पुलिस ने सरकार की मंजूरी लिए बगैर की कार्रवाई
दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 29 नवंबर: हरियाणा पुलिस ने वरिष्ठ आईएएस अशोक खेमका के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले सरकार की मंजूरी नहीं ली थी। सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी है। जिसके बाद खेमका के खिलाफ दर्ज एफआईआर का कोई औचित्य नहीं है।
हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में नियुक्तियों में कथित गोलमाल के आरोप में तत्कालीन प्रबंधक निदेशक संजीव वर्मा ने अशोक खेमका के विरुद्ध पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर पुलिस ने 26 अप्रैल को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया था।
नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं का यह मामला उस समय का था, जब अशोक खेमका हरियाणा राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक थे। खेमका ने पुलिस की इस कार्रवाई को यह कहते हुए अदालत में चुनौती दी थी, चूंकि वह प्रथम श्रेणी आईएएस अधिकारी हैं और एफआईआर से पहले पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति हासिल नहीं की है। इस एफआईआर के बाद अशोक खेमका ने भी संजीव वर्मा के खिलाफ क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई थी।
हरियाणा सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल कार्यालय ने हाई कोर्ट में जानकारी दी कि करनाल के मंडलायुक्त एवं राज्य भंडारण निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक संजीव वर्मा की शिकायत पर पंचकूला पुलिस ने डॉ. अशोक खेमका के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं में जो एफआईआर दर्ज की है, पंचकूला पुलिस ने उसकी पूर्व अनुमति राज्य सरकार से हासिल नहीं की।
हरियाणा सरकार के इस बयान के आधार पर अब अशोक खेमका के विरुद्ध दर्ज एफआईआर रद्द होगी। हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि प्रदेश सरकार भविष्य में अशोक खेमका के खिलाफ एफआईआर की अनुमति देती भी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले अशोक खेमका को सूचना देनी होगी। हाई कोर्ट ने इस केस में याचिका का निपटारा कर दिया है।