सिटी दर्पण ब्युरो, चंडीगढ़, 25 मार्चः पीजीआई चंडीगढ़ में 4000 अनुबंधित कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर दी। इसके बाद मरीजों को ओपीडी में प्रवेश की अनुमति मिल गई है। वह पर्ची कटवाने के लिए लाइन में लगने लगे हैं। सिक्योरिटी गार्ड भी काम पर लौट चुके हैं। पूछताछ काउंटर पर लोगों की भीड़ जुट रही है। सुबह से ही बड़ी तादाद में मरीजों व उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बवाल बढ़ता देख पीजीआई प्रशासन हरकत में आया और कर्मचारी यूनियन से बात कर हड़ताल खत्म करवाई।
कर्मचारी यूनियन ने यह कहा पीजीआई कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का कहना है कि रात करीब आठ बजे हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी मिली गई थी। सेक्टर 24 में रात 9:30 बजे बैठक कर हड़ताल न करने का फैसला लिया। बाकी सदस्यों को सूचित करने के लिए हम पीजीआई में जुटे। एकत्रित सभी सदस्यों को फैसले की जानकारी दी गई और सुबह नौ बजे उन्हें ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा गया। वहीं सुबह 09:10 बजे यूनियन ने डीपीजीआई का दौरा किया और निर्णय की जानकारी दी। पता नहीं कि पीजीआई प्रशासन ने ओपीडी बंद करने का फैसला क्यों किया और साथ ही जनहित याचिका दायर की? यह समझ से परे हैं।
बता दें कि पीजीआई में शुक्रवार को अनुबंध पर तैनात 4000 कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से ओपीडी से लेकर सभी व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। हड़ताल की सूचना न होने से दूरदराज से इलाज कराने पहुंचे मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किए गए सुरक्षाकर्मियों को धक्का देकर मरीज व उनके परिजन ओपीडी के अंदर तक पहुंच गए थे। कई जगहों पर बैरिकेडिंग भी तोड़ दी थी। वहीं दूसरी तरफ वार्ड में भर्ती मरीजों को भी समय से इलाज नहीं मिल पाया।
एडवांस आई सेंटर में बैठे मरीज
हर जगह गंदगी फैली थी। यहां तक कि बायो मेडिकल वेस्ट से लेकर वार्ड के अंदर मरीजों के इलाज में इस्तेमाल चिकित्सकीय सामान भी इधर-उधर फैला है। व्यवस्था संभालने के लिए पीजीआई प्रशासन के सारे प्रयास विफल रहे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गुस्साए मरीजों व उनके परिजनों ने सबसे पहले न्यू ओपीडी में बैरिकेडिंग को थोड़ा और दूसरी तरफ एडवांस आई सेंटर में भी मरीज सुरक्षाकर्मियों को धक्का देकर अंदर प्रवेश कर गए थे। जब लोग अंदर पहुंचे तो देखा कि इलाज की व्यवस्था ठप है।
जगह-जगह पड़ा मेडिकल कचरा।
बिजनौर से आए हैं, मेरे भाई के पैरों में समस्या है, वो चल नहीं पाता है। इसको दिखवाने हम यहां आए है़ं। सुबह पांच बजे से यहां इंतजार कर रहे है । -मोबिना, बिजनौर
मेरा आठ साल का बेटा अपने पैरों पर खडा नहीं हो पाता है। इसका इलाज कालका में चल रहा था। कोई फायदा न मिलने पर पीजीआई लेकर आए हैं। सुबह से इलाज की उम्मीद में बैठे हैं और धक्के खा रहे हैं। -मुन्ना, कालका
कैथल के रहने वाले धर्मपाल ने बताया कि दादा को लिवर में जख्म है और दिल की बीमारी है। गुरुवार को दो बजे यहां पहुंचे। मगर शाम को पता चला कि कर्मचारियों की हड़ताल है। डॉक्टर सोमवार और शुक्रवार को ही बैठते है। अब अगले हफ्ते ही आएंगे।
ये है हड़ताल की वजह समान काम समान वेतन की मांग को लेकर पीजीआई के 4000 अनुबंध कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। पीजीआई कर्मचारी संघ के अनुसार हाईकोर्ट में उनकी मांग मान लिए जाने के बावजूद पीजीआई प्रशासन उसे लागू करने में मनमानी कर रहा है। बार-बार अनुरोध करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। इससे पूर्व भी आठ मार्च को हड़ताल प्रस्तावित की गई थी लेकिन उस दौरान पीजीआई निदेशक ने कर्मचारी संघ से वार्ता कर सात दिनों में समान कार्य समान वेतन को लागू करने आश्वासन दिया था लेकिन 14 दिन गुजर जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है। इसके बाद कर्मचारियों ने 25 मार्च को हड़ताल का फैसला किया।
फोन पर परामर्श की सुविधा हालांकि स्थिति की गंभीरता को समझते हुए पीजीआई प्रशासन ने हड़ताल के दौरान ओपीडी और भर्ती की व्यवस्था बंद करते हुए केवल टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से परामर्श देने की व्यवस्था लागू की है लेकिन इससे मरीज नाखुश हैं। उनका कहना है कि बिना सूचना के मरीजों को बुलाकर परेशान किया गया है। अगर इतने दिनों से हड़ताल की तैयारी चल रही थी तो उन्हें फॉलो के मरीजों को फोन के द्वारा सूचित करना चाहिए था और दूरदराज से आए हजारों मरीज यहां-वहां भटक रहे हैं।
हाईकोर्ट ने मांगा है जवाब अनुबंध कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की सूचना पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीजीआई प्रशासन का कहना है कि हड़ताल की सूचना पर आसपास के प्रदेशों को मरीज ना रेफर करने का अनुरोध किया था।