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चंडीगढ़

Latest Update-November 25, 2021

November 25, 2021 05:06 AM

- दुनिया की सबसे ज्‍यादा आबादी वाले चीन में कम शादी कर रहे लोग, तेजी से घटी जनसंख्‍या

दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन में कम होती जनसंख्‍या का संकट तेज हो गया है। चीन में गिरती जन्म दर के अलावा कम लोग शादी कर रहे हैं, जिससे यह संकट तेजी से बढ़ा है। हाल में जारी ‘चाइना स्टैटिस्टिकल ईयरबुक 2021’ के आंकड़ों से पता चलता है कि लगातार सात वर्षों में चीन में विवाह पंजीकरण की संख्या में कमी आई है, जो पिछले साल 17 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है।

नागरिक मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार चीन में 2021 की पहली तीन तिमाहियों में कुल 58.7 लाख जोड़ों ने शादी की, जो पिछले साल की समान अवधि से थोड़ा कम है। चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने बुधवार को बताया कि आशंका है कि 2021 में चीन में विवाह पंजीकरण की संख्या में गिरावट जारी रहेगी। पुस्तक के आंकड़ों के अनुसार यह गिरती जन्म दर का एक और कारण है। चीन में पिछले साल जन्म दर 0.852 प्रतिशत थी, जो 1978 के बाद पहली बार एक प्रतिशत से नीचे है।


दंपतियों को तीन बच्चों की अनुमति दी गई
जनसांख्यिकीय संकट गहराता देख चीन ने दशकों पुरानी एक शिशु की नीति को खत्म कर 2016 में सभी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी और इस साल नीति में संशोधन कर दंपतियों को तीन बच्चों की अनुमति दी गई है। तीसरे बच्चे की अनुमति देने का निर्णय हाल में एक दशक में हुई जनगणना के बाद लिया गया। आधिकारिक अनुमानों के बीच चीन की आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ रही है । यहां आबादी1.412 अरब हो गई है।

विवाह पंजीकरण में गिरावट के कारणों को रेखांकित करते हुए जनसांख्यिकी विशेषज्ञ हे याफू ने चीन में युवाओं की संख्या में कमी को एक कारण बताया है। उन्होंने नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स का हवाला देते हुए कहा कि चीन में 80 के दशक, 90 के दशक और 2000 के दशक के बाद की आबादी में गिरावट आई है। विशेषज्ञ ने चाइना डेली को बताया कि काम के अत्यधिक दबाव और महिलाओं की शिक्षा के स्तर में सुधार तथा आर्थिक स्वतंत्रता जैसे कारणों से युवाओं में विवाह को लेकर दिलचस्पी भी घटी है।

विवाह पंजीकरण में गिरावट का जन्म दर पर नकारात्मक प्रभाव
विशेषज्ञ ने कहा कि एक अन्य प्रमुख कारण पुरुष और महिला जनसंख्या का असंतुलित अनुपात है। चीन में, सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार पुरुषों की संख्या महिलाओं से 3.49 लाख अधिक है। याफू ने कहा कि इनमें विवाह योग्य उम्र की महिलाओं की तुलना में 20 वर्ष की आयु में 1.75 लाख अधिक पुरुष हैं। इसके अलावा आवास की बढ़ती कीमतें और महंगे आवासीय परिसर भी शादी करने और बच्चे पैदा करने की राह में एक बड़ी बाधा है।

उन्होंने कहा कि चीन में शादी और बच्चे के जन्म का आपस में गहरा संबंध है और शादी के बाद पैदा हुए बच्चों का अनुपात कम है। इसलिए विवाह पंजीकरण में गिरावट का जन्म दर पर नकारात्मक प्रभाव होना तय है। इसलिए सुधारात्मक उपायों को तेज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को शादी करने और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर शादी और मातृत्व अवकाश को भी बढ़ाया जाना चाहिए। 60 या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या पहले ही 26.4 लाख का आंकड़ा छू चुकी है, जो कुल आबादी का 18.7 प्रतिशत है। चाइना डेली की खबर में कहा गया है कि वास्तव में 2036 में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी चीन की कुल आबादी का 29.1 प्रतिशत होने की संभावना है।

- किस्‍मत: सोना समझकर ऑस्‍ट्रेलियाई ने घर में छिपाकर रखा था पत्‍थर, निकला अनमोल 'खजाना'

