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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री ने नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ के शताब्दी समारोह के अवसर पर प्राणि उद्यान में ‘शताब्दी स्तम्भ’ का अनावरण तथा डाक टिकट एवं शताब्दी स्मारिका का विमोचन किया

November 30, 2021 09:13 AM
जीव-जन्तुओं के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना
प्रत्येक नागरिक का दायित्व होना चाहिए: मुख्यमंत्री
 
लखनऊ प्राणि उद्यान की 100 वर्ष की यह पारी एक शानदार पारी
 
लखनऊ प्राणि उद्यान को और आगे बढ़ाने के लिए
एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए
 
प्राणि उद्यान सभी के लिए अति महत्वपूर्ण, यह बच्चों
को मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन का एक माध्यम भी बनता
 
प्राणि उद्यानों के विकास हेतु विभिन्न संस्थाओं के साथ एम0ओ0यू0 हो,
साथ ही, बच्चों को प्राणि उद्यान में आमंत्रित करने की व्यवस्था भी की जाए
 
प्रदेश में ईको-टूरिज्म की असीम सम्भावनाएं, इसे आगे बढ़ाने में
पर्यटन विभाग के सहयोग से विभिन्न गतिविधियों को संचालित किया जा सकता
 
वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक 70 वर्षाें में 02 प्राणि उद्यान ही बन पाये थे,
जबकि विगत 05 वर्षाें में एक प्राणि उद्यान गोरखपुर में स्थापित किया गया
 
यह प्राणि उद्यान प्रदेश के लोगों के लिए आकर्षण
का केन्द्र: वन एवं पर्यावरण तथा जन्तु उद्यान मंत्री

सिटी दर्पण ब्युरो, लखनऊ, 29 नवंबर:   उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रकृति के जीवन चक्र में केवल मनुष्य ही सब कुछ नहीं है, मनुष्य इसका बहुत छोटा सा हिस्सा है। हर जीव-जन्तु एक-दूसरे पर निर्भर रहता है, एक-दूसरे पर उसका जीवन टिका हुआ है। मनुष्य यदि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए शेष जीव-जन्तुओं के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ करेगा, तो यह खिलवाड़ एक दिन उसी के लिए भीषण संकट का कारण बनेगा। इसलिए जीव-जन्तुओं के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व होना चाहिए।

