सिटी दर्पण ब्युरो, हरियाणा,13 दिसंबर: हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि श्रीमदभगवदगीता सफलता की कुंजी है। जब हम स्कूल में पढ़ते थे, उस समय सभी विषयों की एक कुंजी होती थी। गीता जीवन की कुंजी है, यदि हम गीता को पढ़ लें और उसे मन से आत्मसात कर लें तो जीवन में हमें और पढऩे की ललक नहीं होगी। गीता में जिंदगी का सार है।
श्री अनिल विज ने यह बात आज अम्बाला शहर में जिला स्तरीय गीता जयंती समारोह में अपने संबोधन के दौरान कही।
श्री विज ने कहा कि गीता महोत्सव आज पूरे भारत में मनाने का काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। वैसे तो हमारे अनेकों शास्त्र वेद एवं पुराण है लेकिन गीता को सफलता की कुंजी कहा जाता है। जिंदगी के किसी भी दोराहे पर अगर हमें यह समझ न आए कि हमें किस तरफ जाना है, क्या करना है और क्या नहीं करना है तो कहा गया है कि गीता खोलकर देखो, गीता में हर प्रश्न का उत्तर मिलता है। हमारा सारा ज्ञान एवं हमारे सारे शास्त्र संस्कृत में लिखे हुए हैं लेकिन हमारे साथ धोखा हुआ है कि संस्कृत को हमसे छीन लिया गया। इसलिए गीता को पढऩे और समझने की जरूरत है।
गृहमंत्री ने कहा कि गीता को जो पढ़ लेता है उसके अर्थ को समझ लेता है, तेरा, मेरा, अपना, पराया सब कुछ भूल जाता है। गीता में इतना गहरा सार है कि जीवन की हर समस्या का समाधान उसमें है। हम जानते तो हैं कि गीता में जिंदगी का सार है, पर हम उस पथ पर नहीं चलते हैं। आज आवश्यकता है कि धर्म और संस्कृति को जानने के लिए हम सबको संस्कृत को पढऩा चाहिए और सीखना चाहिए। हमें अपने बच्चों को स्कूल में संस्कृत विषय दिलवाना चाहिए और प्राईवेट टयूशन लेकर भी संस्कृत को सीखना चाहिए। स्कूलों में संस्कृत विषय को अनिवार्य करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। उन्होने कहा कि गीता अंधकार से ज्योति की ओर ले जाने का कार्य करती है। ज्ञान योग, सांख्य योग, कर्म योग, भक्ति योग करना है तो गीता को आत्मसात करके करें। गीता कभी नहीं कहती कि जंगलों में जाना है, गीता को तो मन से आत्मसात करने की जरूरत है।
गृह मंत्री ने कहा कि हमें इस जिला स्तरीय समारोह को एक दिन तक ही सीमित न करके गीता का ज्ञान निरंतर प्राप्त करने के लिए गीता को मन से धारण करना है और यहां पर गीता से सम्बन्धित जो भी प्रति या किताबें है उसे वे अपने साथ लेकर जाएं और आज से ही गीता को पढऩा आरम्भ करें। अगले वर्ष जब यहां पर गीता जयंती समारोह होगा तो आप स्वयं ही बताना कि आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आया है।