ऑस्‍ट्रेलिया में डेविड होल नामक शख्‍स ने सोना समझकर एक पत्‍थर को कई साल तक अपने घर में छिपाकर रखा। लाख प्रयास करने के बाद भी डेविड होल यह जान नहीं पाया कि आखिर इस पत्‍थर में सोना है या नहीं। डेविड बाद में उस पत्‍थर को लेकर ऑस्‍ट्रेलिया के मेलबर्न म्‍यूजियम पहुंचे। म्‍यूजियम वालों ने जब इस पत्‍थर को देखा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। यह कोई आम पत्‍थर नहीं बल्कि अंतरिक्ष की यात्रा करके धरती पर पहुंचा उल्‍कापिंड था जो सोने से भी कीमती है। इसका वजन करीब 17 किलो है।

डेविड को यह लाल और पीले रंग का भारी पत्‍थर साल 2015 में मेलबर्न के पास रीजनल पार्क में मिला था। 19वीं सदी में इस इलाके में कई सोने के पत्‍थर बहकर आए थे और इसी वजह से लोगों को सोना मिलने की उम्‍मीद रहती है। डेविड को भी लगा कि उन्‍हें सोने का पत्‍थर मिला है। उन्‍होंने सोने को पाने के लिए पत्‍थर को तोड़ने के कई प्रयास किए लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इससे यह पत्‍थर कई साल तक रहस्‍य बना रहा।

यह उल्‍कापिंड 4.6 अरब साल पुराना
इसके बाद डेविड होल हाल ही में मेलबर्न के म्‍यूजियम में इस पत्‍थर को लेकर गए। इस पत्‍थर को देखने के बाद म्‍यूजियम के भूविज्ञानी डेरमोट हेनरी ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्‍ड को बताया कि मैंने कई ऐसे पत्‍थर देखे थे जिसे लोगों ने उल्‍कापिंड बताया था। हालांकि मुझे केवल दो ही असली उल्‍कापिंड मिले हैं। उन्‍होंने कहा कि ताजा पत्‍थर गढ़े हुए हैं और गड्ढेदार हैं। यह तब होता है जब वे धरती के वातावरण में प्रवेश करते हैं।

हेनरी ने उल्‍कापिंड के महत्‍व के बारे में कहा कि ये उल्‍कापिंड अंतरिक्ष में खोज का सबसे सस्‍ता तरीका मुहैया कराते हैं। वे हमें समय के अंदर ले जाते हैं और सोलर सिस्‍टम की उम्र, उसके निर्माण और रसायनों के बारे में जानकारी देते हैं। कई उल्‍कापिंड तो हमारे ग्रह के गहरे आंतरिक हिस्‍से की झलक दिखाते हैं। कई उल्‍कापिंडों पर 'सितारों की धूल' होती है जो हमारे सोलर सिस्‍टम से ज्‍यादा पुरानी होती है। उन्‍होंने अनुमान लगाया कि डेविड को मिला उल्‍कापिंड मंगल और बृहस्‍पति ग्रह के बीच स्थित ऐस्‍टरॉइड बेल्‍ट से आया हो सकता है। यह उल्‍कापिंड 4.6 अरब साल पुराना हो सकता है। यह 100 से 1 हजार साल पहले धरती पर गिरा था।

 - दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला इलेक्ट्रिक प्‍लेन बनकर तैयार, बदलेगा हवाई सफर का तरीका!

दुनिया की दिग्‍गज कंपनी रोल्‍स रॉयस ने विश्‍व के सबसे तेज उड़ने वाले इलेक्ट्रिक प्‍लेन को बनाने में सफलता हासिल की है। यह विमान 623 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। इसके साथ ही रोल्‍स रॉयस के इस पूरी तरह से इलेक्ट्रिक इस प्‍लेन ने वर्तमान 212 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार के रेकॉर्ड को तोड़ दिया है। इस विमान का नाम 'स्प्रिट ऑफ इनोवेशन' दिया गया है। इसकी बैट्री से 7,500 स्‍मार्टफोन को आसानी से चार्ज किया जा सकता है।

इस विमान ने ताजा टेस्‍ट में करीब 3 किमी की दूरी को मात्र 11 मिनट में पूरा कर लिया। इस तरह रोल्‍स रॉयस के प्‍लेन ने रफ्तार का नया रेकॉर्ड कायम किया है। वहीं इस विमान ने 202 सेकंड के अंदर 3 हजार मीटर की ऊंचाई को हासिल कर लिया जो पहले के रेकॉर्ड से 60 सेकंड कम है। इस आंकड़े को अब अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था के पास दर्ज कराया गया है ताकि उसकी पुष्टि हो सके।

