सिटी दर्पण
ढाका, 18 सितंबर:
बांग्लादेश में सैन्य शासन की आहट बढ़ती जा रही है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार देश में अराजकता को रोकने में नाकाम हो चुकी है। इस बीच अंतरिम सरकार ने तत्काल प्रभाव से पूरे देश में सेना को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां दे दी हैं। मंगलवार को बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय ने इस बारे में गजट अधिसूचना जारी की। इसके अनुसार सेना के अधिकारी अगले 60 दिनों के लिए पूरे बांग्लादेश में जिला मजिस्ट्रेटों की देखरेख में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर सकेंगे। लोक प्रशासन मंत्रालय से जारी आदेश में कहा गया है कि यह निर्देश 'पूरे बांग्लादेश' में लागू है।
सेना को गोली मारने का अधिकार
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट डेली स्टार से अंतरिम सरकार एक सलाहकार ने कहा कि मजिस्ट्रेटी शक्ति मिलने के बाद सेना के अधिकारी के पास लोगों को गिरफ्तार करने और उन्हें हिरासत में लेने का अधिकार होगा। आत्मरक्षा या अधिक जरूरत पड़ने पर अधिकारी गोली भी चला सकता है। सरकार में कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने इस फैसले की वजह बताते हुए कहा हम कई जगहों पर विध्वंसक गतिविधियों और स्थिति को बाधित होते हुए देख रहे हैं। उन्होंने औद्योगित क्षेत्रों पर खासतौर से जोर दिया और कहा कि स्थिति को देखते हुए सेना के जवानों को मजिस्ट्रेट की शक्ति दी गई है।नजरुल ने आगे कहा कि उन्हें विश्वास है कि सेना के जवान इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं करेंगे। उन्होंने डेली स्टार से कहा कि एक बार स्थिति सुधर जाए तो सेना के जवानों को मजिस्ट्रेट की शक्ति रखने की जरूरत नहीं रहेगी। डेली स्टार से एक सलाहकार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पुलिस अभी तक ठीक से काम नहीं कर पा रही है। सेना की टीम के साथ मजिस्ट्रेट न होने से स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही है।
स्थिति संभालने में नाकाम पुलिस
सलाहकार ने स्वीकार किया कि यह एक असामान्य स्थिति है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब सेना के अधिकारियों को यह शक्ति सरकार की तरफ से दी गई है। हालांकि, बांग्लादेश में कई बार मॉर्शल लॉ लागू रहा है लेकिन तब सैन्य अधिकारियों को डिफॉल्ट रूप से यह शक्ति हासिल होती थी। 5 अगस्त को शेख हसीना के जाने के बाद से बांग्लादेश में अराजकता का माहौल है। पुलिस पर बड़ी संख्या में हमले किए गए। थानों और पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी गई। पुलिस वालों को जान बचाने के लिए वर्दी छोड़कर छिपना पड़ा था। बांग्लादेश पुलिस सूत्रों के अनुसार, 664 में से 450 पुलिस स्टेशनों पर हमला किया गया।