    मुख्यमंत्री जी आज यहां नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के शताब्दी समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने प्राणि उद्यान में ‘शताब्दी स्तम्भ’ का अनावरण तथा डाक टिकट एवं शताब्दी स्मारिका का विमोचन किया। स्मारिका में प्राणि उद्यान की 100 वर्ष की उपलब्धियों का वर्णन है। उन्होंने ‘चित्रों में चिड़ियाघर’ नामक एक पुस्तक का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री जी ने वन्य जीव संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पूर्व प्रशासकों एवं पूर्व निदेशकों को भी सम्मानित किया। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में वन्य जीव एवं पर्यावरण पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। उन्होंने प्राणि उद्यान के जीव-जन्तुओं के अंगीकर्ताओं को भी सम्मानित किया। बच्चों द्वारा सुझाये गये नाम के आधार पर 06 बाघों का नामकरण किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ प्राणि उद्यान की 100 वर्ष की यह पारी एक शानदार पारी है। हमें इस प्रयास को और आगे बढ़ाना है। साथ ही, यहां की पिछली सभी स्मृतियों को बनाये रखते हुए कुछ नयापन लाने की भी आवश्यकता है। उस दिशा में क्या प्रयास हो सकते हैं, इसके लिए यहां पर पूर्व में कार्यरत पूर्व निदेशकों एवं प्रशासकों से सहयोग लेकर लखनऊ प्राणि उद्यान के साथ ही अन्य प्राणि उद्यानों को भी वैश्विक स्तर के मानक पर आगे बढ़ाने में योगदान दिया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ प्राणि उद्यान को और आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। यहां से जुड़े उन सभी स्मरणीय क्षणों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बन सके। लखनऊ प्राणि उद्यान के पास 100 वर्ष की यात्रा का पूरा रिकॉर्ड होगा। इस प्राणि उद्यान की 100 वर्षाें की यात्रा के अवसर पर जारी किया गया डाक टिकट एवं स्मारिका न केवल संग्रहणीय है, बल्कि हम सबके लिए प्रेरणादायी भी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज यहां बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों का आगमन हुआ है। इन बच्चों को गाइड के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के वन्यजीव विशेषज्ञ जीव-जन्तुओं के बारे में यदि विस्तृत रूप से बताएं तो बच्चों के मनोरंजन के साथ उनका ज्ञानवर्धन भी होगा। यहां पर बच्चों के बीच डिबेट, लेखन, पेंटिंग प्रतियोगिता के अलग-अलग स्तर पर वृहद कार्यक्रम आयोजित हों। यह कार्यक्रम सिर्फ शताब्दी वर्ष पर ही नहीं बल्कि वृहद स्तर पर रूटीन का हिस्सा बनना चाहिए। इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाए तो, वन्य जीवों के प्रति आमजन के मन में बदलती हुई धारणा दिखायी देगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि किसी मनुष्य के मूल व्यवहार को जानना है, तो जीव-जन्तुओं के प्रति उसका जो व्यवहार है, वही उसका मूल स्वभाव होता है। अगर वह मूक पशु-पक्षियों के प्रति हिंसक है तो वह मानवता के प्रति भी हिंसक होगा। अगर वह मूक पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना रखता है, तो वह मानवता के प्रति संवेदनापूर्ण व्यवहार करने की क्षमता रखता है। इससे प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार और उसकी प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राणि उद्यान में आने वाले लोगों में जीव-जन्तुओं के व्यवहार को जानने की उत्सुकता रहती है। प्राणि उद्यान में वन्य जीवों के व्यवहार को बहुत नजदीक से जानने-समझने का अवसर मिलता है। जब कोई व्यक्ति इस प्रक्रिया को ध्यान में रखता है, तो वह समाज अपने आप जीवन्त होता हुआ दिखायी देता है। प्रकृति के जीवन चक्र को बचाने के लिए उनके मन में उसी प्रकार की भावनाएं भी पायी जाती हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राणि उद्यान सभी के लिए अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर एक साथ, एक जगह पर अलग-अलग प्रकृति और भिन्न-भिन्न व्यवहार के वन्यजीवों को संरक्षित किया जाता है। यह बच्चों को मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन का एक माध्यम भी बनता है। उन्होंने कहा कि प्राणि उद्यानों के विकास हेतु विभिन्न संस्थाओं के साथ एम0ओ0यू0 हो। साथ ही, बच्चों को यहां पर आमंत्रित करने की व्यवस्था भी की जाए। इससे बच्चों को वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनाने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना काल खण्ड मानवता के लिए संकट का दौर था। यह समय मानव जीवन के साथ-साथ जीव-जन्तुओं के लिए भी संकट था। इटावा के लायन सफारी में कोरोना की चपेट में कुछ शेर भी आये थे, जो चिन्ता का कारण बने थे। उपचार की समुचित व्यवस्था के कारण यह वन्य जीव स्वस्थ हुए। इस प्रकार, प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल खण्ड में मनुष्यों के साथ जीव-जन्तुओं को भी इस वैश्विक महामारी से बचाया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में ईको-टूरिज्म की असीम सम्भावनाएं हैं। राज्य सरकार द्वारा ईको-टूरिज्म की दृष्टि से अनेक क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं। इन क्षेत्रों पर बेहतरीन तरीके से कार्य किया जा सकता है। इसे आगे बढ़ाने में पर्यटन विभाग के सहयोग से विभिन्न गतिविधियों को संचालित किया जा सकता है। प्रदेश में वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक 70 वर्षाें में 02 प्राणि उद्यान ही बन पाये थे। जबकि विगत 05 वर्षाें में एक प्राणि उद्यान गोरखपुर में स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि विगत 05 वर्षाें के दौरान प्रदेश में वन विभाग के प्रयासों और समन्वय से 100 करोड़ वृक्षारोपण किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोई भी वन्य जीव मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। बशर्ते अगर मनुष्य से उसको कोई खतरा न हो। लेकिन जब मनुष्य अपने स्वयं के विस्तार एवं अस्तित्व के साथ अपनी खुशहाली के लिए किसी भी जीव-जन्तु के क्षेत्र में हस्तक्षेप करता है, तो वह भी स्वाभाविक रूप से अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए दिखायी पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको इस व्यवहार को समझने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को पूरे कार्यक्रम में अपना योगदान देने के लिए धन्यवाद दिया।
वन एवं पर्यावरण तथा जन्तु उद्यान मंत्री श्री दारा सिंह चौहान ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘वन्य जीव प्रकृति का खजाना, जिसे हमें हर कीमत पर बचाना। प्रकृति का न करें हरण, आओ बचाएं हम सब मिलकर पर्यावरण।’ उन्होंने कहा कि यह प्राणि उद्यान लखनऊ के मध्य में बसा है, जो प्रदेश के लोगों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र है। साथ ही, लखनऊ नगरवासियों के लिए यहां के पेड़, पौधे प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन के सबसे बड़े प्लाण्ट के रूप में हैं। यहां पर दृष्टिबाधित लोगों के लिए भी एक गैलरी की स्थापना की गयी है। यह देश का छठा प्राणि उद्यान है, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ‘वाज़ा-वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ ज़ूज़ एण्ड एक्वेरियम्स’ की सदस्यता प्राप्त हुई है। यह प्रदेशवासियों के लिए गौरव का क्षण है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष श्री सुनील पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव श्री डी0के0 शर्मा, निदेशक प्राणि उद्यान लखनऊ श्री आर0के0 सिंह सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

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