दर्पण न्यूज़ सर्विस
नई दिल्ली, 27 सितंबरः रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और पाकिस्तान के तत्कालीन PM इमरान खान की ये तस्वीर 24 फरवरी 2022 की है। इमरान खान तब रूस के दौरे पर थे। उनके मॉस्को पहुंचे कुछ ही घंटे बीते थे कि रूसी सेना ने यूक्रेन के कई शहरों में हमले शुरू कर दिए।
उस वक्त इमरान का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे कह रहे थे- ‘कितना सही वक्त पर रूस आया हूं।’ तब इमरान ने अमेरिका के खिलाफ जाकर रूस से दोस्ती की थी। हालांकि, इसके कुछ ही महीने बाद इमरान खान खुद सत्ता से बेदखल कर दिए गए थे।
अब वही पाकिस्तान रूस के खिलाफ खतरनाक हथियारों को यूक्रेन पहुंचाने में अमेरिका और पश्चिमी देशों की मदद कर रहा है।
आइए समझते हैं...
10 दिनों तक पाकिस्तान से यूक्रेन भेजे गए खतरनाक हथियार
जियोपॉलिटिका डॉट इंफो के मुताबिक 6 अगस्त से 15 अगस्त तक यानी 10 दिनों तक ब्रिटेन रॉयल एयरफोर्स की बोइंग C-17ए ग्लोबमास्टर III को पाकिस्तानी हवाई अड्डे पर लैंड करते देखा गया। कॉल साइन ZZ173 वाले इस विमान ने यूक्रेन और रोमानिया जाने के लिए ईरान और अफगानिस्तान एयरस्पेस से होकर जाने वाले रास्ते के बजाय पश्चिमी एशिया के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया। ये विमान 77,000 किलोग्राम भार तक ले जाने में सक्षम है।
इतना ही नहीं रिपोर्ट में पाकिस्तानी एयरफोर्स के भी कई विमानों के रोमानिया हवाई अड्डे पर लैंड करने की बात कही गई है। हालांकि, अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इन विमानों में कौन-कौन से हथियार भेजे जा रहे हैं।
कुछ एक्सपर्ट्स का जरूर मानना है कि इन विमानों के जरिए पाकिस्तानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बने 122 MM के HE आर्टिलरी गोले और 155 MM के आर्टिलरी गोले यूक्रेन को भेजे जा रहे हैं।
उस वायरल वीडियो को देखिए जिसमें खतरनाक हथियारों का जखीरा पाकिस्तान से यूक्रेन भेजने के दावे किए जा रहे हैं…
अब यूक्रेन भेजे जा रहे गोलों की खासियत पर एक नजर
23 किलोमीटर दूर टारगेट को तबाह कर देता है 155 MM गोला
155 MM आर्टिलरी गोले का इस्तेमाल होवित्जर तोपों में किया जाता है। RDX भरे ये गोले करीब 23 किलोमीटर दूरी अपने टारगेट को बर्बाद करने में सक्षम होते हैं। बम-गोले बनाने वाली कंपनी MSM ग्रुप के मुताबिक दुनिया के 18 देशों की सेना इसका इस्तेमाल करती है।
इसी तरह 122 MM HE गोले 15 किलोमीटर की दूरी तक टारगेट को मार गिराने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 60 से ज्यादा देशों की सेना इस गोले का इस्तेमाल करती है।
यूक्रेन को लेकर पाकिस्तान की पॉलिसी कैसे बदली, इसे ऐसे समझते हैं...
यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से रूस और चीन के करीब था। इसके बाद अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार गिर गई और शहबाज शरीफ PM बने।
इसके बाद 11 अगस्त को पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ब्रिटेन पहुंचे। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान वे न सिर्फ ब्रिटेन के बड़े अधिकारियों से मिले, बल्कि यूक्रेन के सीनियर अधिकारियों से भी उनकी मुलाकात हुई।
बाजवा के दौरे से क्या बदला, 4 पॉइंट्स में समझिए
1. दौरे के कुछ दिन बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा, ‘जंग के बुरे वक्त में यूक्रेन को पाकिस्तान का साथ मिला है। पाकिस्तान के साथ रिश्तों में काफी संभावनाएं हैं और इन्हें तलाशा जाना चाहिए।’
2. पाकिस्तान मूल के यूक्रेनी बिजनेसमैन मोहम्मद जहूर ने रूस के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन सरकार को 2 फाइटर जेट खरीदकर दिए।
3. जनरल बाजवा पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख हैं, जिन्हें रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट में पासिंग आउट परेड के दौरान ब्रिटेन की रानी के संप्रभु प्रतिनिधि होने का सम्मान दिया गया है।
4. 20 अगस्त को अमेरिकी सेंट्रल कमांड के कमांडर और बड़े सैन्य अधिकारी जनरल माइकल एरिक कुरिला ने पाकिस्तान का दौरा किया। इस दौरान दोनों के बीच सुरक्षा सहयोग की बात सामने आई।
वैश्विक स्तर पर जियो-पॉलिटिक्स में बदलाव के नए संकेतों को इन 5 घटनाओं से समझा जा सकता है…
1. 20 सितंबर से शुरू हुई UNGA यानी संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत, चीन और रूस के राष्ट्रपति ने शिरकत नहीं की। जबकि अमेरिका इस कार्यक्रम में PM नरेंद्र मोदी की भी मौजूदगी चाहता था।
2. UNGA बैठक में अनौपचारिक तौर पर पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाकात हुई।
3. ब्रिटेन दौरा सफल रहने के बाद अब पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा जल्द ही अमेरिका का दौरा करने वाले हैं।
4. भारत में रूस के राजदूत देनिस अलिपोव ने कहा, ‘पाकिस्तान हथियार यूक्रेन भेज रहा है, हम इसकी जांच कर रहे हैं।’ ये बात सही साबित होती है, तो पाकिस्तान को इसका परिणाम भुगतना होगा। इसे चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
5. चीन इस जंग में रूस के साथ रहा है और अपने 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज तले दबे पाकिस्तान से भी वह यही उम्मीद करता है। ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं। ऐसे में वह चाहता है कि पाकिस्तान, अमेरिका और पश्चिमी देशों से दूर रहे।
पाकिस्तान
जियोपॉलिटिका डॉट इंफो की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को देखते हुए 2 बड़ी जिम्मेदारी कमर जावेद बाजवा को सौंपी है…
पहली: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के प्रतिबंधों को कम करने की जिम्मेदारी।
दूसरी: नई जियो-आर्थिक नीति बनाने की जिम्मेदारी।
भारत के लिए पाकिस्तान के इस कदम के क्या मायने हैं...
1990 का दौर, जब सोवियत रूस से टूटकर नया देश यूक्रेन बना। तब भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था, जिसने दिसंबर 1991 में यूक्रेन को देश का दर्जा दिया। भारत और यूक्रेन के बीच 17 द्विपक्षीय समझौते भी हुए, लेकिन जब बारी दोस्ती निभाने की आई, तो यूक्रेन ने पाकिस्तान का साथ दिया।
कब-कब यूक्रेन ने किया भारत का विरोध 4 पॉइंट्स में समझिए...
1. साल 1998 में तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने परमाणु परीक्षण किया। उस वक्त यूक्रेन ने 25 देशों के साथ मिलकर भारत का विरोध किया।
2. यूक्रेन ने भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें परमाणु परीक्षण रोकने की बात कही गई थी।
3. कश्मीर मामले में भी यूक्रेन ने कहा कि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए। जबकि, भारत इस मामले में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं चाहता है।
4.भारत बहुत हद तक डिफेंस डील के लिए रूस पर निर्भर है। ठीक उसी तरह पाकिस्तान यूक्रेन पर निर्भर है। लंबे समय से पाकिस्तान, यूक्रेन का कस्टमर रहा है। 2017 में भारत के विरोध के बाद भी यूक्रेन ने पाकिस्तान को 320 T-80 टैंक भेजे थे।