 एक बार चार्ज करने पर 30 मिनट तक आसानी से उड़ान संभव
रोल्‍स रॉयस कंपनी के सीईओ वॉरेन ईस्‍ट ने कहा कि यह विमानों के कार्बन मुक्‍त होने के सपने को पूरा करने की दिशा में बड़ी उपलब्धि है जो 'जेट जीरो' की अवधारणा को वास्‍तविकता बनाएंगे। रोल्‍स रॉयस ने कहा कि यह विमान एक बार चार्ज करने पर 30 मिनट तक आसानी से उड़ान भर सकता है। उन्‍होंने कहा कि हम अभी अभी एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसके तहत मात्र एक बार चार्ज करने के बाद 160 किलोमीटर की यात्रा की जा सकेगी।

इस टेस्‍ट उड़ान को ब्रिटिश सेना के टेस्टिंग साइट पर 16 नवंबर को पूरा किया गया था। इस उड़ान के दौरान विमान ने 623 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को हासिल किया। इससे पहले सिमेंस के इलेक्ट्रिक प्‍लेन साल 2017 में 212 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार का रेकॉर्ड बनाया था। रोल्‍स रॉयस के इस नए प्‍लेन में 400kW का पावर ट्रेन लगा है और 6,480 सेल्‍स वाली बैट्री लगी है। यह बैट्री इतनी बड़ी है कि 7,500 स्‍मार्टफोन को आसानी से चार्ज किया जा सकता है। यह पूरा सिस्‍टम प्रोपेलर्स को 2200 आरपीएम की रफ्तार से घुमाता है जो वॉशिंग मशीन की रफ्तार का दोगुना है। इस प्‍लेन की बैट्री गरम न हो इसके लिए उसमें खास सुरक्षा उपाय किए गए हैं।

- कपड़ा सुखाने बालकनी पर आई बुजुर्ग महिला, फिसलकर 19वें फ्लोर से गिरी

आजकल बड़े शहरों में ऊंची-ऊंची बिल्डिंग मौजूद हैं, जहां लोग छोटी सी बालकनी में बैठते हैं और कपड़ा सुखाते हैं. हालांकि, इन ऊंचे बिल्डिंग्स के बालकनी पर ध्यान से रहना चाहिए. एक छोटी सी गलती और बड़ी घटना हो सकती है. कुछ ऐसा ही चीन के एक ऊंची इमारत में हुई, जब एक बुजुर्ग महिला कपड़ा सुखाने के लिए बालकनी पर आई, लेकिन 19वें फ्लोर से फिसलकर गिर पड़ी. इसके बाद एक चौंकाने वाली घटना हुई, जिससे बुजुर्ग महिला का रेस्क्यू कर लिया गया.

चीन में हुईं एक हैरान कर देने वाली घटना

कैमरे में कैद एक ड्रमैटिक मोमेंट में, एक 82 वर्षीय महिला को पूर्वी चीन में एक इमारत की 19वीं मंजिल से गलती से गिरने के बाद कपड़े के रैक से उल्टा लटके हुए देखा गया. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, महिला दक्षिणी चीन (Southern China) के जियांग्सु प्रांत (Jiangsu Province) के यंग्ज़हौ (Yangzhou) में अपने अपार्टमेंट की 19वीं मंजिल की बालकनी पर अपने कपड़े सुखा रही थी, जब उसका एक्सीडेंट हुआ.

बाल-बाल बच गई 82 साल की बुजुर्ग महिला

भयावह वीडियो में महिला के दोनों पैर 18वीं मंजिल की बालकनी के कपड़े के रैक पर फंसे हुए थे और बॉडी 17वीं मंजिल की बालकनी पर लटका हुआ था. उसे बचाने के लिए दमकल कर्मी तुरंत मौके पर पहुंचे. बचाव दल ने उसे 18वीं मंजिल और 17वीं मंजिल से पकड़ लिया और एक सुरक्षा रस्सी बांध दी. 18वीं मंजिल के कर्मचारियों ने बुजुर्ग को ऊपर खींच लिया और उसी समय 17वीं मंजिल पर मौजूद लोगों ने उसे ऊपर उठा लिया. उसे सफलतापूर्वक सुरक्षित वापस लाया गया और कोई चोट नहीं आई.

