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लेख

आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति के साथ साथ एक जीवन शैली भी: डॉ. राजीव कपिला

July 11, 2021 08:34 AM

हमारे शरीर जिन पांच तत्वों से पूर्ण होते हैं उनके आधार पर हमारे शरीर का दोष और रोगों के उपचार का समाधान भी मिलते हैं। स्वादिस्ट भोजन और अभिनव भोजन के पीछे  हम सुस्वस्थ को अक्सर नजरअंदाज  करते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से कठिन बिमारियों का भी इलाज बिना सर्जरी या आॅपरेशन किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक जीवन शैली में ध्यान रखने योग्य बातें
रोजमर्रा के जीवन में कई छोटी-मोटी बीमारियां होती रहती हैं। आयुर्वेदिक जीवन शैली के माध्यम से ऐसे रोगों से दूर रहा जा सकता हैं। शरीर के अनुकूलित भोजन, समय पर नींद,शारीरिक आराम और पक्की नींद , रोजाना व्यायाम, बुरी आदतों का नाश और नशे से परहेज आदि।
आयुर्वेद में पानी पीने के तरीके
सुबह उठकर हर रोज गुनगुना पानी पीएं, पानी कभी एक साथ नहीं पीएं, इसे एक-एक सिप करके पीएं , नीचे बैठकर ही पानी पिएं, खड़ा होकर नहीं,आयुर्वेद में खाना खाने के तरीके,भोजन को अच्छे से चबाकर खाएं, सुबह का ब्रैकफास्ट जरुर करना चाहिए और वह भी भरपेट ,भोजन करते वक़्त पेट में हल्की सी जगह रख देनी चाहिए,शाम को डिनर ८ बजे तक कर लीजिये तो भोजन का पाचन और नींद भी अच्छी होती हैं।
 न्यूट्रिशन के साथ-साथ पचाने पर भी जोर
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के तीन मुख्य तत्व या प्रकृति होती है- वात, पित्त और कफ। शरीर में जब भी इन तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है, व्यक्ति बीमार हो जाता है। इससे बचने के लिए ऐसा खाना खाने की सलाह दी जाती है जो जल्दी पच जाता हो और पोषक तत्वों से भरपूर हो। साथ ही, नियमित रूप से संतुलित आहार लेने पर भी जोर दिया गया है।
खाने में होने चाहिए सभी 6 रस
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में 6 रस शामिल होने चाहिए। ये 6 रस हैं- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं होता।
-वात मीठा, खट्टा और नमकीन
-पित्त मीठा, तीखा और कसैला
-कफ कड़वा, तीखा, कसैला
(कुछ लोग मिली हुई प्रकृति के होते हैं। ऐसे लोगों को अपने भोजन के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।)
खाने से जुड़ी इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
- सब्जियों को पकाने में अधिक समय न लगाएं। ध्यान रखें, सब्जियां न तो ज्यादा पकी हों और न ही कच्ची
- चीनी की जगह शहद या गुड़, मैदे की जगह चोकरयुक्त आटा और दलिया खाएं।
- अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा (हाथ के अंगूठे के नाखून के तीसरे हिस्से के बराबर) लें और उसे तवे पर भून लें। इस टुकड़े के ठंडा होने के बाद इस पर थोड़ा-सा सेंधा नमक लगाएं। अब इस टुकड़े को खाना खाने से करीब पांच मिनट पहले खा लें। इससे भूख बढ़ती है और पाचन सही रहता है।
- जंक फूड में सोडियम, ट्रांसफैट और शर्करा की भरमार होती है। इसलिए इन्हें खाने से परहेज करें। मार्केट में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूरी बनाकर रखें।
- खाना हमेशा ताजा और गर्म होना चाहिए। यह पाचन के लिए बेहतर होता है।
- आयुर्वेद में बताया गया है कि खाना हमेशा भूख का आधा खाना चाहिए। इससे वह आसानी से पच जाता है और शरीर में जरूरी पोषक तत्व अच्छे से घुल जाते हैं।
-रात में ज्यादा भोजन करने से पेट भारी होता है, जिससे ऐसिडिटी और नींद न आने की समस्या हो जाती है। इसकी वजह से पाचन तंत्र के गड़बड़ होने की भी शिकायत सामने आती है। आयुर्वेद के अनुसार रात में हमें सिर्फ लो काबोर्हाईड्रेट वाला खाना ही खाना चाहिए, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। रात में भारी भोजन करने से बेचैनी और नींद न आने की आशंका बढ़ जाती है।

