- तुर्की अभिनेत्री की ब्रा पर पाकिस्तान में बरपा हंगामा:हलीमा भाभी का किरदार निभाने वाली एसरा के लिए फैंस बने मुसीबत
एसरा बिल्जीक ऊर्फ हलीमा भाभी एक बार फिर से कपड़ों की वजह से पाकिस्तानी मर्दों के निशाने पर हैं। एसरा ने फेमस लॉजरी ब्रॉड विक्टोरिया सीक्रेट के लिए एड शूट किया है। उस एड में वो ब्रा के साथ ब्लेजर पहने दिख रही हैं। एसरा ने शूट का वीडियो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाला, जिसके बाद पाकिस्तान के लोग उन्हें नसीहत देने लगे। तो वहीं कुछ यूजर्स भद्दे कॉमेंट्स भी कर रहे हैं।
एसरा को ट्रोल करते हुए पाकिस्तानी यूजर्स लिख रहे हैं कि थोड़ी शर्म करो। पैसे नहीं है तो हमसे ले लो।
तुर्की अभिनेत्री एसरा को पाकिस्तानी क्यों करते हैं पसंद
एसरा बिल्जीक तुर्की अभिनेत्री हैं। पाकिस्तान में काफी पॉपुलर हैं। इनकी पॉपुलैरिटी महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों के बीच हैं। इंस्टाग्राम पर जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। एसरा ने तुर्की सीरीज ‘दिरिलिस अर्तुगुल’ में काम किया है। जो नेटफ्लिक्स पर ‘रीसरेक्शन: अर्तुगुल' के नाम से मौजूद है। एसरा ने सीरीज के मुख्य किरदार अर्तुगुल की पत्नी हलीमा का रोल किया था। हलीमा के कैरेक्टर में वो मुस्लिम पहनावे में दिखती हैं। असल जिंदगी में वो काफी बोल्ड हैं। लेकिन पाकिस्तान के लोग रियल और रील लाइफ में फर्क नहीं कर पा रहे हैं। एसरा जब भी मुस्लिम पहनावे से इतर कुछ पहनकर फोटो डालती हैं, पड़ोसी मुल्क के मर्द उन्हें ट्रोल कर आते हैं।
एसरा ने 24 साल की उम्र में एक्टिंग डेब्यू किया। रीसरेक्शन: अर्तुगुल उनकी डेब्यू सीरीज है।
तुर्की सीरीज 'अर्तुगुल' पाकिस्तानियों के बीच क्यों फेमस है?
'अर्तुगुल गाजी' सीरीज ऑटोमन एम्पायर की गाथा के ऊपर बनी है। यह साल 2014 में तुर्की में रिलीज हुई थी। लेकिन लॉकडाउन के दौरान दुनिया भर में फेमस हुई। इस सीरीज को दुनिया भर में सराहा गया लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में ये जबरदस्त हिट रहा। इसके कैरेक्टर को लोगों ने खूब पसंद किया। यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने मुल्क के लोगों से इसे देखने के लिए कहा। इस सीरीज के 5 सीजन हैं, जिनमें लगभग साढ़े चार सौ एपिसोड हैं। सीरीज की पॉपुलैरिटी देखते हुए इसे कई भाषा में डब किया गया है।
- सखियों संग स्कूल पहुंचीं लड़कियां फफक कर रो पड़ीं, डेस्क से धूल हटाते ही आ गया तालिबान का फरमान
काबुल : शाम से ही बच्चियों ने स्कूल जाने की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त के महीने में तालिबान (Afghanistan Taliban) के सत्ता हथियाने के बाद लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गए थे। अब उन्हें फिर से सखियों से मिलने, क्लास में पढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने का मौका दिखा था। सुबह तैयार होकर वे अपने स्कूल जल्दी पहुंच गईं। काबुल के पश्चिम के इस स्कूल में हलचल थी। लड़कियों ने डेस्क से धूल हटाई ही थी कि टीचरों में कानाफूसी होने लगी। कुछ देर में लड़कियों के चेहरे भी उतर गए। दरअसल, स्कूल की टीचर्स ने उन्हें बताया कि तालिबान की ओर से फरमान आया है और अगले आदेश तक स्कूल फिर से बंद किए जा रहे हैं। यह सुनते ही लड़कियों की आंखों से आंसू बहने लगे। कुछ तो वहीं फफकते हुए जमीन पर बैठ गईं।
हम पढ़ना चाहते हैं। प्लीज, हमें पढ़ने दो... पहले वादा किया था कि स्कूल जाने देंगे, अब क्यों रोक रहे हैं.... मम्मी, वे हमें स्कूल नहीं जाने दे रहे। वे कह रहे कि लड़कियों को स्कूल में घुसने की परमिशन नहीं है। यह कैसा मुल्क है? हमारा गुनाह क्या है?