 19वें फ्लोर से फिसलकर गिर पड़ी, फिर दमकलकर्मियों ने बचाया

घटना की जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि जब वह बालकनी के फर्श से गिरी तो महिला अपनी निजी धुलाई कर रही थी. इस बीच, वीडियो वायरल हो गया है और लोगों ने महिला को बचाने के लिए दमकलकर्मियों की सराहना की है. वीडियो को देखने के बाद एक यूजर ने लिखा, 'दमकलकर्मियों द्वारा अद्भुत काम किया गया.'

 

- PM मोदी आज नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का जेवर में करेंगे शिलान्‍यास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज दोपहर एक बजे उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जेवर (Jewar) में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) का शिलान्यास करेंगे. एयरपोर्ट के पहले चरण में 10,050 करोड़ से अधिक की लागत आएगी. शिलान्‍यास कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी मौजूद रहेंगे. जेवर एयरपोर्ट भाजपा के चुनावी वादों में शामिल रहा है और इसका काम 2024 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है. इस कार्यक्रम के लिए डेढ़ लाख से ज्‍यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. साथ ही कड़े सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं. 

एयरपोर्ट 1300 हेक्टेयर से ज्‍यादा जमीन पर फैला हुआ है. इसके पहले चरण के पूरा होने के बाद इसकी सालाना क्षमता सालाना 1.2 करोड़ यात्रियों की होगी और इसका काम 2024 तक पूरा होगा. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट कर कहा कि इस परियोजना से वाणिज्य और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. पीएम ने बुधवार को एक ट्वीट में लिखा, "कल 25 नवंबर को भारत और उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे के निर्माण में एक प्रमुख दिन है. दोपहर 1 बजे, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आधारशिला रखी जाएगी. इस परियोजना से वाणिज्य, कनेक्टिविटी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा." 

प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश भारत का इकलौता राज्‍य बन जाएगा, जहां पर पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट होंगे. यह दिल्ली एनसीआर में बनने वाला दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा. साथ ही इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भीड़भाड़ कम करने में मदद करेगा. 

नागरिक उड्डयन सचिव राजीव बंसल ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को के पहले चरण का काम 36 महीने में पूरा किया जाना है. बंसल ने कहा, "पहले चरण में प्रति वर्ष 1.2 करोड़  यात्रियों के यातायात की उम्मीद है और अंतिम चरण यानी 2040-50 के बीच जेवर हवाई अड्डे की क्षमता प्रति वर्ष 7 करोड़ यात्रियों की होगी." उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास पर 4,326 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. 

- ममता बनर्जी बोलीं- सोनिया गांधी से हर बार मिलना जरूरी है क्या? किस ओर है इशारा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) ने बुधवार को संकेत दिया कि वह अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विस्तार कार्यक्रम को जारी रखेंगी. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और महाराष्ट्र का दौरा भी करेंगी. हालांकि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी (Congress Chief Sonia Gandhi) से मिलने की योजना पर ममता बनर्जी ने जो जवाब दिया उससे दोनों नेताओं और पार्टियों के बीच के संबंधों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी से जब सोनिया गांधी संग मुलाकात को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ऐसी कोई योजना नहीं है, वो लोग पंजाब चुनावों में व्यस्त हैं. इसके बाद उन्होंने कहा, “हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है.” ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के संबंध काफी अच्छे माने जाते रहे हैं हालांकि पश्चिम बंगाल में दोनों पार्टियों के संबंध लगातार बिगड़े हैं. बता दें कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद और कांग्रेस की हरियाणा इकाई के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) का दामन थाम लिया था.

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत में बनर्जी ने कहा कि उन्होंने अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले वैश्विक उद्योग सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन्हें यह भी कहा कि हमें 96,655 करोड़ रुपये केंद्र से मिलने हैं जो लंबित है. राज्य कैसे अपना काम करेंगे जब केंद्र उन्हें बकाया धनराशि नहीं देगा…हमारी विचारधाराएं अलग हो सकती हैं लेकिन इसकी वजह से केंद्र-राज्य संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए. राज्यों का विकास होगा तो केंद्र का भी विकास होगा.’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने त्रिपुरा में हिंसा का मुद्दा भी उठाया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर हमले किए गए हैं.

अखिलेश यादव की मदद को तैयार ममता
उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की मदद करने को तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि तृणमूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा को पराजित करने में मदद कर सकती है तो हम जाएंगे…यदि अखिलेश यादव हमारी मदद चाहते हैं तो हम मदद करेंगे.’’

