दर्पण न्यूज़ सर्विस
नई दिल्ली, 30 सितंबरः आरबीआई (RBI) ने लगातार चौथी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट (Repo rate) में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट्स में बढ़ोतरी से बैंकों की कॉस्ट ऑफ बोरोइंग यानी उधारी की लागत बढ़ जाएगी। बैंक इसे ग्राहकों पर डालेंगे। इससे होम लोन (Home loan) समेत सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। बैंक जो नए रिटेल लोन देते हैं, वे किसी एक्सटरनल बेंचमार्क से जुड़े होते हैं। अधिकांश मामलों में यह रेपो रेट से जुड़ा होता है। यही वजह है कि रेपो रेट में किसी भी बदलाव से होम लोन का इंटरेस्ट रेट प्रभावित होता है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से आपके होम लोन की किस्त बढ़ जाएगी। साथ ही एमसीएलआर, बेस रेट और बीपीएलआर से जुड़े पुराने होम लोन पर भी इसका असर होगा। रेपो रेट में मई से 190 बेसिस पॉइंट्स का इजाफा किया जा चुका है।
रेपो रेट बढ़ने का होम लोन ईएमआई पर असर
रेपो रेट बढ़ने की वजह से आपके होम लोन की ईएमआई महंगी हो जाएगी। मान लेते हैं कि जिस बैंक से आपने होम लिया है, उसकी होम लोन की दर पहले 8.10 फीसदी थी और आपको ये लोन 20 साल की अवधि के लिए लिया है। ऐसे में 30 लाख रुपये के लोन पर पहले आपको 25,280 रुपये की ईएमआई देनी होती थी, लेकिन अब आपको 26,225 रुपये चुकाने पड़ेंगे। इसी तरह अगर आपका लोन 50 लाख रुपये या 1 करोड़ का है तो चार्ट में देखिए आपको पहले की तुलना में अब कितने पैसे चुकाने होंगे।
होम लोन अमाउंट |
ब्याज दर (% में) |
अवधि (साल) |
मौजूदा किस्त (रुपये में) |
नई ब्याज दर (% में) |
बढ़ी हुई किस्त (रुपये में) |
30 लाख |
8.10 |
20 |
25,280 |
8.60 |
26,225 |
50 लाख |
8.10 |
20 |
42,134 |
8.60 |
43,708 |
एक करोड़ |
8.10 |
20 |
84,267 |
8.60 |
84,416 |
रेपो रेट का ईएमआई पर कैसे होता है असर
रिजर्व बैंक की तरफ से इस बार रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा सा मतलब है कि रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को लोन महंगी दर पर मिलेगा। ऐसे में बैंक इस बढ़ोतरी को ग्राहकों तक ट्रांसफर करते हैं, जिसे उनके लिए भी कर्ज लेने की दरें महंगी हो जाती हैं। इससे नए लोन तो महंगे होते ही हैं, साथ ही जो होम लोन या ऑटो लोन पहले से चल रहे होते हैं, उनकी ईएमआई भी बढ़ जाती है। हालांकि, पर्सनल लोन की ईएमआई पर इसका असर नहीं होगा, लेकिन नए पर्सनल लोन महंगे हो जाएंगे।
अगर किसी ने आठ लाख का ऑटो लोन सात साल के लिए ले रखा है तो ब्याज दर 11 फीसदी से बढ़कर 11.50 फीसदी पहुंच जाएगी। इससे किस्त 13,698 रुपये से बढ़कर 13,909 रुपये बढ़ जाएगी। यानी इसमें 211 रुपये का इजाफा हो जाएगा। इसी तरह अगर किसी ने पांच लाख रुपये का लोन पांच साल के लिए ले रखा है तो उसका इंटरेस्ट रेट 15 फीसदी से बढ़कर 15.50 फीसदी पहुंच जाएगा। उसे अब 11,895 रुपये के बजाय 12,027 रुपये चुकाने होंगे। यानी उसकी मासिक किस्त 132 रुपये बढ़ जाएगी।
अक्टूबर से महंगाई का नया डोज! सरकार ने गैस के दाम में की रिकॉर्ड बढ़ोतरी
अक्टूबर के महीने में महंगाई का नया डोज मिलने वाला है। दरअसल, नेचुरल गैस की कीमतों में 40 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी गई है। इससे देश में बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने और वाहन चलाने में इस्तेमाल होने वाली गैस महंगी हो जाने की आशंका है।
आपको बता दें कि नेचुरल गैस उर्वरक बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है। इसे सीएनजी में भी बदला जाता है और पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) यानी रसोई गैस के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
सीएनजी-पीएनजी के बढ़ेंगे दाम: नेचुरल गैस की दरों में भारी वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका है, जो पहले से ही पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुकी हैं। गैस की कीमतें मुद्रास्फीति को और भी बढ़ा सकती हैं जो पिछले आठ महीनों से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है। महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर रहा है।
यहां नहीं पड़ेगा असर: इससे बिजली पैदा करने की लागत में भी वृद्धि होगी लेकिन उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी क्योंकि गैस से पैदा होने वाली बिजली का हिस्सा बहुत कम है। इसी तरह, उर्वरक उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी लेकिन सरकार की तरफ से ऊर्वरक सब्सिडी देने से दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है। हालांकि इस फैसले से उत्पादकों की आय में वृद्धि होने की संभावना है।
बढ़ गई तेल की कीमतें, अब ये है नए दाम, यहां चेक कर लें भाव
भारत में काफी वक्त से पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था. पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. दरअसल, कच्चे तेल के दाम में परिवर्तन होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी असर पड़ता है. हालांकि पिछले काफी वक्त से कच्चे तेल के दामों में गिरावट देखने को मिली थी लेकिन तब भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था. वहीं अब कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव हुआ है. हालांकि अब भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई है.
कीमतें बढ़ी
मजबूत हाजिर मांग के कारण कारोबारियों ने अपने सौदों के आकार को बढ़ाया जिससे वायदा कारोबार में शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमत में तेजी देखने को मिली. कच्चे तेल की कीमत 27 रुपये की तेजी के साथ 6,727 रुपये प्रति बैरल हो गई. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चे तेल के अक्टूबर महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत में उछाल आया.
आई तेजी
अक्टूबर महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 27 रुपये या 0.4 प्रतिशत की तेजी के साथ 6,727 रुपये प्रति बैरल हो गई. इसमें 6,085 लॉट का कारोबार हुआ. बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारियों के जरिए अपने सौदों का आकार बढ़ाने से कच्चा तेल वायदा कीमतों में तेजी आई.
ये हुई कीमत
वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल 0.84 प्रतिशत की तेजी के साथ 81.91 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. जबकि ब्रेंट कच्चा तेल का दाम 0.73 प्रतिशत की तेजी के साथ 89.14 डॉलर प्रति बैरल हो गया.