स्कूल बंद होने पर अफगान लड़कियों का दर्द
सईद उल शुहाद में करीब 200 लड़कियां पहुंच गई थीं। वैसे, पहले यह संख्या काफी ज्यादा हुआ करती थी। परिवारों में इस बात को लेकर काफी चर्चा हुई कि लड़कियों को स्कूल भेजना क्या सेफ रहेगा? बहुत से लोगों ने खतरा देख भेजा ही नहीं। 15 साल की मरजिया अपना बैग पैक करके आई थीं। स्कूल में फिर से ताला लगने की खबर मिलते ही उन्होंने बीबीसी से कहा, 'जब मैंने सुना कि स्कूल फिर से खुल रहे हैं तो काफी खुशी हुई। हम एक बार फिर अपने बेहतर भविष्य की उम्मीद लगाए थे, लेकिन अब क्या होगा।' पूरे अफगानिस्तान में पिछले साल से ही लड़कियों के केवल प्राइमरी स्कूल खुले हैं और लड़कों के सभी स्कूल चल रहे हैं।
नया एकैडमिक सेशन शुरू हुआ था, सेकेंडरी स्कूल की लड़कियां फिर से पढ़ने के लिए आई थीं। छात्राओं के चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ देखा जा सकता था। पिछले साल उनके 90 सहपाठियों और स्कूल स्टाफ की इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने हत्या कर दी थी। सकीना रोते हुए कहती हैं, 'वह पहला आत्मघाती धमाका था, जो मेरे इतने करीब हुआ। मेरे सामने कई लोगों के शव बिखरे पड़े थे... मैंने सोचा नहीं था कि मैं बच पाऊंगी।'
आंसू रोकते हुए उन्होंने आगे कहा, 'जिन लोगों ने हमला किया था उनसे हमारा बदला यही होगा कि हम पढ़ाई जारी रखें। हम अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं जिससे हम अपने शहीदों के सपनों को पूरा कर सकें।' नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला ने भी #LetAfghanGirlsLearn के साथ लड़कियों की शिक्षा की वकालत की है। उन्होंने कहा कि वे (तालिबान) लड़कियों को पढ़ने से रोकने के लिए बहाने ढूंढते हैं क्योंकि वे पढ़ी-लिखी लड़कियों और सशक्त महिलाओं से डरते हैं।
तालिबान के शिक्षा विभाग के एक स्थानीय अधिकारी ने प्रधानाध्यापक को व्हाट्सएप मैसेज भेजकर साफ-साफ कह दिया कि लड़कियों के सेकेंडरी स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे। यह सुनते ही लड़कियां रोने लगीं। वे जमीन पर बैठ गईं। उनके रोते हुए कई वीडियो वायरल हुए हैं। फातिमा ने बीबीसी से कहा कि हम केवल पढ़ना चाहते हैं और अपने लोगों की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'यह कैसा मुल्क है? हमारा गुनाह क्या है?'
कुछ लड़कियों ने तालिबान को संबोधित करते हुए सवाल भी पूछे हैं कि आप हमेशा इस्लाम की बातें करते हैं, क्या इस्लाम महिलाओं को इस तरह नुकसान पहुंचाने को कहता है?
- शौहर ने तलाक देने से किया इनकार, बीवी ने दे डाली न्यूड होकर ये काम करने की धमकी
दुबई: खाड़ी देश सऊदी अरब से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने तलाक के लिए अपने पति को अजीबोगरीब धमकी दे डाली. पत्नी की धमकी सुनकर पति के पास तलाक देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा.
पति को दी न्यूड होकर घूमने की धमकी
गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब की महिला ने अपने पति को धमकाया कि वो उससे तलाक ले ले. जब पति तलाक लेने के लिए राजी नहीं हुआ तो महिला ने उसे धमकी दी कि वो सड़कों पर न्यूड होकर घूमेगी. इसके बाद पति को मजबूरन उसे तलाक देना पड़ा.
