सच अटल
हिला दे जग सारा
विद्रोही तारा
दर्द न दिखा
न दिखने ही दिया
जलता जिया
दुखों का बागÞ
न पतझर कभी
न लगे आग
विदेशी पूंजी
देश भक्ति हो गई
बहरी गूंगी
सूनी थी राहें
नजर में थे ख्वाब
रंग-बिरंगे
घाटे का सौदा
प्यार का दाव लगा
जीवन लौटा
कुछ छवियां
बस जाती दिल में
देती ख़ुशियां
खुली दुकान
बिक गए सपने
सरे बाजÞार
तुम्हारा हाथ
सपनों में थामा था
अब भी साथ
याद की टीस
छलनी कर गई
हृदय भीत