- आज से रूबल में चुकानी होगी रूसी गैस की कीमत, पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों पर रूस का पलटवार, यूरोपीय देशों में हड़कंप
बर्लिन, रायटर। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि विदेशी खरीदारों को शुक्रवार से गैस की कीमत रूबल में चुकानी होगी, अन्यथा गैस आपूर्ति में कटौती शुरू कर दी जाएगी। रूस अब किसी को मुफ्त में गैस नहीं देगा। पुतिन की इस घोषणा से अमेरिका के साथ खड़े यूरोपीय देशों में हड़कंप मच गया है। जर्मनी पहले ही देश में आपातस्थिति लागू करने के संकेत दे चुका है। जर्मनी, ब्रिटेन सहित सभी यूरोपीय देश रूसी मुद्रा रूबल में गैस मूल्य के भुगतान से इन्कार कर चुके हैं। उन्होंने रूस पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है।
पुतिन ने आदेश पर किए हस्ताक्षर, न मानने पर रुकेगी गैस की आपूर्ति
राष्ट्रपति पुतिन ने गुरुवार को रूबल में भुगतान के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। टेलीविजन संदेश में पुतिन ने कहा है कि खरीदारों को अब रूसी बैंक में अपना खाता खुलवाना होगा और वहां पर गैस व तेल मूल्य का भुगतान रूबल में जमा कराना होगा। रूस यूरोपीय देशों की कुल खपत की 40 प्रतिशत गैस की आपूर्ति करता है। जर्मनी के लिए वह सबसे बड़ा गैस आपूर्तिकर्ता है। यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद जब अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूस पर प्रतिबंध लगा रहे थे, तभी माना जा रहा था कि रूस का पलटवार यूरोप पर बहुत भारी पड़ेगा। लेकिन इटली ने कहा है कि यूरोप ही रूसी गैस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, इसलिए उसे एकजुट होकर रूसी गैस और तेल का मूल्य निर्धारण करना चाहिए। इसके बाद उसी रियायती दर पर खरीदारी करनी चाहिए।
रूसी गैस पर निर्भरता कम नहीं कर पाया यूरोप
रूस के तेल और गैस कारोबार पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के दो सप्ताह से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन यूरोप के लिए रूस अभी भी तेल व गैस का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। रूस पर प्रतिबंधों में यूरोपीय देश भी शामिल हैं लेकिन वे खुद इन्हें लागू नहीं कर पाए हैं, क्योंकि रूसी तेल और गैस पर उनकी निर्भरता खत्म नहीं हो रही। रूसी गैस के सबसे बड़े आयातक देश जर्मनी ने रूबल में भुगतान करने से इन्कार कर दिया है लेकिन उसके हाथ-पांव फूल रहे हैं।
जर्मन सरकार ने देशवासियों से गैस के उपभोग में कमी लाने का अनुरोध किया है। साथ ही रूसी गैस की आपूर्ति बंद होने पर देश में आपातस्थिति लागू करने के संकेत दिए हैं। अमेरिका ने अपने रणनीतिक भंडार से 18 करोड़ बैरल तेल निकालकर खुले बाजार में बिक्री के लिए भेजा है। अमेरिका के इस कदम से तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य को नियंत्रित करने में मदद मिली है लेकिन उसके साथी यूरोपीय देशों को खास राहत नहीं मिली है। इस बीच गैस मूल्य को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका ने प्रयास शुरू करने के संकेत दिए हैं।
- पाकिस्तान: महिलाओं ने शिक्षिका का गला रेता, सपने में ईशनिंदा का आरोप
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के पश्चिमी ज़िले डेरा इस्माइल ख़ान में पुलिस ने बताया है कि एक मदरसे के दरवाज़े के बाहर कथित तौर पर तीन महिलाओं ने उस वक़्त एक युवा शिक्षिका की हत्या कर दी जब वो पढ़ाने के लिए पहुंची थी.
