दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 28 सितंबरः कुपोषण विशेषकर देश में बच्चों और महिलाओं के कमजोर वर्गों के बीच एक बड़ी चुनौती के रूप में निरंतर बना रहा है। यही नहीं, पूरी दुनिया में कुपोषण के कुछ सबसे खराब आंकड़े अपेक्षाकृत रूप से भारत के ही थे। वर्ष 1992-1993 में प्रथम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में यह पाया गया कि भारत भी बाल स्वास्थ्य संकेतकों के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक था।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ‘पूरक पोषण कार्यक्रम’ सहित एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) जैसे प्रणालीगत उपायों और कार्यक्रमों के जरिए कुपोषण की समस्या को दूर करने को निरंतर लक्षित करता रहा है जिसके तहत सबसे कमजोर वर्गों, अर्थात 6 साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों को स्वास्थ्य पूरक भोजन/फोर्टिफाइड राशन उपलब्ध कराया जाता है।
कुपोषण से लक्षित तरीके से निपटने के प्रयासों के तहत ‘समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना’ या पोषण अभियान वर्ष 2018 में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य अल्पपोषण, उम्र के हिसाब से छोटा कद होने, एनीमिया, जन्म के समय बच्चे का कम वजन होने, इत्यादि कमियों को मिशन मोड में दूर करना है। सहयोगी मंत्रालयों/विभागों के साथ संबंधित प्रयासों में सामंजस्य स्थापित करना, समुदाय आधारित कार्यक्रमों के जरिए व्यवहार में बदलाव लाने संबंधी संचार पर ध्यान केंद्रित करना, और जन आंदोलन के साथ-साथ प्रभावकारी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, इत्यादि इस अभियान के मुख्य उपाय हैं।
माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने सेवा मुहैया कराने में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में प्रौद्योगिकी की क्षमता पर बार-बार विशेष जोर दिया है। इसी अभिनव भावना के अनुरूप ‘पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन’ को वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया। पोषण ट्रैकर ऐप को देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों से आईसीडीएस के तहत कुपोषण और सेवा उपलब्धता से संबंधित डेटा/रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने की दृष्टि से लॉन्च किया गया था, जिससे लगभग वास्तविक समय में निगरानी करने और लक्षित उपायों के लिए नीतियां बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
पोषण अभियान के तहत पहली बार आंगनबाड़ी केन्द्रों/कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन से लैस किया गया। बच्चों में उम्र के हिसाब से छोटा कद होने, कद के अनुसार बच्चे का वजन न होने, बेहद कम वजन होने की समस्याओं की पहचान तेजी से करने और अंतिम लाभार्थी को पोषण सेवा मुहैया कराने की निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर से जुड़ी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
9.8 करोड़ से भी ज्यादा लाभार्थियों को कवर करने वाले 13.9 लाख से अधिक कार्यरत आंगनबाड़ी केंद्रों से दैनिक डेटा एकत्र करते हुए पोषण ट्रैकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सेवाएं मुहैया कराने और बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पूर्ण लाभार्थी प्रबंधन सहित निर्धारित संकेतकों पर सभी आंगनबाड़ी केंद्रों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों की वास्तविक समय पर निगरानी और ट्रैकिंग को संभव करता है। पोषण ट्रैकर पर्यवेक्षकों और कार्यक्रम अधिकारियों को प्रगति की निगरानी करने और सेवा मुहैया कराने की आपूर्ति श्रृंखला में निहित कमी को पूरा करने के लिए वेब-आधारित डैशबोर्ड तक पहुंचने में भी मदद करता है। वास्तविक समय पर इस निगरानी के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों को ट्रैक किया जाता है जिससे इस कार्यक्रम की प्रगति का समग्र अवलोकन हो जाता है। यह हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
