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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री जनपद अयोध्या में महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ एवं महर्षि रामायण सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए

December 02, 2021 06:01 AM

राष्ट्र की समृद्धि, शांति एवं विकास हेतु यह
यज्ञ विगत नवम्बर माह में शुरू किया गया

मुख्यमंत्री द्वारा पूर्णाहुति के साथ इस महायज्ञ का समापन

श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ का उद्देश्य
आम जनमानस में शांति, समृद्धि एवं विकास लाना

अयोध्या में भगवान विष्णु के नाम पर यज्ञ का आयोजन तथा
इसको भगवान श्रीराम को समर्पित करना अपने आप में गौरव
का विषय, यह यज्ञ पूर्ण रूप से वेद-विज्ञान पर आधारित

भारत का प्रत्येक व्यक्ति अयोध्या से जुड़ने पर गौरव महसूस करता है

सप्तपुरियों में से एक अयोध्या, विकास की नई ऊँचाइयों को छू रही है

मुख्यमंत्री ने साधु-सन्तों के साथ प्रसाद ग्रहण किया


सिटी दर्पण ब्युरो, लखनऊ, 01दिसंबर:   उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी आज जनपद अयोध्या में महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ एवं महर्षि रामायण सेवा न्यास द्वारा आयोजित श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ के समापन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। राष्ट्र की समृद्धि, शांति एवं विकास हेतु यह यज्ञ विगत नवम्बर माह में शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री जी द्वारा पूर्णाहुति के साथ इस महायज्ञ का समापन किया गया। उन्होंने इस अवसर पर महर्षि महेश योगी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। महर्षि महेश योगी के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के पश्चात, उन्होंने साधु-सन्तों के साथ प्रसाद ग्रहण किया।

मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ का उद्देश्य आम जनमानस में शांति, समृद्धि एवं विकास लाना है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान विष्णु के नाम पर यज्ञ का आयोजन करना तथा इसको भगवान श्रीराम को समर्पित करना अपने आप में गौरव का विषय है। यह यज्ञ पूर्ण रूप से वेद-विज्ञान पर आधारित है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि एवं सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही है। भगवान सूर्य पोषक एवं भरण-पोषण के देवता हैं। भगवान श्रीराम, भगवान विष्णु के ही अवतार थे। अयोध्या धर्म के पथ का अनुगामी है, महर्षि वाल्मीकि जी ने अयोध्या के सम्बन्ध में कहा था कि ‘रामोविग्रह वान धर्मः’ अर्थात श्रीराम धर्म के साक्षात स्वरूप हैं, राम ही धर्म है। धर्म के जो साक्ष्य किसी जगह मिलते हैं, तो वह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम में ही मिलते हैं। इसलिए भगवान श्रीराम और धर्म एक-दूसरे के पूरक है। यही श्रीराम और सनातन धर्म की विशेषता है। प्रभु श्रीराम जी का जीवन चरित्र हमें सामाजिकता के साथ-साथ अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष देने वाला है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महर्षि महेश योगी ने 1950-60 के दशक में उच्च हिमालय में ज्योतिष पीठ के तत्कालीन जगतगुरु शंकराचार्य पूज्य स्वामी ब्रह्मानन्द जी सरस्वती से योग दीक्षा ली। इसके उपरान्त, पूरे हिमालय सहित उत्तर दक्षिण के राज्यों का भ्रमण किया। भ्रमण करने के पश्चात, वैदिक कालीन महत्ता को विश्व में विशेषकर यूरोपियन, अफ्रीकन, अमेरिकन देशों में जाकर प्रचार-प्रसार किया तथा विश्व में भारतीय संस्कृति एवं वेद की महत्ता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि महर्षि महेश योगी से संवाद करने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ था।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में आयोजित ‘दीपोत्सव’ मंे विभिन्न देशों से आए कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन हुआ था। इन कलाकारों में थाईलैण्ड, लाओस, कम्बोडिया, इण्डोनेशिया के कलाकार सम्मिलित थे। इण्डोनेशिया के कलाकारों ने बताया था कि उनका भगवान श्रीराम के साथ आत्मीय सम्बन्ध है। जब उन्हें अयोध्या का आमंत्रण मिला था, तो उस समय उन लोगों के लिए अयोध्या जाना एक गौरव की बात थी। इण्डोनेशिया के कलाकारों ने यह भी कहा था कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के रामलीला का मंचन करना मंचन मात्र नाट्य मंचन नहीं है, बल्कि भगवान श्रीराम हमारे आस्था के प्रतीक व पूर्वज हैं। श्रीराम के प्रति हमारे मन श्रद्धा व आस्था का भाव है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति अयोध्या से जुड़ने पर गौरव महसूस करता है। आज विश्व मानवता भी अयोध्या के साथ जुड़ने पर गौरव की अनुभूति कर रही है। थाईलैण्ड के राजा स्वयं को भगवान श्रीराम का वंशज मानते हैं। लाओस की परम्परा भी अपने आपको भारत से जोड़ती है। कम्बोडिया की पूरी परम्परा भारतीयता से प्रभावित है। वर्ष 2021 के ‘दीपोत्सव’ में श्रीलंका की रामलीला टीम भी आयी थी। साथ ही, श्रीलंका के राजदूत अशोक वाटिका की शिला को श्रीराम मन्दिर के निर्माण में दान करने के लिए लाए थे। पूरी दुनिया अयोध्या के साथ आत्मीय संवाद बना रही है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या सप्तपुरियों में एक पुरी है, जो विकास की नई ऊचांइयों को छूती हुयी दिखायी दे रही है। उन्होंने कहा कि हमें भारत व भारतीयता से जुड़े तथ्यों को याद रखना चाहिए। रामायण के साथ ही, महाभारत एवं अन्य भारतीय पारम्परिक ग्रन्थों का सम्मान करना चाहिए। महाभारत की विशेषताओं को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक महाग्रन्थ हैं। इसमें वह सब मौजूद है, जो भारत में पहले से मौजूद विभिन्न ग्रन्थों, वेद, पुराण उपनिषद इत्यादि में हैं। महाभारत का ही एक छोटा सा हिस्सा श्रीमद्भगवतगीता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आज विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। आज दुनिया के 200 देश योग की परम्परा से जुड़े हैं। योग की परम्परा बहुत पहले से भारत में चली आ रही है। योग भारत की ऋषि परम्परा का एक प्रसाद है। विश्व मानवता के कल्याण के लिए यह भारत की देन है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुम्भ भारतीय सनातन परम्परा एवं आस्था का केन्द्र है। यहां साधु-संत अपनी साधना को पुष्ट करते हैं। प्रयागराज कुम्भ-2019 मंे इस बार स्वच्छता, सुरक्षा एवं सुव्यवस्था का एक मानक प्रस्तुत किया है। यूनेस्को ने कुम्भ को विश्व की अमूर्त धरोहर के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि यह मान्यता मिलना इस बात का प्रमाण है कि भारत के नेतृत्व ने किस मजबूती के साथ इसे विश्व पटल पर रखा है, जिससे भारत की बात को मानने के लिए विश्व संस्थाएं तैयार हुई हैं।

इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद डॉ0 सुधांशु द्विवेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि अयोध्या का ऐतिहासिक विकास हो रहा है, जो राम राज्य की परिकल्पना को साकार करेगा। मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में अयोध्या प्रथम है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उसी मानक के अनुसार इसका विकास हो रहा है। देश में ही नहीं, विदेश में भी अयोध्या की चर्चा है। महर्षि महेश योगी धर्म के प्रतिनिधि के साथ-साथ कर्म के भी प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि भारत धर्मप्राण देश है। धर्मप्राण देश के सबसे बड़े सूबे में यदि सेवा करने के लिए सर्वोच्च पद पर धर्मप्राण शासक हो, तो निश्चित रूप से धर्मपद पर ले जाने का अच्छा योग बनता है। कार्यक्रम को आयोजक श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव ने भी सम्बोधित किया।

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