- दिल्ली पुलिस पर भी सख्ती, समय से आना होगा दफ्तर, रोज लगानी होगी अटेंडेंस, ये हैं नए नियम

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के दफ्तरों में बैठने वाले सभी पुलिसकर्मियों को अब रोज अटेंडेंस लगानी होगी.  दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने ये आदेश दिया है. पुलिस कमिश्नर को पता चला कि कई पुलिसकर्मी न तो समय से दफ्तर आते हैं और समय से पहले ही निकल जाते हैं. सभी ब्रांचों के हेड से कहा गया है कि वो हाज़िरी रजिस्टर मेंटेन करें. सुबह 9:30 बजे समय से दफ्तर आना होगा और 6 बजे तक रहना होगा. वर्दी पहनकर आनी होगी, दफ्तर में अनुशासन और सफाई भी रखनी होगी. अगर किसी को जल्दी जाना है तो इसे ब्रांच इंचार्ज और अपने डीसीपी को बताना होगा. जो लोग लगातार दफ्तर आने में लेट हो रहे हैं, उनकी रिपोर्ट डीसीपी को तैयार करनी होगी. डीसीपी अटेंडेंस की रिपोर्ट हर महीने अपने एडिशनल सीपी या जॉइंट सीपी को सौपेंगा.

बता दें कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 नवंबर को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने को कहा है. केंद्र सरकार ने जनहित याचिका के तहत सुनवाई का विरोध किया. SG तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट फैसला दे चुका है इसलिए उसे चुनौती दी जानी चाहिए. उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, “ भूषण हमेशा सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें सरकार ना चलाने दिया जाए".

इससे पहले 12 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्ति को क्लीन चिट दी थी. नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खंडपीठ ने खारिज की की थी. हाईकोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार और आयुक्त राकेश अस्थाना को राहत मिली थी. राकेश अस्थाना दिल्ली पुलिस कमिश्नर के तौर पर बने रहेंगे. 

- पाकिस्तान ने भारत को बेमन से रास्ता देने वाले फैसले की जानकारी दी, अटारी के रास्‍ते अफगानिस्तान भेजा जाएगा गेहूं और दवाएं

अफगानिस्तान को मानवीय आधार पर 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं और जीवनरक्षक दवाओं की सहायता पहुंचाने के लिए पाकिस्तान ने भारत को रास्ता देने की औपचारिक अनुमति दे दी है। यह जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी कर दी। बताया कि भारत सरकार को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को भारतीय आपूर्ति को सड़क मार्ग उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान के पास जनता को खिलाने के लिए अनाज नहीं है, इलाज के लिए दवाएं नहीं हैं। उसका खास दोस्त पाकिस्तान भी उसकी कोई मदद नहीं कर पा रहा है क्योंकि खुद पाकिस्तान भी कंगाली का सामना कर रहा है। ऐसे में तालिबान की भारत से मदद लेने की मजबूरी बन गई थी। तालिबान सरकार की गुजारिश पर भारत सरकार ने उसे मुफ्त में गेहूं और जरूरी दवाएं देने का फैसला किया।

यह सामान सड़क मार्ग से अफगानिस्तान भेजा जाना है। तालिबान सरकार के कहने पर पाकिस्तान सरकार को न चाहते हुए अपने सड़क मार्ग के इस्तेमाल की अनुमति भारत को देनी पड़ी है। अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने इस बाबत इमरान से अनुरोध किया था।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अफगान लोगों के साथ भाईचारे के रिश्ते को ध्यान में रखते हुए भारतीय सहायता सामग्री को अफगानिस्तान पहुंचाने की अनुमति दी गई है। लेकिन भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार के लिए मार्ग उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं दी गई है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत से गेहूं और दवाएं वाघा (अटारी) सीमा मार्ग के जरिये आएंगी।

बीते दस साल के दौरान भारत अफगानों को मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराता रहा है। दस साल में भारत ने अफगानों को दस लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद्यान्न दिया है। सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में हुई उच्च स्तरीय बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि 2020 में भारत ने अफगानिस्तान को 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं भेजा था। लेकिन कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जैसे ही तनाव आया, वैसे ही पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को सहायता भेजने का सड़क मार्ग बंद कर दिया।

