सिटी दर्पण
नई दिल्ली, 11 अप्रैल : अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को इस बात की पूरी आशंका है कि ईरान या ईरान के सहयोग और समर्थन के काम करने वाले संगठन इजरायल पर हमला करेंगे. खुफिया सूत्रों के हवाले से पहले यह जानकारी आई थी कि हमला ईद या ईद से पहले हो सकता है. लेकिन अब कहा जा रहा है कि यह अगले कुछ दिनों में हो सकता है. यह भी कहा गया है कि जरूरी नहीं है कि हमला इजरायल के उत्तरी तरफ यानी कि लेबनान की तरफ से किया जाए, जहां से ईरान का प्रॉक्सी हिजबुल्ला लगातार इजरायल पर हमले करता रहा है. हमला किसी अन्य तरफ से भी हो सकता है.
हमले में सीधे निशाने पर मार करने वाली मिसाइल का इस्तेमाल हो सकता है या फिर एक साथ बहुत से ड्रोन दागे जा सकते हैं. साथ-साथ अमेरिका को इस बात की भी चिंता है कि ईरान या उसके कठपुतली संगठनों की तरफ से अमेरिका के उन सैन्य अड्डों पर भी हमला किया जा सकता है जो मध्य पूर्व में हैं.
सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक अप्रैल को अपने कॉन्सुलेट पर हुए हमले के बाद ईरान ने साफ तौर पर कहा था कि वह इसके लिए इजरायल को मुंहतोड़ जवाब देगा, लेकिन वह ऐसा कब और कैसे करेगा, यह वह अपने हिसाब से तय करेगा. दमिश्क हमले में तीन सीनियर सैन्य कमांडर सहित सात ईरानी नागरिकों की जान गई थी. इनमें मोहम्मद रेजा जाहेदी की भी मौत हुई, जो इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर के ग्राउंड और एयर फोर्स के पूर्व कमांडर थे. वे सीरिया और लेबनान में ईरान के प्रॉक्सीज़ के साथ समन्वय का अहम किरदार निभा रहे थे. जाहेदी की मौत ईरान के लिए बहुत बड़ा नुकसान है.
खुमैनी ने दी थी सजा देने की चेतावनी
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खुमैनी ने कहा था कि इजरायल ने बहुत बड़ी गलती की है और उसे इसकी सजा दी जाएगी. इसके जवाब में इजरायल के विदेश मंत्री काट्ज़ ने कहा कि अगर ईरान इजरायल की जमीन पर हमला करेगा तो बदले में इजरायल भी ईरान की जमीन पर हमले करेगा. इससे इजरायल हमास युद्ध के मध्य पूर्व में फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है.
सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस युद्ध में परमाणु हथियार के इस्तेमाल की आंशका भी काफी बढ़ गई है. वाशिंगटन पोस्ट ने खुफिया अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट किया है कि ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत ही करीब है. वह तेजी से संवर्धित यूरेनियम जमा कर रहा है, जो परमाणु बम में इस्तेमाल हो सकता है.
ईरान संवर्धित यूरेनियम से बना सकता है परमाणु हथियार
ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर शक और सवाल उठते रहे हैं. ईरान पहले साफ कर चुका है कि परमाणु बम बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में ईरान ऐसा कर सकता है, यह माना जा रहा है. उसके पास जो संवर्धित यूरेनियम है उसे वह परमाणु हथियार में प्रयुक्त होने वाले ईंधन में ढाल सकता है. ऐसा वह कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों के बीच कर सकता है और यह ईंधन तीन परमाणु बम बनाने के लिए काफी होगा. हालांकि एक क्रूड परमाणु बम बनाने में छह महीने तक का समय लग सकता है. और ऐसी मिसाइल बनाने में क़रीब दो साल तक का समय लग सकता है जो परमाणु हथियार वाले वारहेड के साथ हमला करने की क्षमता से लैस हो. कुल मिलाकर तुरंत ही ईरान परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है, ऐसी आशंका नहीं है, लेकिन डर्टी बम आदि का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
जाहिर सी बात है कि इजरायल की कोशिश होगी कि ईरान परमाणु बम बनाने की क्षमता तक न पहुंचे. इसलिए इजरायल टाइम्स ने अरब न्यूज़ के हवाले से जो रिपोर्ट किया है वह भी अहम है. इसके मुताबिक इजरायल ने इस बात के संकेत दिए गए हैं कि अगर ईरान ने इजरायल पर हमला किया तो इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम गिराएगा. लंदन के इलाफ़ न्यूज ने भी अनाम पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से इस तरह की खबर छापी है.
सीधा हमला ईरान को पड़ सकता है महंगा
हालांकि खुफिया सूत्र के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि शायद ईरान इजरायल पर सीधे हमले से बचे, क्योंकि इसके बाद इजरायल के साथ-साथ अमेरिका भी उस पर सीधा हमला करेगा, जो ईरान के लिए काफी घातक साबित हो सकता है. इसलिए ईरान हमले में लेबनान के हिज़्बुल्लाह, या यमन के हूथी या गाजा के हमास या फिर ईराक और सीरिया के शिया मिलिशिया का इस्तेमाल कर सकता है.
एक खुफिया आकलन यह भी कहता है कि इजरायल की जमीन पर सीधे हमले न कर दूसरे देशों में तैनात इजरायली राजनयिकों की हत्या की कोशिश भी की जा सकती है. वैसे ही जैसे कि 2012 में जब इजरायल ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिकों को निशाना बना रहा था तब ईरान अज़रबैजान, थाईलैंड और जॉर्जिया जैसे देशों में इज़रायली राजनयिकों के पीछे पड़ गया था. हालांकि उन साजिशों को नाकाम कर दिया गया था.
इजरायल पूरी चौकसी बरत रहा है. इजरायल के सभी सैनिकों की छुट्टी रद्द किए जाने की खबर है. तेल अवीव सहित अपने कई इलाकों के ऊपर उसने जीपीएस नेवीगेशन पर रोक लगा दी है ताकि मिसाइल किसी खास टारगेट को निशाना बनाने में कामयाब न हो. उधर हमले की सूरत में इजरायल की मदद के लिए अमेरिका ने अपने मध्य पूर्व के टॉप मिलिटरी कमांडर को इजरायल भेजा है, यह जानकारी भी आई है. कुछ मिलाकर ईरान के हमले की आशंका के मद्देनजर पूरे इलाके में नए तरह का तनाव व्याप्त है.