आयुवेर्दाचार्य के अनुसार अगर आप फिट और हेल्दी रहना चाहते हैं तो रात के खाने में ये चीजें बिलकुल न खाएं...
-रात में किसी भी कीमत पर दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही की जगह छाछ ले सकते हैं। दही शरीर में कफ होने की समस्या को बढ़ा सकता है, जिसके चलते नाक में बलगम के गठन की अधिकता पैदा हो सकती है।
-अगर आपको रात में दूध पीने की आदत है, तो कम फैट वाला दूध पिएं। लेकिन सुनिश्चित करें कि कभी ठंडा दूध न पिएं, हमेशा दूध को उबाल कर पिएं। गर्म दूध और कम फैट वाला दूध पचाने में आसान होता है।
-डिनर में ऐसे ही मसालों का प्रयोग करें जो सेहत के लिए अच्छे हों। ऐसा करने से शरीर में गर्माहट बढ़ेगी और भूख भी बनी रहेगी। भोजन में दालचीनी, सौंफ, मेथी और इलायची को शामिल कर सकते हैं। लेकिन रात के डिनर में बहुत ज्यादा मिर्च और मसाले वाले स्पाइसी खाने से परहेज करें।
-अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो इस चीज को गांठ बांध लें कि रात को कम खाएं और चबा चबाकर खाएं। इससे आप हेल्दी भी रहेंगे और नींद भी अच्छी आएगी। रात में हमारा पाचन तंत्र निष्क्रिय होता है, जिससे हमारे शरीर के लिए भारी भोजन पचाना मुश्किल हो जाता है। ज्यादा खाने से अपच, गैस और कब्ज की समस्या हो सकती है।
-रात के समय प्रोटीन से युक्त भोजन ही करें जैसे दाल, हरी सब्जियां, करी पत्ते और फल आदि। इससे आपका डाइजेशन सिस्टम काफी हल्का और हेल्दी रहता है।
अमृत के समान है घूंट-घूंट पानी पीना
आयुर्वेद में घूंट-घूंट पानी पीना अमृत के समान बताया गया है। खाना खाने से आधा घंटा पहले और खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पी सकते हैं। खाने के दौरान जरूरत होने पर एक-दो घूंट पानी पी सकते हैं। खाना खाने के तुरंत पहले पानी पीने से पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। वहीं, खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से मोटापा बढ़ता है। पूरे दिन में सादा या गुनगुना पानी पीना सेहतमंद माना गया है।
इन चीजों को कभी-कभी खाएं
पनीर: हफ्ते में दो बार।
स्प्राउट: हफ्ते में दो बार। स्प्राउट को भाप में उबालें और उसमें नमक और नींबू मिलाकर खा सकते हैं।
दही: हफ्ते में दो या तीन बार ही इस्तेमाल करें। दरअसल, रोजाना दही खाने से मोटापा, जोड़ों का दर्द, डायबीटीज आदि बीमारियां हो सकती हैं। बेहतर होगा कि दही में शहद या मिश्री मिलाकर खाएं।
खाने की इन चीजों को आपस में न मिलाएं
आयुर्वेद में खाने-पीने की कुछ चीजों का कॉम्बिनेशन सही नहीं माना गया है।
- किसी भी फल के साथ दूध का सेवन न करें। जिसे हम शेक समझकर पीते हैं, आयुर्वेद में उसे सेहत के लिए ठीक नहीं बताया गया है।
- इसी प्रकार बहुत ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्म परांठे न खाएं।
- दूध के साथ कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिसमें नमक मिला हो।

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