इससे अफगानिस्तान की बहुत बड़ी आबादी के सामने पेट भरने का संकट पैदा हो गया। तालिबान के सत्ता पर काबिज होते ही पूरी दुनिया ने अफगानिस्तान की सहायता बंद कर दी, तब यह संकट गंभीर हो गया। ठंडक का मौसम शुरू होते ही यह संकट और गंभीर हो गया और अफगानिस्तान में भुखमरी की आशंका जताई जाने लगी। इसी के बाद भारत ने मानवीय सहायता का फैसला किया। 

- अंबानी की बराबरी पर अडाणी:मुकेश अंबानी के बराबर हुए गौतम अडाणी, दोनों की संपत्ति 6.63 लाख करोड़ रुपए

अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी अब संपत्ति के मामले में बराबरी पर आ गए हैं। दोनों की संपत्ति 6.63-6.63 लाख करोड़ रुपए है। डॉलर में यह 89 अरब डॉलर है। एशिया में दोनों बिजनेस टायकून अब सबसे अमीर हैं और बराबरी पर हैं।

बुधवार को अडाणी ग्रुप की फर्मों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 10 लाख करोड़ रुपए हो गया। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 14.91 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। मार्केट कैप के हिसाब से रिलायंस आगे है, लेकिन गौतम अडाणी की अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी रिलायंस समूह की कंपनियों में अंबानी की हिस्सेदारी की तुलना में ज्यादा है। इस वजह से वह अंबानी से ज्यादा अमीर बन गए हैं।

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज में हिस्सेदारी 50.61% है जबकि अडाणी की हिस्सेदारी उनकी कंपनियों में 70.59% है। अडाणी की 3 कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी 74.92% जबकि एक कंपनी में 74.80 और 2 कंपनियों में यह 60-64% है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन का कैल्कुलेशन शेयर की मौजूदा कीमत से शेयरों की संख्या को गुणा करके किया जाता है। वहीं व्यक्ति या कॉर्पोरेशन की संपत्ति में से देनदारियों को घटाने के बाद आई वैल्यू को नेट वर्थ कहा जाता है।

सऊदी अरामको डील टूटने से रिलायंस के शेयर में गिरावट
सऊदी अरामको के साथ 15 अरब डॉलर की डील टूटने के बाद से रिलायंस के शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। ये गिरावट बुधवार को भी जारी रही। बुधवार को BSE पर रिलायंस का शेयर 1.48% गिरकर 2,350.90 रुपए पर बंद हुआ। इससे निवेशकों की 22,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का सफाया हो गया। मुकेश अंबानी को इससे 11,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

रिलायंस अभी भी सबसे वैल्यूएबल फर्म
रिलायंस के शेयरों में गिरावट के बाद इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 14.91 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। हालांकि ये अभी भी भारत की सबसे वैल्यूएबल फर्म है। मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली एक और लिस्टेड कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 1.57% गिरकर 613.85 रुपए पर आ गया है। इस गिरावट के बाद इसका मार्केट कैप 926.91 करोड़ रुपए हो गया।

अडाणी का नेट मार्केट कैप 4,250 करोड़ रुपए बढ़ा
अडाणी ग्रुप की फर्म्स में बुधवार को ग्रॉस मार्केट कैप में 12,000 करोड़ रुपए और नेट मार्केट कैप में 4,250 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई। बुधवार को बाजार में अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 2.76% की तेजी के साथ 1754.65 रुपए पर बंद हुआ। इससे कंपनी का मार्केट कैप 1,92,978.18 करोड़ रुपए हो गया।

  • अडाणी पोर्ट के शेयर 4.59% की तेजी के साथ 762.75 रुपए पर बंद हुए। इससे कंपनी का मार्केट कैप 1,55,734 करोड़ रुपए हो गया।
  • अडाणी पावर 105.95 रुपए पर बंद हुआ और मार्केट कैप 40,864.27 करोड़ रुपए पर आ गया।
  • अडाणी ट्रांसमिशन के शेयर 0.85% गिरकर 1924.45 रुपए, अडाणी ग्रीन एनर्जी 1.37% गिरकर 1387.7 रुपए और अडाणी टोटल गैस के शेयर 1.58% गिरकर 1,648.35 रुपए पर बंद हुए।
  • दो कंपनियों का मार्केट कैप 2-2 लाख करोड़ रुपए से ऊपर है। इसमें अडाणी ट्रांसमिशन का मार्केट कैप 2.11 लाख करोड़ और ग्रीन एनर्जी का 2.17 लाख करोड़ रुपए है।

