वैश्विक मंच पर तनाव अपने चरम पर है और अब रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दमित्री मेदवेदेव ने एक बार फिर सनसनीखेज बयान देकर हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि "तीसरा विश्वयुद्ध अब शुरू हो चुका है" और रूस को अब यूरोप पर निर्णायक हमला करना चाहिए। उनके इस बयान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध की चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
यूक्रेन संघर्ष से वैश्विक युद्ध की ओर?
मेदवेदेव का यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष अपने सबसे घातक चरण में प्रवेश कर चुका है। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो सदस्यों द्वारा यूक्रेन को लगातार सैन्य समर्थन मिलने से रूस का आक्रोश और बढ़ गया है। रूस का मानना है कि यह सिर्फ यूक्रेन के साथ युद्ध नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी गठबंधन के खिलाफ रूस की जंग है।
मेदवेदेव के बयान के मुख्य अंश:
“तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो चुका है, लेकिन अधिकांश लोग इसे अब भी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की एक और टकराव मान रहे हैं। यदि पुतिन साहब आदेश दें, तो यूरोपीय राजधानी शहरों को निशाना बनाना बिल्कुल जायज़ होगा।”
यह बयान न केवल रूस की आक्रामक नीति को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि रूस अब कूटनीतिक हल की बजाय सैन्य प्रतिक्रिया को प्राथमिकता दे सकता है।
नाटो देशों में हड़कंप
इस बयान के बाद नाटो सदस्य देशों में चिंता की लहर दौड़ गई है। जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड जैसे देश अपने सुरक्षा तंत्र को हाई अलर्ट पर ले आए हैं। अमेरिका ने भी इसे "गंभीर उकसावे वाला बयान" बताते हुए संयुक्त राष्ट्र में आपात बैठक बुलाने की मांग की है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस घटनाक्रम पर अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत शांति बहाली और कूटनीतिक समाधान का पक्षधर है। भारत का रुख साफ है – किसी भी वैश्विक संघर्ष में संयम और बातचीत ही एकमात्र समाधान है।
विश्व की शांति पर खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रूस वास्तव में यूरोप पर मिसाइल हमले की ओर बढ़ता है, तो यह कदम नाटो को सीधे युद्ध में खींच लाएगा और यह स्थिति पूरी दुनिया को युद्ध की आग में झोंक सकती है। विश्व की अर्थव्यवस्था, ऊर्जा आपूर्ति, खाद्य संकट और वैश्विक स्थिरता पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
दमित्री मेदवेदेव का यह बयान महज़ शब्दों की जंग नहीं, बल्कि उस संभावित भयावह दिशा की ओर इशारा है, जिसमें दुनिया एक बार फिर अंधकारमय युद्धकाल की ओर जा सकती है। वैश्विक नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे समय रहते संयम और विवेक से काम लें, ताकि तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका केवल एक चेतावनी बनकर रह जाए, न कि वास्तविकता।