दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 11 जनवरी: मुख्यमंत्री भगवंत मान की सख्त कार्रवाई की चेतावनी के बाद पीसीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने बुधवार को सामूहिक अवकाश को वापस लेने के साथ तुरंत काम पर लौटने का फैसला किया। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. वेणु प्रसाद और एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत ओबेरॉय को संयुक्त रूप से यह घोषणा की।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार सुबह पीसीएस अधिकारियों से कहा कि वे दोपहर दो बजे तक ड्यूटी ज्वाइन कर लें, नहीं तो उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने लिखा- सभी को यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि इस सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। इस तरह की हड़ताल ब्लैकमेलिंग और व्यवस्था को चुनौती देने के समान है, जिसे कोई भी सरकार बर्दाश्त नहीं कर सकती।
उन्होंने निर्देश देते हुए लिखा है कि ऐसे सभी अधिकारियों को निलंबित किया जाए, जो दोपहर दो बजे तक दफ्तर ज्वाइन नहीं करते हैं। मुख्य सचिव वी के जंजुआ ने भी पीसीएस अधिकारियों को ड्यूटी ज्वाइन करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी दफ्तर में गैर हाजिर रहेंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दोपहर दो बजे की समय सीमा नजदीक आते ही पीसीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन का छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचा और उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ बैठक की। वेणु प्रसाद ने बताया कि पीसीएस अधिकारी तुरंत अपनी ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान जारी रहेगा और एसोसिएशन ने वादा किया है कि वे भ्रष्ट अधिकारियों को नहीं बचाएंगे।
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा लुधियाना में पीसीएस अधिकारी नरिंदर सिंह धालीवाल की 'अवैध' गिरफ्तारी के विरोध में पंजाब सिविल सेवा के अधिकारी सोमवार को पांच दिन के आकस्मिक अवकाश पर चले गए थे। उन्होंने दावा किया था कि धालीवाल को अवैध, गलत तरीके से और मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया था। सामूहिक आकस्मिक अवकाश से राज्य के प्रशासनिक कार्यालयों में सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं, जिससे जनता को असुविधा हुई। इस बीच, पंजाब रेवेन्यू ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी काम शुरू कर दिया है।
एसआईटी करेगी गिरफ्तारी प्रक्रिया की जांच
बैठक के बाद रजत ओबेरॉय ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के इस आश्वासन से खुश हैं कि किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं होगा। पीसीएस अधिकारी धालीवाल के खिलाफ की गई कार्रवाई नियमानुसार थी या नहीं, यह तय करने के लिए सरकार एक एसआईटी बनाने पर सहमत हो गई है। आईएएस अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज करने के मामले में की जांच के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी। समिति में सिविल और पुलिस दोनों पक्षों के अधिकारी होंगे। समितियों का गठन और घोषणा मुख्य सचिव द्वारा किया जाएगा।