गोवा में हाल ही में हुए भीषण अग्निकांड के बाद से जांच एजेंसियों की कार्रवाई तेज हो गई है। इसी बीच नाइट क्लब के मालिकों—लूथरा ब्रदर्स—के देश छोड़कर फरार होने की पुष्टि होने से मामला और गंभीर हो गया है। जानकारी के अनुसार, दोनों भाइयों ने भारत से निकलकर थाईलैंड में शरण ले ली है, जिसके बाद उन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।
अग्निकांड में कई लोग घायल हुए थे और जांच में सामने आया कि नाइट क्लब में सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी की गई थी। अग्निशमन विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट में क्लब परिसर में इमरजेंसी गेट की कमी, फायर सेफ्टी सिस्टम के नाकाम रहने और अत्यधिक भीड़ जैसी कई बड़ी खामियाँ उजागर हुईं। इन सभी उल्लंघनों के लिए क्लब मालिकों को प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन जांच एजेंसियों को जैसे ही गिरफ्तारी की कार्रवाई आगे बढ़ाने का निर्देश मिला, उसी समय लूथरा ब्रदर्स देश छोड़कर बाहर निकल गए।
सूत्रों के अनुसार, दोनों भाई पहले दिल्ली पहुँचे और वहां से एक निजी नेटवर्क के जरिए बैंकॉक रवाना हुए। थाईलैंड के प्रवासन अधिकारियों को भारतीय एजेंसियों की ओर से संपर्क किया जा रहा है ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया को तेजी मिल सके। इस बीच, इंटरपोल नोटिस जारी करने पर भी विचार चल रहा है, क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि दोनों आरोपी भविष्य में किसी अन्य देश में भी शरण लेने की कोशिश कर सकते हैं।
गोवा पुलिस ने क्लब के अन्य स्टाफ, मैनेजर और संबंधित एजेंटों से पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर मौजूद तकनीकी साक्ष्यों से स्पष्ट है कि यह केवल हादसा नहीं बल्कि लापरवाही का परिणाम है। इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं कि नाइट क्लब को बिना पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्थाओं के कैसे संचालन की अनुमति मिल गई।
घटना के बाद से गोवा के पर्यटन क्षेत्र में भी हलचल मच गई है। व्यापारियों और स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि राज्य सरकार सभी क्लबों और बार पर त्वरित सुरक्षा ऑडिट करवाए। पर्यटक भी अधिक सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर रहे हैं क्योंकि इस हादसे ने पर्यटन सीजन में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है।
फिलहाल जांच एजेंसियाँ लूथरा ब्रदर्स को भारत वापस लाने की कोशिशों में जुटी हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब तक मालिकों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, इस अग्निकांड की पूरी जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकती और पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया अधूरी मानी जाएगी।