रूस ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच अपने ऊर्जा व्यापार को जारी रखने के लिए एक ऐसी रणनीति विकसित कर ली है, जिसने पश्चिमी देशों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसे “शैडो फ्लीट” या छायादार बेड़े के नाम से जाना जाता है—ऐसे जहाज़ों का नेटवर्क जो प्रतिबंधित निगरानी प्रणालियों से बचते हुए वैश्विक बाजारों में रूसी तेल की आपूर्ति को निर्बाध बनाए हुए हैं। यह बेड़ा मुख्यतः पुराने टैंकरों, अस्पष्ट स्वामित्व वाले जहाज़ों, और ऐसे मार्गों का उपयोग करता है जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है।
पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिनका उद्देश्य रूसी ऊर्जा आय को सीमित करना था। लेकिन रूस ने अपने तेल व्यापार को बनाए रखने के लिए समानांतर तंत्र तैयार कर लिया, जिसमें ऐसे जहाज़ शामिल हैं जो ट्रांसपोंडर बंद कर चलते हैं या बीच समुद्र में तेल की शिप-टू-शिप ट्रांसफर के जरिए स्रोत छिपा देते हैं। इससे यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि तेल कहां से आया और किसे भेजा जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस ने पिछले दो वर्षों में दर्जनों अतिरिक्त टैंकर खरीदे हैं, जिनमें से कई पुराने या सेवानिवृत्ति की कगार पर थे। इन जहाज़ों को नई कंपनियों के नाम पर पंजीकृत किया गया है, ताकि उनके वास्तविक मालिकों और संचालन के उद्देश्य की जानकारी गोपनीय रहे। इस रणनीति के चलते रूस एशियाई देशों, खासकर चीन, भारत और तुर्किये जैसे बाजारों तक बिना किसी बाधा के तेल पहुंचाने में सफल रहा है।
रूस की इस प्रणाली से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता भी बढ़ी है। जहाज़ों की ट्रैकिंग मुश्किल होने के कारण समुद्री सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं। कई ऐसे टैंकर बीमा कवरेज के बिना चलते हैं, जिससे दुर्घटना या रिसाव की स्थिति में जिम्मेदारी तय करना कठिन हो सकता है। इसके बावजूद, पश्चिमी प्रतिबंधों की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए रूस अपने निर्यात स्तर को अपेक्षाकृत स्थिर बनाए हुए है।
पश्चिमी देशों का कहना है कि यह “शैडो फ्लीट” वैश्विक प्रतिबंध प्रणाली को कमजोर कर रही है और रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रही है। वहीं, रूस का दावा है कि वह प्रतिबंधों को अनुचित और राजनीतिक मानता है तथा अपना व्यापार जारी रखने का पूरा अधिकार रखता है।
विश्लेषकों का मानना है कि जब तक प्रतिबंधों का प्रभावी वैश्विक प्रवर्तन नहीं होगा, रूस का यह समानांतर व्यापार नेटवर्क सक्रिय रहेगा। शैडो फ्लीट अब केवल रूस की रणनीति नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा राजनीति में एक नई वास्तविकता बन चुकी है।