रूस के साथ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन में एक और बड़ा झटका सामने आया है। देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही लड़खड़ा रही है और इसी बीच 10 करोड़ डॉलर (करीब 835 करोड़ रुपये) के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। यह घोटाला रक्षा मंत्रालय के आपूर्ति विभाग से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसने न केवल सरकार बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को भी हैरान कर दिया है।
रक्षा सौदों में हुई हेराफेरी
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फर्जीवाड़े में कई वरिष्ठ अधिकारी और ठेकेदार शामिल हैं जिन्होंने सेना के लिए हथियार, ईंधन और राशन की खरीद में भारी गड़बड़ियां कीं। जांच में खुलासा हुआ है कि रक्षा सामग्री की खरीद में कागज पर दिखाए गए दाम वास्तविक बाजार मूल्य से तीन गुना अधिक थे। इस रकम का बड़ा हिस्सा निजी खातों में ट्रांसफर किया गया।
जांच एजेंसियों ने शुरुआती छानबीन के बाद रक्षा मंत्रालय के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें से दो को भ्रष्टाचार के आरोप में हिरासत में भी लिया गया है। यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी (SBU) ने छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज़, नकद रकम और अंतरराष्ट्रीय बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड जब्त किए हैं।
राष्ट्रपति जेलेंस्की का सख्त रुख
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि “युद्ध के बीच भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने साफ किया कि चाहे कोई भी पद पर हो, अगर देश के संसाधनों की चोरी की गई है तो उसे कठोर सजा दी जाएगी। जेलेंस्की ने एंटी-करप्शन ब्यूरो और राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एजेंसी को जांच तेज करने के आदेश दिए हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय संघ से लगातार वित्तीय और सैन्य सहायता मिल रही है। ऐसे में इस घोटाले ने विदेशी सहयोगियों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि यदि यूक्रेन को दी जा रही मदद में भ्रष्टाचार साबित होता है तो सहायता की समीक्षा की जा सकती है। वहीं, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने भी पारदर्शिता बढ़ाने और सख्त निगरानी तंत्र लागू करने की मांग की है।
जनता में नाराजगी
कीव और अन्य शहरों में आम नागरिकों ने इस घोटाले को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने लिखा कि “जब सैनिक मोर्चे पर अपनी जान दे रहे हैं, तब अधिकारी घोटाले में लगे हैं।” यूक्रेनी संसद में विपक्षी दलों ने भी इस मामले पर तत्काल विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
जांच एजेंसियां अब इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि क्या यह घोटाला किसी अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति चेन या विदेशी ठेकेदारों से भी जुड़ा हुआ था। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति ही युद्ध में हमारी असली ताकत है।”