दर्पण न्यूज़ सर्विस
जालंधर, 25 सितंबरः एक बार फिर अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर यहां के प्रसिद्ध लंगूर मेला के लिए तैयार है। मेला श्री दुर्ग्याणा तीर्थ परिसर में बने श्री बड़ा हनुमान मंदिर में लगता है। कहते हैं कि इस चमत्कारिक मंदिर में आकर जो भी पुत्र प्राप्ति की कामना करता है, उसकी इच्छी पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर हर साल दंपती इस मंदिर में आते हैं लाल व सिल्वर गोटे वाले चोले में बच्चों को लंगूर के रूप में सजाते हैं।
26 सितंबर को पहले नवरात्र से शुरू होकर अगले दस दिन दशहरा तक श्री लंगूर मेला में हजारों बच्चे लंगूर बनकर मंदिर में माथा टेकेंगे। मान्यता है कि जो लोग यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं, उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है। संतान होने के बाद वह अपने बच्चों को लंगूर बनाकर माथा टिकवाते हैं।
सिर पर टोपी के साथ लाल व सिल्वर गोटे वाले परिधान पहने हजारों बच्चे हाथों में बाल गदा लेकर अद्भुत दृश्य प्रस्तु करते हैं। इस बार भी करीब पांच हजार परिवारों के बच्चे लंगूर बनेंगे। हर साल शारदीय नवरात्र के पहले दिन यह लंगूर मेला शुरू होता है। सोमवार को छड़ी पकड़े हुए बच्चे पांव में छम-छम करती घुंघरू की आवाज के साथ ढोल की थाप पर जय श्रीराम के जयकारे लगाते हुए दिखेंगे।
इस बार भी करीब 5000 परिवारों के बच्चे बनेंगे लंगूर
बताया जाता है कि इस बार 5000 हजार से अधिक बच्चे लंगूर बनेंगे। इस दौरान लंगूर बनने वाले बच्चों को मंदिर परिसर में स्नान करवाया जाएगा। उसके बाद उनको पहनाए जाने वाले वस्त्रों की पूजा अर्चना की जाएगी। उसके बाद बच्चों को वस्त्र पहनाए जाएंगे तथा 10 दिन तक धार्मिक परंपरा को निभाने का प्रण किया जाएगा। बता दें कि पिछले दो वर्ष कोरोना के कारण लंगूर बनने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई थी लेकिन इस बार उसकी भरपाई होती दिख रही है।
मंदिर में है हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा
यह मंदिर रामायण काल का माना जाता है। यहां हनुमान जी की प्रतिमा बैठी अवस्था में है। कहते हैं यह प्रतिमा खुद प्रकट हुई थी। लव-कुश का युद्ध जब श्री राम की सेना के साथ हुआ था तो उन्होंने हनुमान जी को यहीं पर वट वृक्ष से बांध दिया था। उक्त वृक्ष आज भी मंदिर में विद्यमान है।
श्री दुर्ग्याणा तीर्थ स्थित बड़े हनुमान जी।
मंदिर का इतिहास
श्री दुर्ग्याणा तीर्थ परिसर के नजदीक श्री बड़ा हनुमान मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्री रामायण काल का बताया जाता है। मंदिर में श्री हनुमान जी की बैठी हुई अवस्था की प्रतिमा है। मान्यता है कि यह प्रतिमा श्री हनुमान जी ने स्वयं बनाई थी। लव कुश ने जब भगवान श्री राम की सेना के साथ युद्ध किया था, तब लव कुश ने इसी मंदिर में श्री हनुमान जी को वट वृक्ष से बांध दिया था। यह वटवृक्ष आज भी मंदिर में सुशोभित है।
बच्चों और अभिभावकों के कठिन नियम
- लंगूर बने बच्चों को प्रतिदिन दो समय माथा टेकना होता है।
- जमीन पर सोना, जूते-चप्पल नहीं पहनना
- चाकू की कटी हुई कोई चीज नहीं खाना
- लंगूर बने बच्चे अपने घर के अलावा किसी और के घर में नहीं जा सकते
- लंगूर बनने वाला बच्चा नहीं चला सकता कैंची व सुई
- विजयदशमी को वह रावण व मेघनाद के पुतलों को तीर मारता है
- अगले दिन छोटे हनुमान मंदिर में अपना चोला उतारता है