शरिया कोर्ट में दाखिल की अर्जी
इसके बाद पति शरिया कोर्ट भी गया. उसने कोर्ट में केस दायर करते हुए तलाक रद्द करने की अर्जी दायर की. उसने कहा कि ये तलाक उसकी इच्छा के विरुद्ध था, लेकिन अदालत ने पुष्टि की कि तलाक के लिए शरिया का आधार पूरा हो गया था.
सऊदी अरब में बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
सऊदी अरब के सांख्यिकी प्राधिकरण (General Authority for Statistics) के अनुसार, सऊदी अरब ने हाल ही तलाक के मामलों में भारी बढ़त देखी गई है. डेटा के मुताबिक, वहां हर घंटे तलाक के सात मामले सामने आते हैं. ऑथोरिटी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में तलाक के मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
- Covid 4th wave से पहले वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी, Delta+Omicron से बचा सकती हैं ये पत्तेदार सब्जियां
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) को दो साल हो गए हैं और यह अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। कई देशों में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं और आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की चौथी लहर (Covid 4th wave) कभी भी आ सकती है। कोरोना का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है। फिलहाल वैक्सीन को ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है।
दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक कोरोना का इलाज खोज रहे हैं। कोरोना की चौथी लहर से पहले अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना के खिलाफ एक मजबूत हथियार की खोज की है। बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने एक लंबे अध्ययन में पाया है कि ब्रोकली और गोभी जैसी क्रूसीफेरस परिवार की सब्जियों में कुछ ऐसा रसायन पाया जाता है, जिसमें कोरोना और सामान्य सर्दी का कारण बनने वाले वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है।
यह अध्ययन अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिन्स चिल्ड्रन सेंटर के शोधकर्ताओं ने किया है। उन्होंने प्रयोगशाला प्रयोग करके रिपोर्ट दी है कि ब्रोकली और अन्य क्रूसिफेरस पौधों में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले यौगिक से प्राप्त एक रसायन कोविड-19 और सर्दी का कारण बनने वाले वायरस के खिलाफ एक संभावित नया और शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है।
नेचर जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में 18 मार्च को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पाया है कि सल्फोराफेन (Sulforaphane) पौधे से प्राप्त एक रसायन होता है, जिसे फाइटोकेमिकल के रूप में जाना जाता है। यह रसायन सार्स-कोव-2 को रोक सकता है। आपको पता होगा कि यही वायरस कोरोना वायरस का कारण बनता है।
सल्फोराफेन विशेष रूप से ब्रोकोली, गोभी, केल और ब्रसेल्स स्प्राउट्स में प्रचुर मात्रा में होता है। दशकों पहले जॉन्स हॉपकिन्स के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा पहली बार 'कीमोप्रिवेंटिव' यौगिक के रूप में पहचाना गया। नैचुरल सल्फोराफेन आम खाद्य स्रोतों से प्राप्त होता है, जैसे ब्रोकोली के बीज, अंकुरित और परिपक्व पौधे।
सल्फोराफेन खरीदने के खिलाफ चेतावनी
अध्ययन के परिणाम आशाजनक हैं फिर भी शोधकर्ताओं ने ऑनलाइन और दुकानों में उपलब्ध सल्फोराफेन की खुराक खरीदने के लिए जनता को सावधान किया है। उन्होंने कहा है कि रसायन के प्रभावी साबित होने से पहले मनुष्यों में सल्फोराफेन का अध्ययन आवश्यक है।
वैज्ञानिकों ने किया सिंथेटिक सल्फोराफेन का इस्तेमाल
चिल्ड्रन सेंटर के माइक्रोबायोलॉजिस्ट लोरी जोन्स-ब्रैंडो ने बताया कि मैं एंटी-कोरोनावायरस गतिविधि के लिए कई यौगिकों की जांच कर रहा था और सल्फोराफेन की कोशिश करने का फैसला किया क्योंकि इसने हमारे द्वारा अध्ययन किए गए अन्य माइक्रोबियल एजेंटों के खिलाफ मामूली गतिविधि दिखाई है। शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोगों में सिंथेटिक बाजार से खरीदे गए शुद्ध सिंथेटिक सल्फोराफेन का इस्तेमाल किया।