भारत अब न सिर्फ आलू उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल है, बल्कि फ्रेंच फ्राइज़ के निर्यात में भी एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। हालिया वर्षों में देश ने फ्रोजन आलू उत्पादों के वैश्विक बाज़ार में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है, जिससे किसानों की आमदनी में जबरदस्त इज़ाफा हुआ है।
बढ़ती वैश्विक मांग, भारत की पकड़ मजबूत
दुनियाभर में फ्रेंच फ्राइज़ की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। भारत की उन्नत किस्म की आलू फसल, कम लागत और बेहतर प्रोसेसिंग सुविधाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ अब भारत से आयात को प्राथमिकता दे रही हैं। खासकर अमेरिका, मिडल ईस्ट, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोपीय देशों में भारत से निर्यात तेज़ी से बढ़ा है।
उत्तर भारत के किसान बन रहे बदलाव के हिस्सेदार
उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के आलू किसानों ने अब पारंपरिक बिक्री से हटकर प्रोसेसिंग यूनिट्स और निर्यात-उन्मुख खेती की ओर रुख किया है। इससे न केवल उन्हें बेहतर कीमत मिल रही है, बल्कि बिचौलियों पर निर्भरता भी घट रही है।
कई किसान अब अनुबंध खेती (contract farming) के माध्यम से मल्टीनेशनल फूड कंपनियों से सीधे जुड़ रहे हैं। इससे उन्हें फिक्स रेट पर बिक्री का भरोसा और तकनीकी मदद दोनों मिल रहे हैं।
सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी
केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' नीति और 'कृषि निर्यात नीति' के तहत आलू प्रोसेसिंग सेक्टर को बड़ी राहत दी गई है। राज्य सरकारें भी कोल्ड स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और तकनीक के विस्तार में मदद कर रही हैं। नतीजतन, फ्रेंच फ्राइज़ उत्पादन में भारत का नाम अब टॉप 3 देशों में गिना जा रहा है।
भारत में आलू की खेती अब सिर्फ सब्ज़ी उत्पादन तक सीमित नहीं रही। प्रोसेसिंग और निर्यात के ज़रिए यह एक लाभकारी उद्यम बन चुका है। फ्रेंच फ्राइज़ की वैश्विक मांग ने भारतीय किसानों की ज़िंदगी को नई दिशा दी है, जिससे वे अब वैश्विक बाज़ार का हिस्सा बनते जा रहे हैं।