- अब एसआई भर्ती में भी फर्जीवाड़ा: बायोमेट्रिक में अंगूठों का मिलान नहीं, दूसरों से दिलाई परीक्षा

हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की डेंटल सर्जन, एचसीएस प्राथमिक परीक्षा के बाद अब हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की पुलिस सब इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती में भी फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसका खुलासा तहसीलदार हस्ताक्षरित शपथ पत्र देने आए चयनित अभ्यर्थियों के दोबारा से बायोमेट्रिक निशान लेने से हुआ है। कई अभ्यर्थियों के अंगूठे के निशान का मिलान परीक्षा के समय के निशान से नहीं हुआ। आयोग को आशंका है कि इन युवाओं ने सॉल्वर गैंग से परीक्षा दिलाई है। इनकी सूची तैयार कर पुलिस को सौंपी जाएगी।

400 पुरुष और 65 महिला एसआई की भर्ती में 360 अभ्यर्थियों को सामाजिक आधार (परिवार में सरकारी नौकरी नहीं) पर पांच अंक अतिरिक्त मिले हैं, जिसके आधार पर चयन हुआ है। आयोग को स्व-हस्ताक्षरित शपथ पत्र दे रखा कि उनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी पर नहीं है।

परिणाम जारी होने के बाद आयोग के पास शिकायत पहुंची की काफी संख्या में युवाओं में झूठे शपथ पत्र दे रखे हैं। प्रारंभिक जांच में 22 के शपथ पत्र झूठे मिले। आयोग ने जांच के लिए दस 10 दिन पहले 360 एसआई से तहसीलदार हस्ताक्षरित शपथ पत्र मांगा था। 22 नवंबर को पंचकूला के परेड ग्राउंड में जब ये शपथ पत्र देने आए तो सभी के बायोमैट्रिक निशान लिए। जब इनका मिलान परीक्षा के समय के बायोमैट्रिक निशान से किया तो वे मैच नहीं हुए। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद आयोग अब इनकी सूची तैयार कर जल्द ही पूरे दस्तावेज पुलिस को सौंपेगा।

पांच नंबर काटने पर भी कई चयन सूची में

झूठे शपथ पत्र देने वाले कई अभ्यर्थी ऐसे हैं कि उनके सामाजिक आधार पर हासिल किए पांच अंक काट दिए जाएं तो भी वे चयन सूची में आते हैं। आयोग इस मामले में भी कानूनी राय ले रहा है कि क्योंकि अभ्यर्थियों ने आयोग को गलत जानकारी दी है, उनके खिलाफ केस दर्ज कराया जाए या नहीं।

    चयन के बाद 15 एसआई तहसीलदार हस्ताक्षरित शपथ पत्र देने नहीं आए हैं। झूठे शपथ पत्र देने वालों और जिनके बायोमैट्रिक निशान नहीं मिल रहे उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को लिखा जाएगा। - भोपाल सिंह खदरी, चेयरमैन, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग

व्यापम से भी बड़ा घोटाला, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कराएं जांच

सीएम ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ के नारे लगा रहे हैं, जबकि प्रदेश में नौकरियों की बिक्री मंडी खुल चुकी है, जहां पर खर्ची अटैची तक पहुंच गई है। नौकरियों का घोटाला व्यापम से भी बड़ा है। एचपीएससी और एचएसएससी को बर्खास्त कर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कराई जाए। - रणदीप सिंह सुरजेवाला, राष्ट्रीय महासचिव, कांग्रेस

 

विजिलेंस के बस की बात नहीं होगी तो कराएंगे चीफ जस्टिस से जांच

हमें अपने सिस्टम पर विश्वास है। विजिलेंस जांच कर रही है जब उनके बस से बाहर होगा तब चीफ जस्टिस से कराएंगे। हम पर्ची और खर्ची पर नौकरियां कभी नहीं चलने देंगे। हमारी सरकार नौकरियों में भ्रष्टाचार करने वालों को सजा दिलवाने का काम कर रही है। प्रदेश में योग्यता के आधार पर नौकरियां मिल रही हैं। - सीएम मनोहर लाल, हरियाणा।

- कृषि कानून वापसी का पॉलिटिकल गणित:तीन राज्यों की 314 सीटों पर किसान हावी, इस कारण BJP के लिए गेम चेंजर हो सकता है दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लगने के साथ ही तीनों कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2022 की शुरुआत में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिहाज से विपक्षी दल इसे पॉलिटिकल कवायद कह रहे हैं, लेकिन चुनावों में तकनीकी तौर पर महज पांच से छह महीने का समय बचे होने से यह भी बड़ा सवाल है कि इन कानूनों से मुरझाया कमल कितना खिल पाएगा? इसके लिए कृषि कानून वापसी का पूरा पॉलिटिकल गणित और इसका प्रभाव समझना होगा।