ये घटना मंगलवार की सुबह डेरा इस्माइल ख़ान के इलाक़े अंजुमाबाद में हुई जिसके बाद पुलिस ने तीन महिला अभियुक्तों को गिरफ़्तार करके जांच शुरू कर दी है. पीड़िता के चाचा की शिकायत के बाद दर्ज मुक़दमे की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक़ ये घटना मंगलवार की सुबह सात बजे हुई.
पीड़िता के चाचा ने पुलिस को बयान में बताया कि जिस मदरसे में उनकी भतीजी पढ़ाती थी वहां के मैनेजर ने सुबह उनके घर पर फ़ोन किया और बताया कि मदरसे के गेट पर उनकी भतीजी पर क़ातिलाना हमला हुआ है, जिसके बाद वो गंभीर रूप से ज़ख़्मी हालत में गली में ही पड़ी है.
डीपीओ डेरा इस्लाइल ख़ान ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि तीन महिलाओं ने मिलकर एक 21 साल की युवती को मदरसे के बाहर क़त्ल कर दिया.
उन्होंने बताया कि 'उन महिलाओं से शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि इन महिलाओं की एक और रिश्तेदार ने सपने में देखा था कि पीड़िता ने ईशनिंदा की है जिसकी वजह से उन्होंने क़त्ल किया.'
डीपीओ के मुताबिक़, 'हम अन्य एंगल से भी इस मामले की जांच कर रहे हैं रि क्या ये घटना किसी ख़्वाब की वजह से हुई या इसके पीछे कोई और वजह भी थी.'
'मदरसे पहुंचा तो भतीजी का गला कटा हुआ था'
पीड़िता के चाचा ने पुलिस को बयान में कहा है कि 'यह ख़बर मिलने के बाद मैं फ़ौरन पहुंचा तो भतीजी को मदरसे के गेट के साथ ख़ून में लथपथ पाया. उसका गला कटा हुआ था उसकी मौत हो चुकी थी.'
पीड़िता के चाचा के मुताबिक़, उनको पता चला कि हमेशा की तरह जब उनकी भतीजी रिक्शे पर मदरसे पहुंची तो वहां पहले से ही मदरसे की यूनिफ़ॉर्म में कुछ महिलाएं मौजूद थीं जिन्होंने कथित तौर पर तेज़धार हथियार से हमला किया और उनकी भतीजी का गला काट दिया. उनके मुताबिक़ घटना के चश्मदीदों में स्थानीय लोग भी शामिल थे.
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक़, पीड़िता के चाचा ने कहा है कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है कि उनकी भतीजी और अभियुक्तों में दुश्मनी किस बात पर थी.
पुलिस अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि पीड़िता के पिता और भाई विदेश में रहते हैं इसलिए उनके चाचा ने पुलिस को बयान दिया है.
कुछ और जानिए
पीड़िता जिस मदरसे में पढ़ा रही थीं उस मदरसे के मैनेजर मौलाना शफ़ीउल्लाह ने बीबीसी को बताया कि पीड़िता बीते दो साल से उनके मदरसे से जुड़ी हुई थी. मौलाना शफ़ीउल्लाह का दावा है कि अभियुक्त एक दूसरे मदरसे की छात्राएं और शिक्षिकाएं थीं.
पुलिस के मुताबिक़ अभियुक्त महिलाओं में दो बहनें और एक उनकी कज़न है जिनमें से एक ख़ुद भी शिक्षिका है.
क़त्ल को धार्मिक रंग देने की कोशिश
पुलिस के मुताबिक़, इस क़त्ल की वजह ईशनिंदा बताई जा रही है लेकिन उन्हें अब तक ऐसा कोई चश्मदीद नहीं मिला जो ईशनिंदा की पुष्टि कर सके.
मदरसे के मैनेजर मौलाना शफ़ीउल्लाह ने बीबीसी से बात करते हुए किसी क़िस्म की ईशनिंदा से इनकार किया है.