अंतिम छोर के लाभार्थी को पोषण सेवा मुहैया कराने की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय निरंतर प्रयासरत रहा है। इसे सुनिश्चित करने के लिए पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत लाभार्थियों को ‘आधार’ से जोड़ा जाता है। यदि किसी बच्चे का ‘आधार’ उपलब्ध नहीं है, तो इसे मां के ‘आधार’ से जोड़ने की सुविधा का प्रावधान की गई है। लाभार्थियों को ‘आधार’ से जोड़ने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि अंतिम लाभार्थी को पोषण सेवा मुहैया कराने की निगरानी एवं ट्रैक करने की अच्छी व्यवस्था है और संबंधित सेवा किसी और को मुहैया करा देना यानी कोई लीकेज या फर्जी प्रविष्टि संभव नहीं है। अब तक लगभग 82 प्रतिशत लाभार्थियों को ‘आधार’ से जोड़ा जा चुका है।
इसके अलावा, पोषण ट्रैकर ने माइग्रेशन मॉड्यूल को सक्षम करके सही मायनों में आंगनबाड़ी सेवाओं के सार्वभौमीकरण को संभव कर दिया है। ट्रैकर में निहित माइग्रेशन मॉड्यूल से लाभार्थी के रिकॉर्ड को या तो एक राज्य के भीतर या एक राज्य से दूसरे राज्य में एक आंगनबाड़ी केंद्र से दूसरे आंगनबाड़ी केंद्र में निर्बाध रूप से स्थानांतरित करना संभव हो गया है। अत: ऐसे में लाभार्थी देश भर में कहीं से भी संबंधित पोषण सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
निर्णय लेने और सेवाओं का लाभ उठाने हेतु प्रोग्राम डिजाइन में बदलाव करने के लिए डेटा एवं सबूत और फीडबैक लूप अत्यंत आवश्यक हैं। पोषण ट्रैकर न केवल डेटा ट्रैकिंग व्यवस्था है, बल्कि इससे पोषण कार्यक्रम और इसकी सेवा मुहैया कराने की दक्षता और प्रभावशीलता की वास्तविक समय पर निगरानी करना संभव हो जाता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आरसीएच पोर्टल जैसे अन्य प्रोग्रामेटिक टूल के साथ पोषण ट्रैकर का एकीकरण करने से लाभार्थियों के स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों की समग्र तस्वीर सामने आ पाएगी।
पोषण ट्रैकर को लॉन्च किए हुए अभी सिर्फ 1.5 साल ही हुए हैं। 13 लाख से भी अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों से हर दिन बड़ी संख्या में प्राप्त होने वाले डेटा का संचालन किए जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि जब इस पूरे सिस्टम में स्थिरता आ जाएगी, तो पोषण संबंधी परिणामों का आकलन करने संबंधी पोषण ट्रैकर की क्षमता असीमित हो जाएगी। शायद दुनिया के किसी भी अन्य देश में इतने बड़े पैमाने पर इस तरह का लक्षित या केंद्रित कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है। अब तक अल्पपोषण का डेटा एनएफएचएस की रिपोर्टों के माध्यम से उपलब्ध था, जो कि समय-समय पर पेश की जाती हैं और इनके तहत परिवारों के एक सैंपल को कवर किया जाता है। हालांकि, आंगनबाड़ी सेवाओं के तहत पंजीकृत प्रत्येक लाभार्थी के स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों को एकत्रित करना और निगरानी करना अभूतपूर्व है जिससे इसके लिए बेहतर और कहीं अधिक प्रभावकारी उपाय करना संभव हो जाता है।
माननीय प्रधानमंत्री ने बार-बार यह कहा है कि प्रौद्योगिकी से लोगों का जीवन बदल जाता है। गरीबी कम करने से लेकर विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल बनाने तक, और भ्रष्टाचार को समाप्त करने से लेकर बेहतर सेवाएं मुहैया कराने तक प्रौद्योगिकी सर्वव्यापी है। इस तरह से यह मानव की प्रगति का सबसे महत्वपूर्ण साधन बन गई है।
भारत अपनी विशाल युवा आबादी और मानव पूंजी या संसाधन का लाभ तभी उठा सकता है जब उसके यहां के सभी बच्चे एवं युवा स्वस्थ और सुपोषित या पोषण से परिपूर्ण होंगे। हमारा यह स्पष्ट मानना है कि कुपोषण न केवल संबंधित पीड़ित बच्चे से ही जुड़ी समस्या है, बल्कि इससे संबंधित परिवार और समाज का भी बोझ बढ़ जाता है और इसके साथ ही देश में समस्त सामाजिक-आर्थिक समूह इससे प्रभावित होते हैं। जब एक सुदृढ़ और स्वस्थ आबादी को सुनिश्चित करने की बात आती है, तो सही पोषण के साथ-साथ प्रौद्योगिकी में सही प्रगति होने से कुपोषण को दूर करने और इसके दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोकने में व्यापक मदद मिल सकती है। संपूर्ण पोषण और समग्र स्वास्थ्य जागरूकता के मिशन का प्रचार-प्रसार करके हम भारत के बच्चों और महिलाओं का सेहतमंद भविष्य सुनिश्चित कर रहे हैं।