स्कूल के बच्चों को शहादत प्रसंगों और नैतिक मूल्यों के साथ जोडऩा बढिय़ा प्रयास-जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह
ऐतिहासिक दिवस के अवसर पर स्कूलों में एक-एक घंटे के कार्यक्रम करवाए जाएंगे-परगट सिंह
ऐजुसैट के द्वारा 3300 स्कूलों के 14 लाख के करीब विद्यार्थी जुड़े
सिटी दर्पण ब्युरो, पंजाब, 23 दिसम्बर: ‘पोह’ के महीने में फतेहगढ़ साहिब और चमकौर साहिब में घटीं घटनाओं ने इतिहास को बड़ा मोड़ दिया। साहिबज़ादों और सिंहों द्वारा दी गई शहादत रहती दुनिया तक प्रेरणा का स्रोत रहेगी। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के बच्चों को शहादत प्रसंगों और नैतिका मूल्यों के साथ जोडऩे का किया गया प्रयास सराहनीय है। यह बात श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिक्षा विभाग, पंजाब द्वारा दशमेश पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार की अतुलनीय बलिदान संबंधी नई पीढ़ी को अवगत करवाने के लिए करवाए गए वेबीनार ‘जीवित कई हज़ार’ के दौरान संबोधन करते हुए कही।
शिक्षा मंत्री परगट सिंह द्वारा राज्य के समूह शैक्षणिक संस्थाओं को चार साहिबज़ादों की शहादत को समर्पित विशेष सत्र करवाने के दिए निर्देशों के अंतर्गत शिक्षा विभाग द्वारा अलायंस ऑफ सिख के सहयोग के साथ करवाए गए इस वेबीनार में एजुसेट के द्वारा राज्य के 3300 स्कूलों के 14 लाख के करीब विद्यार्थी जुड़े। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अपने रिकॉर्ड किए गए संबोधन में कहा कि पुराने समय में घर में बुजुर्ग अपने बच्चों को सिख इतिहास ख़ासकर शहादत प्रसंगों की कहानियाँ सुनाते रहते थे, परंतु आज के समय में नई पीढ़ी समृद्ध विरासत से दूर हो रही है, जिस कारण शिक्षा विभाग ने स्कूल के बच्चों के लिए शहीदी जोड़ मेल के अवसर पर यह वेबीनार आयोजित कर बढिय़ा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि गौरवमयी इतिहास को स्कूल के सिलेबस का हिस्सा बनाया जाए।
इससे पहले संबोधन करते हुए शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने कहा कि ‘पोह’ के महीने में घटीं महान घटनाओं में अत्याचार के विरुद्ध डटे रहने और धर्म के ख़ातिर अपना सब कुछ कुर्बान करने का इतिहास समाया हुआ है, जिस कारण हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि आने वाली पीढ़ी हमारे इतिहास के महान नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से अवगत होकर उससे प्रेरणा ले सकें। श्री चमकौर साहिब में बड़े साहिबज़ादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह और श्री फतेहगढ़ साहिब में माता गुजरी जी, छोटे साहिबज़ादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की अतुलनीय शहादत का उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं मिलती। यह घटनाएँ हमें अपने हकों के लिए जूझने की प्रेरणा देती हैं।
शिक्षा मंत्री ने इस मौके पर ऐलान किया कि ऐतिहासिक दिवस के मौके पर राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थाएँ अपनी-अपनी संस्थाओं में कम से कम एक घंटे का कार्यक्रम ज़रूर करवाएं, जिसमें सम्बन्धित सख्शियत की जीवनी के बारे में जानकारी दी जाए, जिससे आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ले सके। उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारी यह महान सख्शियतें जिन्होंने अपने बलिदानों और शिक्षाओं के साथ इतिहास को नया मोड़ दिया, हमारे रोल मॉडल होने चाहीए हैं।
इस मौके पर शाही इमाम पंजाब मौलाना उस्मान रहमानी लुधियानवी ने संबोधन करते हुए कहा कि श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के पूरे परिवार द्वारा दी गई शहादत किसी धर्म के खि़लाफ़ नहीं थी, बल्कि उस समय की हुकूमत द्वारा किए गए अत्याचार के खि़लाफ़ था। उन्होंने कहा कि गुरू साहिब की इस सत्य की लड़ाई में पीर बुद्धू शाह, गनी खान, नबी खान, मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद ख़ान जैसे मुसलमानों ने भी उस समय की हुकूमत द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खि़लाफ़ आवाज़ बुलंद की। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के समूचे परिवार ने मानवता के लिए शहादत दी। उन्होंने कहा कि साहिबज़ादों द्वारा उसूलों पर पहरा देते हुए शहादत दी गई। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को छोटी उम्र में बलिदान देने वाले साहिबज़ादों की जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिए और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।
इससे पहले अलायंस ऑफ सिख के परमपाल सिंह ने संबोधन करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने पूर्वजों का इतिहास भविष्य की पीढ़ी को बताने का पृथक प्रयास किया। कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए सुखदेव सिंह ने कहा स्कूल के बच्चों को समृद्ध विरासत के साथ जोडऩा हमारा प्रथम कर्तव्य है।
इस मौके पर सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल लड़कियाँ सोहाना की छात्राएँ गुरजोत कौर और तनीशा शर्मा ने साहिबज़ादों की जीवनी, शहादत के बारे में विचार प्रकट किए और कविताएँ भी सुनाईं। दोनों छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।
इस मौके पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन प्रो. योगराज, शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरैक्टर गुरजोत सिंह और ऐजुसेट की टीम अमृतपाल सिंह, वरुणदीप, सिमरनजीत सिंह और हर्ष भिंडर भी उपस्थित थे।