पुलिस की ओर से पीड़िता की पोस्टमॉर्टम का इंतज़ाम किया जा रहा है जबकि मुक़दमा दर्ज होने के बाद जांच जारी है.
ग़ौरतलब है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के दौरान डेरा इस्माइल ख़ान शहर और उसके क़रीबी इलाक़ों में हिंसा की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
शहर में कुछ समय से टार्गेट किलिंग की घटनाओं में भी इज़ाफ़ा देखा गया है. एक दिन पहले ही कुलाची के इलाक़े में एक पुलिस अधिकारी को घर के दरवाज़े पर फ़ायरिंग करके हत्या कर दी गई थी.
- गर्मी की रातों में हार्ट डिजीज से होने वाली मौतें ज्यादा, पुरुषों को अधिक खतरा - स्टडी
आजकल की लाइफस्टाइल में हार्ट से जुड़ी बीमारियां बहुत कम उम्र में ही शरीर में घर कर जाती है. दरअसल अनियमित खान-पान की आदतें और कम होती फिजिकल एक्टिविटी इसकी बड़ी वजह रही है. लेकिन अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि दिल से जुड़ी बीमरियों (cardiovascular disease) यानी सीवीडी से होने वाली मौत का एक कारण गर्मी भी हो सकती है. बीएमजे (BMJ) ओपन नामक जर्नल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, गर्मियों की रात में तापमान बढ़ने से पुरुषों को दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक से मौत का खतरा अधिक होता है. इस स्टडी के अनुसार यदि सामान्य गर्मी के ऊपर तापमान में केवल एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से ही ये आशंका लगभग चार फीसदी तक बढ़ जाती है. स्टडी में दावा किया गया है कि खतरा केवल 60 से 65 साल की आयु वाले पुरुषों को ही प्रभावित करता है. महिलाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता. ब्रिटेन में पिछले 15 वर्षों में हार्ट डिजीज से संबंधित 40 हजार मौतों पर हुई स्टडी में ये निष्कर्ष सामने आया है.
रिसर्चर्स का कहना है कि अब गर्मियों की रातें ज्यादा गर्म हो रही हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है. ऐसे में स्टडी के नतीजे चिंता पैदा करने वाले हैं. आने वाले समय में इस वजह से मौतें बढ़ सकती हैं. गर्म मौसम हार्ट के लिए जोखिम वाला माना जाता है. विशेष रूप से पहले से ही हार्ट से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए ये ज्यादा रिस्की होता है.
कैसे हुई स्टडी
रिसर्चर्स ने इंग्लैंड (England) और वेल्स (Wales) में 2001 और 2015 के बीच हर साल जून और जुलाई के महीनों के लिए सीवीडी यानी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) के लिए जिम्मेदार वयस्क मौतों पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Office for National Statistics ) से लिए गए डेटा का अध्ययन किया, क्योंकि यूके में हीटवेव (Heat Wave) इन महीनों के दौरान सबसे ज्यादा बार और तीव्र होती हैं.
शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड और वेल्स के समानांतर अक्षांश पर स्थित वाशिंगटन के किंग काउंटी (King County) के लिए भी आधिकारिक यूएसए डेटा से संबंधित जानकारी इकट्ठा की. किंग काउंटी भी एक समान समुद्र का सामना करने वाला क्षेत्र और इंग्लैंड-वेल्स की तरह यहां भी घरों में एसी का कम यूज होता है. हालांकि, अमेरिकी डेटा में केवल पुरुष शामिल थे. इसके अलावा, उन्होंने यूके और यूएसए के आधिकारिक मौसम संबंधी आंकड़ों को देखा. परिणामों से पता चला कि 2001 और 2015 के बीच, इंग्लैंड और वेल्स में 39,912 सीवीडी मौतें (68.9% पुरुष) दर्ज की गईं और किंग काउंटी में 488 मौतें हुईं.
