सिटी दर्पण न्यूज़, चंडीगढ़,24 जूनः शहर के सरकारी स्कूलों में ही विद्यार्थियों को दाखिला नहीं देकर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के नियमों की अवहेलना की जा रही है। आरटीई के नियमों के तहत कक्षा आठ तक किसी भी बच्चे को स्कूल दाखिले से इनकार नहीं कर सकते, लेकिन दाखिले के लिए अभिभावकों के स्कूलों में चक्कर कटवाए जा रहे हैं। कुछ स्कूल दाखिले के लिए आवेदन ले रहे हैं, लेकिन महीना बीत जाने के बावजूद दाखिला दिया या नहीं, इसकी पुुष्टि नहीं कर रहे हैं। इस कारण अभिभावक परेशान हो रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
खुड्डा लाहौरा निवासी सरिता ने बताया कि वो अपने बच्चे का दाखिला छठी कक्षा में सेक्टर-12 में करवाना चाहती थी, लेकिन दो-तीन बार स्कूल के चक्कर काटने के बावजूद स्कूल ने आवेदन पत्र नहीं लिया। अभी बच्चा निजी स्कूल में पढ़ रहा है। आर्थिक हालातों के चलते वे उसे सरकारी में दाखिला दिलवाना चाहती हैं। रायपुरकलां निवासी विनोद ने बताया कि वे अपने बच्चे का दाखिला रायपुरकलां के ही सरकारी स्कूल में करवाना चाहते हैं। वे बुधवार को स्कूल में दाखिला पत्र देने केे लिए गए, लेकिन स्कूल की शिक्षिकाओं ने दाखिला पत्र लेने से ही मना कर दिया। इसके साथ ही अभिभावकों को स्कूल की तरफ से कोई स्पष्ट निर्देश भी नहीं दिए जा रहे कि उन्हें दाखिला कहां और कैसे मिलेगा।
दाखिले के इंतजार में निजी स्कूल में भरनी पड़ी फीस
सेक्टर-37 निवासी मनोज ने बताया कि उन्होंने अपने बेटी का कक्षा 9 में दाखिला करवाना है। उन्होंने घर के पास के ही सरकारी स्कूल में आवेदन किया, लेकिन स्कूल ने कहा कि उनके पास सीट नहीं है। इसके बाद उन्होंने सेक्टर-35 के स्कूल में आवेदन किया। जीएमएसएसएस-35 ने स्कूल के बाहर ही ड्रॉप बॉक्स रखा था, उन्होंने लगभग महीने पहले आवेदन डाला था। अभी तक उन्हें स्कूल की तरफ से दाखिले की कोई पुष्टि नहीं की गई है। इस कारण उन्हें मजबूरी में बेटी की निजी स्कूल को ही तीन महीने की साढे़ 14 हजार फीस जमा करवानी पड़ी है।
दाखिले के लिए मनाही नहीं, अभी भी कर सकते हैं आवेदन
सरकारी स्कूलों में अभी दाखिले के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। स्कूलों में किसी भी बच्चे को दाखिले के लिए मनाही नहीं है। कई बार अभिभावक की जिद्द होती है कि उन्हें जो स्कूल तय किया है, उसी में दाखिला चाहिए। अगर वहां सीट नहीं हैं, तभी अभिभावक को मना कर नजदीक के किसी दूसरे सरकारी स्कूल में दाखिले की सलाह दी जाती है। हम हर बच्चे को दाखिला देने की कोशिश कर रहे है। - प्रभजोत कौर, जिला शिक्षा अधिकारी