दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 17 जनवरीः पंजाब में अपनी तरह का पहला भव्य मंदिर मणिलक्ष्मी तीर्थ दोराहा के पास बनकर लगभग तैयार हो गया है। नई तकनीक से बन रहे 75 फीट ऊंचे इस मंदिर में कहीं भी न सरिया इस्तेमाल की गई है और न ही लेंटर डाला गया है। व्हाइट सीमेंट भी नाममात्र इस्तेमाल की गई है। राजस्थान से लाए गए संगमरमर के पत्थरों से 2 एकड़ में बन रहे इस मंदिर में लगने वालीं मूर्तियां बाहर से नहीं लाई गई हैं बल्कि शिलाओं को तराश कर तैयार की जा रही हैं।
उड़ीसा के कारीगर नक्काशी और राजस्थान के कारीगर पत्थरों की कटाई कर रहे हैं। 18 जनवरी 2022 से निर्माणकार्य जारी है। फरवरी 2023 के अंत तक ये पूरा होगा। 5 जून को शुभारंभ किया जाएगा। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माणकार्य करवाने वाले गुजरात के शिल्पकार सोमपुरा परिवार से संबंधित चंद्रकांत सोमपुरा ने यहां भी वही तकनीक अपनाई है। श्री आत्मा वल्लभ ट्रस्ट के चेयरमैन जवाहर ओसवाल, अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन जैन की देखरेख में िनर्माण चल रहा है।
मूर्तियां बाहर से नहीं आएंगी, तराश कर बनेंगी - बिना किसी सपोर्ट के ही बनाए जा रहे हैं मंदिर के पिलर
मंदिर के चीफ इंजीनियर मनीष शाह ने दावा किया कि दिल्ली से जम्मू कश्मीर तक ऐसा मंदिर नहीं है। मंदिर के साथ और जगह ली गई है, जहां धर्मशाला, भोजनालय बनाया जाएगा। इसमें ट्रस्टी विनोद जैन सहयोग कर रहे हैं।
मंदिर का निर्माण शाह मणिलाल लक्ष्मीचंद्र रीलिजियस ट्रस्ट करवा रहा है। बड़ी-बड़ी शिलाओं से मंदिर के खंभे बिना किसी सपोर्ट के बनाए गए हैं। एक खंभे में 4 से 5 शिलाएं लगी हैं। इन शिलाओं को विशेष तरीके से फिट किया गया है। पत्थरों के ऊपरी हिस्से में कुछ छेद किए गए हैं। दूसरी शिला में पाइपनुमा उभार है। इन्हें एक दूसरे पर रखकर लॉक कर दिया गया है, जिससे ये फिक्स हो गए। खंभों के जॉइंट में तांबे के कॉम्पिलिंग लगाई गई हैं। मंदिर निर्माण में कहीं भी लेंटर नहीं डाला गया है। इसमें नाममात्र की सिर्फ व्हाइट सीमेंट का ही इस्तेमाल हुआ है।
मंदिर व पिलर की शिलाओं पर आइकोनोग्राफी का काम चल रहा
मंदिर और पिलर (खंभे) की शिलाओं पर अब भी आइकोनोग्राफी का काम चल रहा है। पत्थरों पर मूर्ति उकेरने का काम आइकोनोग्राफी कहलाता है। एक शिला के एक साइड में 3-4 जगह मूर्तियां बनाई गई हैं। इन शिलाओं पर उड़ीसा के कारीगर जबरदस्त नक्काशी कर रहे हैं। फिलहाल, दीवारों और खंभों पर मूर्तियां तराशने का काम भी चल रहा है।
42 कमरों की धर्मशाला और आधुनिक भोजनालय भी बनेगा
एक साल से 200 के करीब राजस्थान और उड़ीसा के इंजीनियरों, मजदूरों की टीम मंदिर निर्माण में जुटी है। इस तीर्थ में आत्म वल्लभ जैन पार्श्वनाथ मंदिर, माता पद्मावती मंदिर, 42 कमरों की धर्मशाला, एक आधुनिक भोजनालय एवं पार्किंग का निर्माण हो रहा है। तीर्थ बनाने में श्री आत्म वल्लभ सर्वमंगल ट्रस्ट का भी सहयोग है।