अध्यापक संगठन ने सीएम से मांगा मुलाकात का समय
दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 30 सितंबरः हरियाणा में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिए जाने के बावजूद यहां पंजाबी भाषा पढ़ाने वाले अध्यापकों के सैकड़ों पद खाली हैं। सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया में भी पंजाबी अध्यापकों के लिए रिक्त पद नहीं निकाले गए हैं। इसके चलते प्रदेश में पंजाबी भाषा की हालत काफी दयनीय हो रही है। पंजाबी अध्यापक संघ ने इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात का समय मांगा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल अगस्त 2019 में सिरसा में गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर राज्य में 400 पंजाबी शिक्षकों की भर्ती को लेकर घोषणा कर चुके हैं। पंजाबी अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने शुक्रवार को बताया कि शिक्षा विभाग प्रदेश में पंजाबी शिक्षकों के सरप्लस पद बता रहा है जबकि रेशनेलाइजेशन के तहत आज भी प्रदेश में पीजीटी पंजाबी के 223 और टीजीटी पंजाबी के 451 पद खाली हैं। इन पर विभाग को जल्द भर्ती करके बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए। धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि वह प्रदेश के शिक्षा मंत्री सहित कई मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने पंजाबी शिक्षकों की भर्ती को लेकर ठोस आश्वासन नहीं दिया।
धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि फरवरी 2020 में टीजीटी पंजाबी के 176 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए एचएसएससी को लिखा गया था। इसे लेकर आयोग ने अभ्यर्थियों से आवेदन भी करवा लिए थे लेकिन मार्च 2022 में इस भर्ती को वापस ले लिया गया। अभी शिक्षा विभाग द्वारा अलग-अलग पदों पर 7471 शिक्षकों की भर्ती को लेकर एचएसएससी को लिखा गया है, जो विज्ञापित भी हो चुके हैं। इसके बावजूद इसमें पंजाबी शिक्षकों की भर्ती को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है जबकि विभाग द्वारा आयोग को भेजे गए पदों की भर्ती में उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, आर्टस सहित अन्य विषय शामिल हैं।
विभाग के इस रवैये को लेकर पंजाबी अध्यापक संघ में खासा रोष है। गुरुवार को इसी रोष स्वरूप संघ के पदाधिकारियों ने हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश सिंह झिंडा को पंजाबी शिक्षकों की भर्ती को लेकर मांग पत्र भी सौंपा है।