चंडीगढ़, 8 अप्रैल — हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बिजली विभाग की लापरवाही के कारण भिवानी निवासी को 5,000 रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि विभाग की चूक के कारण शिकायतकर्ता को वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम के तहत कृषि कनेक्शन का लोड बढ़वाने की सुविधा नहीं मिल सकी।
भाई की गलती, पर सज़ा शिकायतकर्ता को
मामले के अनुसार ओम प्रकाश, निवासी भिवानी, ने 13 जुलाई 2024 को कृषि कनेक्शन का लोड बढ़वाने के लिए आवेदन किया था। लेकिन विभाग ने उनके नाम पर 28,000 रुपये की बिजली चोरी लंबित दिखाते हुए उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया। बाद में जांच से यह तथ्य सामने आया कि बिजली चोरी ओम प्रकाश के भाई वेद प्रकाश द्वारा की गई थी, जिन्होंने ट्रांसफार्मर से सीधे कनेक्शन ले रखा था।
जुर्माना चुका देने के बावजूद नहीं मिला लाभ
वेद प्रकाश ने 26 सितंबर 2024 को पूरी राशि जमा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद विभाग द्वारा रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया। नतीजतन, ओम प्रकाश वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम का लाभ नहीं ले पाए, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
प्रशासनिक लापरवाही पर आयोग सख्त
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने इस लापरवाही को गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(h) के तहत 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल मुआवजे का नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही तय करने का भी प्रयास है।
विभाग को दिए गए दिशा-निर्देश
आयोग ने विद्युत विभाग को निर्देशित किया है कि:
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श्री ओम प्रकाश 25 अप्रैल 2025 तक अपना बैंक विवरण संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध कराएं।
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विभाग मुआवजा राशि का समय पर भुगतान सुनिश्चित करे।
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मामले की आंतरिक जांच कर दोषी अधिकारियों से राशि की वसूली की जाए।
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आयोग को आदेश की पालना रिपोर्ट और सबूत निर्धारित समय में भेजे जाएं।
पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक कदम
यह निर्णय दर्शाता है कि अब राज्य में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक निकाय सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। खासकर ऐसे मामलों में, जहां एक आम नागरिक को सिस्टम की गड़बड़ियों का शिकार होना पड़ता है, यह आदेश एक नज़ीर के रूप में देखा जा रहा है।