65 पार वालों पर नहीं असर
स्टडी के अनुसार, 65 साल से ज्यादा उम्र वाले पुरुषों में रात में गर्मी की वजह से मौत का रिस्क नहीं पाया गया है. शोधकर्ता फिलहाल इस वजह को समझ नहीं सके हैं. वहीं, 60 से 65 की उम्र वाली महिलाओं में भी ये समस्या नहीं देखी गई. ऐसे में रिसर्चर्स अब महिलाओं पर इस रिस्क की अलग से स्टडी करने पर विचार कर रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार
ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए गर्म मौसम के खतरों को बताने वाले इस स्टडी का स्वागत किया. विशेषज्ञों ने कहा, पिछले 10 सालों में गर्मियों की रात में तापमान का बढ़ना अधिक रिकॉर्ड किया गया है. ऐसे में इस स्टडी के जरिये भविष्य में इससे बचने के उपाय निकाले जा सकते हैं.
रिसर्चर्स का कहना है कि रात में सोते वक्त एयर कंडीशनर (AC) का प्रयोग, कमरों को गर्म होने से बचाने के लिए पर्दों का इस्तेमाल और सही मात्रा में पानी पीने से इस रिस्क से बचा जा सकता है.
- रूस ने दी अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता, दुनिया के अन्य देशों से की अपील
मास्को, प्रेट्र। रूस ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से काबुल में मौजूद नई सरकार को सक्रियता से सहयोग करने की अपील की है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बताया कि रूस के विदेश मंत्रालय ने मास्को में भेजे गए पहले राजनयिक को मान्यता दे दी है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी इतरतास के अनुसार रूस पहला ऐसा देश बन गया है जिसने अफगानिस्तान को मान्यता दे दी है। रूस के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि पिछले माह मास्को में तैनात हुए तालिबानी सरकार के पहले राजदूत को उनके देश ने मान्यता दे दी है। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने यह जानकारी अपने सहयोगी देशों चीन, ईरान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान से साझा की है।
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की अफगान सरकार को मान्यता देने की अपील
चीनी शहर तुनेक्सी में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के तीसरे मंत्री स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मास्को की ही तरह तालिबान सरकार तेहरान, दोहा, ओस्लो और अंतालिया में भी अपने विदेशी साझीदारों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर संपर्क में रहती है। लावरोव ने कहा कि रूस ने महसूस किया है कि धीरे-धीरे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने क्षेत्र के अन्य देशों के साथ आर्थिक सहयोग में सुधार किया है। इससे इस देश में रुचि बढ़ती है। इन संपर्कों से अफगानिस्तान के नए प्रशासन को अंतराष्ट्रीय मान्यता मिलने का रास्ता खुलता है।
उन्होंने बताया कि तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ उन्होंने बैठक की है। हमें लगता है कि अन्य देशों को भी तालिबान सरकार को मान्यता देनी चाहिए, ताकि उसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिल सके। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। लेकिन उसकी सरकार को अभी तक किसी भी देश ने औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। इस बीच, ब्रिटेन, जर्मनी और कतर के समर्थन वाले संयुक्त राष्ट्र के सहायता संयोजन कार्यालय ने अफगानिस्तान को 4.4 अरब डालर की सबसे बड़ी सहायता देने के लिए धन एकत्र करने की उम्मीद जताई है।
अफगानी खनिज के लालच में चीन की तालिबान सरकार को मान्यता की कोशिश
बीजिंग, एएनआइ : चीन तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की सरकार को मान्यता देने की हड़बड़ी में नजर आ रहा है। उसकी नजर अब युद्धग्रस्त देश के खनिजों के खजाने पर है। इन दुलर्भ तत्वों और खनिजों की कीमत तीन लाख करोड़ डालर आंकी गई है। चीन अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के जरिये एक अवसरवादी देश के रूप में अफगानिस्तान के खराब हालात का भरपूर फायदा उठाते हुए अफगानिस्तान में भी इस योजना का जाल फैलाने का मन बनाया है।