दर्पण न्यूज़ सर्विस
नई दिल्ली, 27 सितंबरः महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए गेंद चुनाव आयोग (Election Commission) के पाले में डाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की अर्जी को खारिज करते हुए चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने मंगलवार 27 सितंबर को कहा कि भारत का निर्वाचन आयोग महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) के गुट को ‘असली’ शिवसेना के तौर पर मान्यता देने तथा उसे पार्टी का धनुष-बाण का चुनाव चिह्न आवंटित करने के मुद्दे पर 'बहुमत के नियम’ की पारदर्शी प्रक्रिया लागू करेगा.
सीईसी ने दिया ये बयान
उन्होंने यह बयान तब दिया है जब सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई जारी रखने की अनुमति दे दी है. सीईसी ने कहा कि निर्वाचन आयोग के पास ‘बहुमत के नियम’ की पारदर्शी प्रक्रिया है और वह मामले पर गौर करते हुए इसे लागू करेगा.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पहले ही एक स्थापित प्रक्रिया है. वह प्रक्रिया हमें अधिकार देती है और हम ‘बहुमत का नियम’ लागू करके इसे बेहद पारदर्शी प्रक्रिया के तौर पर परिभाषित करते हैं. जब भी हम इस मामले पर गौर करेंगे तो ‘बहुमत का नियम’ लागू करेंगे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ने के बाद यह किया जाएगा. वह आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के संबंध में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए गांधीनगर में थे.
शिंदे गुट का तर्क
शिंदे गुट का तर्क है कि शिवसेना के ज्यादातर विधायक और सांसद उनके खेमे का हिस्सा हैं, इसलिए शिवसेना का चुनाव चिन्ह उन्हें दिया जाना चाहिए. इस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार (Rajeev Kumar) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. मुख्य चुनाव आयुक्त ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अपील पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आयोग बहुमत के शासन की पारदर्शी प्रक्रिया लागू करेगा.
महाराष्ट्र में मचे सियासी संकट के बीच असली शिवसेना (Shiv Sena) को लेकर शिंदे और उद्धव गुट के बीच जुबानी जंग जारी है. इस बीच मंगलवार 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह फैसला लेने की अनुमति दे दी कि कौन सा धड़ा असली है और किसे शिवसेना का चुनावी चिन्ह दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को खारिज कर दिया.
शिंदे गुट ने की थी याचिका दायर
एकनाथ शिंदे ने उनके गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और पार्टी के चुनाव चिह्न और तीर को उन्हें आवंटन के लिए याचिका दायर की थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के अनुरोध पर शिवसेना के चुनाव चिन्ह के मुद्दे पर अंतरिम राहत के लिए 25 अगस्त को मामला संविधान पीठ के सामने रखा था. उद्धव ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे गुट के मान्यता के दावे पर चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी.
सत्ता परिवर्तन कर सीएम बने शिंदे
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे ने जून के महीने में बीजेपी की मदद से उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था और 30 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. जिसके बाद से ही महाराष्ट्र में असली शिवसेना किसकी इसे लेकर उद्धव और शिंदे के गुट की बीच जंग जारी है.