तीन राज्य की इकोनॉमी का आधार है कृषि
अगले साल की शुरुआत में जिन पांच राज्यों में चुनाव हैं, उनमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर शामिल हैं। इनमें तीन राज्य पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 75 फीसदी से ज्यादा इकोनॉमी कृषि आधारित है, यानी किसान ही नहीं मजदूर से लेकर व्यापारी तक, सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से खेती से जुडे़ हैं। खासतौर पर पंजाब और उत्तर प्रदेश की राजनीति को कृषि से जुड़े फैसले बेहद प्रभावित करते रहे हैं।

UP में 210 सीटों पर जीत-हार तय करते हैं किसान
UP की 403 विधानसभा सीटों में से करीब 210 सीटों पर किसान ही जीत-हार का फैसला करते हैं। इसी फैक्टर ने पिछले एक साल से कृषि कानूनों पर अड़ियल रवैया अपनाकर बैठी सरकार को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर किया है। भाजपा चुनावों तक किसानों को नाराज नहीं करना चाहती।

खासतौर पर वेस्ट UP में कृषि कानूनों को लेकर बनी नाराजगी ने अहम भूमिका निभाई है। यहां के जाट समुदाय ने भाजपा को UP और केंद्र में सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। यहां 12% जाट, 32% मुस्लिम, 18% दलित, OBC 30% हैं। किसान आंदोलन में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर सबसे ज्यादा जाट समुदाय के ही किसान बैठे दिखाई दिए। इसके अलावा वेस्ट UP में ही बागपत और मुजफ्फरनगर हैं, जो जाटों के गढ़ हैं। किसान आंदोलन की अगुआई कर रही एक तरह से भारतीय किसान यूनियन का गढ़ सिसौली भी मुजफ्फरनगर में है और जाट समुदाय के परंपरागत झुकाव वाले रालोद की राजधानी कहलाने वाला छपरौली बागपत में आता है।

पंजाब की 77 सीटों पर गणित बदलेगी यह कवायद
पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 40 अर्बन, 51 सेमी अर्बन और 26 रूरल सीट हैं। रूरल के साथ सेमी अर्बन विधानसभा सीटों पर किसानों का वोट बैंक हार-जीत का फैसला करता है। यानी 117 में से 77 सीट पर कृषि कानून की वापसी प्रभाव डाल सकती है।

किसान आंदोलन में सबसे अहम भूमिका पंजाब के किसानों ने ही निभाई है।

पंजाब मालवा, माझा और दोआबा एरिया में बंटा हुआ है। सबसे ज्यादा 69 सीटें मालवा में हैं। मालवा में ज्यादातर रूरल सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है। यही इलाका पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है। भाजपा की निगाहें इसी इलाके में मतदाताओं के बीच सेंध लगाने पर है।

साथ ही इन कानूनों की वापसी से जहां कांग्रेस छोड़कर नया दल बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह और भाजपा के गठबंधन की राह साफ हुई है, वहीं कृषि कानूनों के मुद्दे पर भाजपा का साथ छोड़ने वाले अकाली दल के भी दोबारा गले मिलने की संभावना बन गई है।

उत्तराखंड की 70 में से 27 सीट के बदलेंगे समीकरण
उत्तराखंड के छोटा राज्य होने के बावजूद वहां का पूरा मैदानी इलाका कृषि आधारित काम-धंधों वाला ही है। राज्य विधानसभा में 70 सीटें हैं, जिनमें राजधानी देहरादून समेत मैदान के चार जिलों की 27 सीटों पर किसान की नाराजगी बेहद अहम साबित होती है।

देहरादून जिले की विकासनगर, सहसपुर, डोईवाला और ऋषिकेश सीट, हरिद्वार जिले में शहर सीट को छोड़कर 11 में से 10 सीट, उधमसिंह नगर की नौ, नैनीताल जिले की रामनगर, कालाढूंगी, लालकुआं और हल्द्वानी विधानसभा सीट पर किसान खेल बदल सकते हैं। यहां का किसान 2022 के चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठा था, लेकिन अब कृषि कानूनों की वापसी से भाजपा डैमेज कंट्रोल में कामयाब हो सकती है।

 

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