दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 29 सितंबरः पंजाब के मोहाली जिले के मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू को स्थानीय निकाय विभाग द्वारा उनकी सदस्यता रद्द किए जाने संबंधी मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा है। स्थानीय निकाय विभाग ने मेयर जीती सिद्धू को उनकी सदस्यता रद्द करने संबंधी नोटिस जारी किया था, लेकिन सिद्धू ने नोटिस का जवाब देने की बजाय उसे रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे न्यायधीश सुधीर मित्तल की कोर्ट ने डिसमिस कर दिया है।
हालांकि, मामले में विस्तृत आदेश आने अभी बाकी हैं। मेयर ने अदालत में याचिका दायर करके उन्हें जारी किए नोटिस को निराधार बताते हुए उसे रद्द किए जाने के लिए याचिका लगाई थी। सरकारी वकील द्वारा भी पक्ष रखा गया था। अदालत ने दोनों पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपीलकर्ता को उनकी दलीलों के समर्थन में कानून पेश करने के आदेश दिए थे। इसके बाद मामले में आज सुनवाई हुई और कोर्ट ने मामले को डिसमिस कर दिया है।
मेयर जीती सिद्धू के वकील की दलील
पिछली सुनवाई के दौरान मेयर की तरफ से हाईकोर्ट में पेश हुए वकील ने दलील रखी थी कि ऐसे बहुत से फैसले हैं, जिसमें सोसायटी का मेंबर होते हुए मेयर विकास कार्य के ऑर्डर दे सकता है। उन्होंने सरकारी पक्ष द्वारा उन्हें पूरा रिकॉर्ड मुहैया नहीं करवाने की दलील भी दी थी, जबकि सरकारी वकील की दलील थी कि उन्हें वर्किंग डे में रिकॉर्ड देखने को कहा गया था, लेकिन किसी द्वारा रिकॉर्ड नहीं देखा गया। इसके बाद मामले की आगामी सुनवाई के लिए आज की तिथि तय की गई थी।
नोटिस में बताया कानून का उल्लंघन
नोटिस में कहा गया है कि मेयर ने नगर निगम की वित्त एवं ठेका कमेटी का चेयरमैन रहते हुए अमृतप्रीत को-ऑपरेटिव सोसायटी को विकास कार्य के टेंडर जारी करके म्यूनिसिपल एक्ट की धारा-63 का उल्लंघन किया है। पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट की धारा 36 (1) अनुसार धारा-63 का उल्लंघन होने पर पार्षद को पद से उतारने का नियम है।
नोटिस में मेयर द्वारा की गई कार्रवाई एक्ट की धाराओं के विपरीत होने की बात लिखी थी और उन्हें पार्षद के पद से हटाने का प्रस्ताव था। ऐसे में नोटिस जारी करके 15 दिन में प्रमुख सचिव को जवाब देने को कहा गया था। कार्रवाई से पहले मेयर के जवाब पर विचार करने की बात कही गई थी। मेयर को जारी नोटिस में किसी भी वर्किंग-डे में संबंधित रिकॉर्ड नगर निगम के दफ्तर या स्थानीय निकाय विभाग के दफ्तर में देख सकने की बात कही गई थी।
ऐसे बने थे अमरजीत सिंह जीती सिद्धू मेयर
नगर निगम के गत वर्ष हुए चुनाव में 50 वार्डों में कांग्रेस के 37 पार्षद जीते थे। आजाद ग्रुप और AAP के खाते में 12 वार्ड और एक वार्ड निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गया था। पहली बार अलग होकर चुनाव मैदान में उतरे भाजपा और शिरोमणि अकाली दल खाता भी नहीं खोल पाए थे। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से अमरजीत सिंह जीती सिद्धू मेयर बने। फिर राज्य में सत्ता परिवर्तन होने पर AAP की सरकार बनी। इसके बाद मेयर व उनके भाई भाजपा में शामिल हो गए थे।