बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को मतदान ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया। राज्य में मतदाताओं ने लोकतंत्र का ऐसा जश्न मनाया कि मतदान प्रतिशत ने अब तक के सभी चुनावों को पीछे छोड़ दिया। चुनाव आयोग के अनुसार, शाम 6 बजे तक करीब 68.9 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई, जो बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान है।
चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार मतदान में युवाओं, महिलाओं और पहली बार वोट डालने वालों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। खास बात यह रही कि ग्रामीण इलाकों में मतदान का उत्साह शहरों से कहीं अधिक दिखाई दिया। कई जिलों में वोटिंग केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिलीं। अररिया, मधुबनी, गया, सिवान और बेतिया जैसे जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज हुआ।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सख्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील बूथों पर केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई। वहीं, ड्रोन और वेबकास्टिंग के जरिए रियल-टाइम निगरानी की गई। इसके बावजूद कुछ स्थानों पर ईवीएम खराबी की शिकायतें सामने आईं, जिन्हें तुरंत ठीक किया गया।
महिलाओं की भागीदारी भी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर रही। आयोग के मुताबिक, कुल मतदान में महिलाओं की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत से अधिक रही, जो राज्य में महिला सशक्तिकरण की बढ़ती ताकत का संकेत है। कई महिलाओं ने कहा कि वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य और रोजगार की उम्मीद में मतदान करने आई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रिकॉर्ड तोड़ मतदान सत्ता विरोधी लहर या जनता की परिवर्तन की इच्छा का संकेत हो सकता है। हालांकि, वास्तविक तस्वीर नतीजों के बाद ही सामने आएगी। सभी प्रमुख दल — राजद, जदयू, भाजपा और कांग्रेस — ने अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की थी।
अब जब मतदान प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है, सभी की निगाहें मतगणना की तारीख पर टिक गई हैं। अगर मतदान प्रतिशत के रुझान किसी संकेत देते हैं, तो यह स्पष्ट है कि बिहार की जनता ने इस बार अपनी भूमिका न केवल निभाई है, बल्कि लोकतंत्र के पर्व को नए आयाम पर पहुंचा दिया है।