सिटी दर्पण ब्युरो, चंडीगढ़, 16 सितंबर: चंडीगढ़ को इसकी ग्रीनरी, खुलेपन और साफ स्वच्छ वातावरण के लिए जाना जाता है। यहां का मॉर्डन आर्किटेक्चर वर्क यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शुमार है। लेकिन यही चमचमाती तस्वीर वाला चंडीगढ़ नहीं है। इसका ही अक्ष एक ऐसा भी है जो बदहाल है। इसी की दूसरी तस्वीर असुविधाओं के जाल में फंसे इसके गांवों की है। गांव की बदहाल सड़कें, संकरी गलियां सुविधाओं का अभाव इसकी चमचमाती छवि पर धब्बे से कम नहीं है। इन्हीं गांवों की जमीन पर चंडीगढ़ बसा और विश्व के प्रसिद्ध और रहने लायक शहरों की सूची में शामिल हो गया। लेकिन गांवों की हालत बद से बदतर हो गई। किसी ने इन गांवों पर ध्यान नहीं दिया।
हल्लोमाजरा से लेकर कैंबवाला सभी गांवों की तस्वीर एक जैसी है। रेलवे स्टेशन जितना इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का बताकर पीठ थपथपाई जाती है। उसके सामने बसा गांव दड़वा बाहर से ही बदहाली का दर्द बताने लगता है। चंडीगढ़ आईटी पार्क इंफोसिस, डीएलएफ जैसी बड़ी कंपनियों के कैंपस से अलग ही छवि पेश करता है। वहीं साथ लगते किशनगढ़ की सड़क से गुजर जाएं तो हाए तौबा करने लगेंगे। दशकों से इन गांवों का यही हाल है। लेकिन अब यह ज्यादा दिन नहीं रहने वाला। लोगों की मांग को देखते हुए प्रशासन ने सभी गांवों का चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत विकास का खाका तैयार कर लिया है। डेवलपमेंट का पूरा ले आउट प्लान तैयार किया गया है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट ने बनाया ड्राफ्ट
गांवों की लाल डोरा की समस्या को खत्म करने के लिए ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार हो गई है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट बेंगलुरू (आईआईएचएस) ने यह पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया है। पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के एरिया की बेस्ट प्रेक्टिस पर स्टडी करने के बाद यह पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार हुआ है। जब यह पॉलिसी नोटिफाई हो जाएगी तो इस पर काम शुरू होगा। यह प्लान इंप्लीमेंट कराने के लिए स्पेशल विलेज प्लानिंग सेल बनाए जाएंगे। यह सेल नगर निगम, सीएचबी और अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट के साथ बेहतर तालमेल रखते हुए निर्धारित समय सीमा में इसे पूरा करेंगे।
अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट करेगा काम
चीफ आर्किटेक्ट कपिल सेतिया ने गांवों की मौजूदा हालत और डेवलपमेंट प्लान पर स्टडी की प्रेजेंटेशन अधिकारियों के सामने दी। चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत संभावित विकल्पों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लाल डाेरा से बाहर किस तरह से निर्माण हो चुका है। साथ ही गांवों की मौजूदा हालत कैसी है। गांवों के माैजूदा स्वरूप को कैसे संवारा जा सकता है। मास्टर प्लान की सिफारिश अनुसार जो डेवलपमेंट प्लान गांवों के लिए तैयार किए गए हैं उनको नगर निगम सीएचबी इस पॉलिसी के तहत लागू करेंगे।
गांवों में बसती है आधी आबादी
चंडीगढ़ में शुरुआती दौर में 22 गांव होते थे। इनमें से पहले तीन, फिर छह और अब आखिर में 13 गांव नगर निगम में शामिल किए गए हैं। अब चंडीगढ़ में पंचायती राज विभाग नहीं रहा है। इन गांवों में चंडीगढ़ की आबादी का बड़ा हिस्सा बसता है। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ की कुल आबादी का 50 फीसद से अधिक इन्हीं गांवों में रहता है। लेकिन इन गांव के निवासी नगर निगम में शामिल होने पर नाराजगी जताते रहे हैं। यह नाराजगी विकास कार्यों को लेकर रही है। चंडीगढ़ को देखने के बाद इन गांवों को देखा जाए तो तस्वीर एक दम उल्टी नजर आती है। बदहाल संकरी सड़कें, सुविधाओं की कमी इन गांवों की कहानी रही है। गांव की सबसे बड़ी समस्या लाल डोरा से बाहर निर्माण की है। अब कोई गांव ऐसा नहीं है जहां लाल डोरा से बाहर निर्माण नहीं हैं। कई गांव में तो बड़े स्तर पर ऐसे निर्माण हुए हैं। इन्हें मंजूरी की मांग उठती रही है।