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पंजाब

पंजाब में रोष प्रदर्शन ख़त्म करने संबंधी मेरी अपील को किसानों द्वारा राजनैतिक रंगत देना दुर्भाग्यपूर्ण: मुख्यमंत्री

September 15, 2021 09:35 AM
किसानों के पंजाब में चल रहे संघर्ष को अनावश्यक बताते हुए कहा, लड़ाई भाजपा के खि़लाफ़ न कि मेरी सरकार के खि़लाफ़: कैप्टन अमरिन्दर सिंह
संघर्ष राज्य और यहाँ के लोगों के हितों को चोट पहुँचा रहा है ना कि अडानी या जीओ वालों को, जिनकी पंजाब में नाममात्र मौजूदगी है
सिटी दर्पण ब्युरो, पंजाब , 14 सितम्बर: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ संघर्ष कर रहे किसानों ने राज्य में प्रदर्शनों के कारण लोगों को पेश दुख और पीड़ा को समझने की बजाय उनके विचारों को राजनैतिक रंगत दे दी। उन्होंने कहा कि राज्य में किसानों के प्रदर्शन सरासर अनावश्यक हैं, क्योंकि उनकी सरकार जो किसानों को पहले ही निरंतर समर्थन देती आ रही है।
        इस मामले पर बीते दिन उनकी तरफ से प्रकट किए गए विचारों की संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा आलोचना किए जाने पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस मामले पर उनकी सरकार की स्पष्ट हिमायत के बावजूद किसानों ने उनकी अपील के गलत अर्थ निकाले हैं, बल्कि इसको पंजाब में आगामी विधान चुनावों से जोडऩे की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर उनकी सरकार और पंजाब के लोग हमेशा ही किसानों के साथ डटकर खड़े हैं और यह बहुत दुख की बात है कि यह लोग अब राज्य भर में किसान भाईचारे के चल रहे रोष प्रदर्शनों के कारण मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।
        मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसानों में विभाजन डालने का सवाल ही पैदा नहीं होता और यह सभी किसान, केंद्र और पड़ोसी राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के बुरे व्यवहार से एक ही तरह से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके उलट मेरी सरकार न सिफऱ् कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है बल्कि इन कानूनों के प्रभाव को घटाने के लिए विधान सभा में संशोधन बिल भी लाए गए।’’ उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इन बिलों को राज्यपाल ने राष्ट्रपति की सहमति के लिए नहीं भेजा।
        मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की लड़ाई भाजपा के खि़लाफ़ है जो पंजाब और अन्य राज्यों में किसान विरोधी कानून थोपने के लिए सीधे तौर पर जि़म्मेदार है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इन हालातों में पंजाब के लोगों के लिए कठिनाईयाँ पैदा करना जायज़ नहीं है। उन्होंने मोर्चे के दावों कि किसानों के संघर्ष के साथ पंजाब में सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, को रद्द करते हुए कहा कि अडानियों या अम्बानियों के हित ऐसे संघर्ष से प्रभावित नहीं हो रहे, बल्कि राज्य के आम लोगों और यहाँ की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
        मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में अंडानियों के कुल संपत्ति की केवल 0.8 प्रतिशत संपत्ति है, जबकि रिलायंस ग्रुप की मौजूदगी सिफऱ् 0.1 प्रतिशत बनती है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में बेचैनी से इन उद्योगपतियों को पडऩे वाली कमी इतनी मामूली है कि इससे उनका कोई गंभीर सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पंजाब के लोग हैं जिनको संघर्ष के निष्कर्ष के तौर पर सेवाओं में विघ्न डालने के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।’’
        मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में निरंतर रोष प्रदर्शन से उद्योग राज्य से बाहर चले जाएंगे, जिनका अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जबकि राज्य सरकार, पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा उद्योगों को पहुँचाई गई चोटों से उभारने के लिए लगातार यत्न कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों के कारण एफ.सी.आई. और राज्य की एजेंसियों द्वारा स्टॉक उठाने में आ रही रुकावट के चलते अनाज भंडारण और खरीद की स्थिति पहले ही गंभीर बनी हुई है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि गेहूँ का स्टॉक पहले ही भंडारण के चार साल पूरे कर चुका है, जिससे ना इस्तेमाल किया गया भंडारण क्षमता बेकार जा रही है। साईलोज़ को लेने के लिए हुए समझौते के मुताबिक इनके मालिकों को तैयशुदा दरों की अदायगी करने के कारण सरकारी खजाने पर भी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि अकेले मोगा में एफ.सी.आई. के अदानी साईलो में 480 करोड़ रुपए का भंडार पड़ा है।
एफ.सी.आई. अडानी साईलो मोगा और एफ.सी.आई. साईलो कोटकपूरा से गेहूँ के भंडारों की सारी यातायात किसानों के चल रहे संघर्ष के कारण रुकी हुई है, जबकि एफसीआई द्वारा अडानी साईलो, मोगा में पिछले सालों के 1,60,855 मीट्रिक टन गेहूँ के भंडार को प्राथमिकता के आधार पर ख़त्म करने की ज़रूरत है, क्योंकि इन भंडारों के खऱाब होने से सरकारी खजाने को नुकसान हो सकता है। मोगा अडानी साईलोज़ में पड़े भंडारों की कीमत लगभग 480 करोड़ रुपए है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य में एफ.सी.आई. द्वारा दिए गए साईलोज़ के निर्माण में देरी हो रही थी, क्योंकि किसान संगठन जे.सी.बी. और ट्रकों को निर्माण वाली जगह पर जाने नहीं दे रहे थे। यह गंभीर चिंता का मुद्दा है क्योंकि भारत सरकार/एफसीआई ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि रबी मंडीकरण सीजन 2024-25 से, केंद्रीय पूल में गेहूँ की खरीद सिफऱ् उपलब्ध वैज्ञानिक भंडारण क्षमता के अनुसार ही की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि आगे और जो चीज़ राज्य के हितों को नुकसान पहुँचा सकती है, वह यह है कि साईलोज़ पर रियायत देने वाली पार्टियों द्वारा पंजाब में स्थापित किए जा रहे प्रोजेक्टों को बंद करने संबंधी विचार करने की रिपोर्टें सामने आई हैं।
मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हालात इसी तरह जारी रहे तो हम निवेश, राजस्व और रोजग़ार के अवसरों से हाथ धो बैठेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इससे पंजाब की सरकार को बड़ी चोट पहुँचेगी। 
कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि संभव है कि किसान पंजाब और यहाँ के लोगों को निराशा की उस गहराई में वापस नहीं ले जाना चाहते, जिसमें से उनकी सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों के दौरान उनको बाहर निकाला है। मुख्यमंत्री ने फिर से किसानों को पंजाब में किए जा रहे अपने प्रदर्शनों को बंद करने की अपील की, जिसका उनकी इस दुर्दशा से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।

 

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