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पंजाब

सदियों से सभ्यता का केंद्र कहे जाने वाली ज़मीन पर आप कौन सी शिक्षा क्रांति लाऐंगे? , परगट सिंह का केजरीवाल को सवाल

November 25, 2021 05:51 AM
आप नेता द्वारा लोगों को गुमराह करने के लिए घटिया ढंगों के प्रयोग के लिए आड़े हाथों लिया
सिटी दर्पण ब्युरो, पंजाब, 24 नवंबर: पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को चुनौती देते हुए कहा कि आप नेता की तरफ से यह बताया जाना चाहिए कि वह इस ज़मीन पर कौन सी शिक्षा क्रांति लाएंगे जिसको सदियों से सभ्यता का केंद्र कहा जाता है और जिसने लोगों को पढऩा-लिखना सिखाया है।
 
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि यह केजरीवाल द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक और घटिया ढंग है और केजरीवाल को पंजाब के बारे भी कुछ नहीं पता। उन्होंने कहा कि शायद अरविन्द केजरीवाल यह तथ्य भूल गया कि वह उसी ज़मीन के लोगों को बहकाने की कोशिश कर रहा है जहाँ वेदों, उपनिषदों और अन्य ग्रंथों की रचना हुई। इससे कहीं बाद जाकर लोगों को पढऩा और लिखना आया।
 
परगट सिंह ने आगे कहा कि पंजाब वह धरती है जहाँ महान गुरू साहिबान की बाणी श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है और लोगों को जीवन में मार्गदर्शन दे रही है।
 
परगट सिंह ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने पंजाब में शिक्षा क्रांति लाने की बात कही है परन्तु ज़मीनी हकीकत से अवगत हुए बिना किसी बाहरी व्यक्ति की तरफ से टिप्पणियाँ करने की यह एक और मिसाल है। वह पंजाब में साख बचाने के लिए राजनैतिक महत्ता हासिल करने के लिए संकुचित चालों पर भरोसा कर रहा है।
 
वह दिल्ली के मुख्यमंत्री के ध्यान में यह तथ्य लाना चाहेंगे कि इस साल के शुरू में जारी किये गए नेशनल परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडैक्स में पंजाब पहले स्थान पर था जबकि दिल्ली छटे स्थान पर था। शिक्षा के सभी मापदण्डों सीखने के नतीजों, पहुँच, बुनियादी ढांचा और सहूलतों, समानता और प्रशासन प्रक्रिया के अनुसार पंजाब दिल्ली से कहीं ऊपर था।
 
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पंजाबियों ने पिछले 4सालों में प्राइमरी कक्षाओं में दाखि़ला 1.93 लाख से 3.3 लाख तक बढ़ा कर सरकारी स्कूल प्रणाली में अपना विश्वास प्रकट किया है। यह हमारी सरकारी स्कूल प्रणाली की गुणवत्ता में राज्य निवासियों के विश्वास को दर्शाता है जिसको एनपीजीआइ की तरफ से दोहराया गया है।
 
परगट सिंह ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि पंजाब में सरकारी स्कूलों में मैट्रिक तक 35:1 के मुकाबले पंजाब में विद्यार्थी -अध्यापक अनुपात 24.5:1 है। दिल्ली के 15 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी -अध्यापक अनुपात पंजाब के 4प्रतिशत के मुकाबले विपरीत है। इसलिए वह अरविन्द केजरीवाल को सलाह देंगे कि वह कृपा करके पंजाब की चिंता करने से पहले दिल्ली के लिए पर्याप्त अध्यापकों यकीनी बनाएं। यह जानकारी इस साल 2 अगस्त को लोक सभा में भगवंत मान की तरफ से पूछे गए सवाल पर आधारित है। इसलिए वह भगवंत मान की मौजूदा स्थिति को देखते हुये यह जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके इरादों के बारे अंदाज़ा नहीं लगाएंगे बल्कि इसके लिए उसका धन्यवाद करना करते हैं।
 
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल को राज्य के बारे गलत और अधूरी जानकारी है। इसलिए वह बताना चाहेंगे कि पंजाब सरकार दिसंबर के अंत तक 20,000 से अधिक अध्यापकों की भर्ती करने की प्रक्रिया अधीन हैं। यह भर्ती पहले ही रेगुलर किये गए 8886 अध्यापकों के इलावा हैं। इसके इलावा 1117 स्टाफ सदस्यों को तरक्की दी गई है और अन्य प्रक्रिया अधीन हैं।
 
परगट सिंह ने आगे कहा कि तबादले सम्बन्धी नीति के सम्बन्ध में पंजाब की बदलियों के बारे नीति भारत में सबसे बढिय़ा और सबसे पारदर्शी नीतियों में से एक है जो पूरी तरह कम्प्यूटराईजड़ ऑनलाइन है और साल में एक बार की जाती है। साफ्टवेयर के द्वारा सुविधा और पारदर्शिता को यकीनी बनाया है। अध्यापकों के तबादले की नीति से लेकर स्कूल के आंकड़ों तक सब कुछ एक बटन के क्लिक पर संभव है जो केजरीवाल सरकार दिल्ली में अपने 8सालों के कार्यकाल के दौरान नहीं कर सकी।
 
परगट सिंह ने कहा कि वह अरविन्द केजरीवाल को विनती करते हैं कि वह विदेशों में प्रशिक्षण जैसी चालें इस्तेमाल करके शिक्षा के मुद्दे पर राजनीति न खेलें। उनकी जानकारी के लिए बता दें कि वह पहले ही अपने स्टाफ को आईऐसबी मोहाली में पेशेवर प्रबंधन हुनर विकसित करने के लिए भेज रहे हैं। पंजाब में पहले ही शिक्षा क्रांति चल रही है और पंजाब के लोग पहले ही इस का हिस्सा हैं। यह अलग बात है कि अरविन्द केजरीवाल इस बात से अवगत नहीं हैं।

 

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