वैक्सीन के निर्माण के लिए कई फार्मा कंपनियों को खूब पैसा दिया गया। तब के प्रशासन ने वैक्सीन के अलावा कोविड के उपचार के लिए किसी अन्य विधि को विकसित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। अब बाइडन प्रसाशन पुराने नियमों को बदलकर अलग-अलग उपचार विधियों को फंडिंग दे रहा है।