इंडिगो के गहरे संकट ने न केवल भारतीय एविएशन सेक्टर को हिला दिया है, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली पर भी भारी आर्थिक बोझ डाल दिया है। बीते कुछ दिनों में उड़ानों की बड़े पैमाने पर रद्दीकरण, देरी और ऑपरेशनल अव्यवस्था के चलते दिल्ली एयरपोर्ट को अकेले लगभग 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यह स्थिति ऐसे समय में पैदा हुई है जब दिल्ली हवाईअड्डा देश का सबसे व्यस्त एयर ट्रैफिक हब माना जाता है और यहां सबसे अधिक यात्रियों का दबाव रहता है।
इंडिगो का संकट अचानक नहीं आया। पिछले कई महीनों से इंजीनियरिंग स्टाफ की कमी, पायलट शेड्यूलिंग में अनियमितता, सप्लाई चेन बाधाओं और बढ़ते मेंटेनेंस बैकलॉग के संकेत सामने आ रहे थे। हालांकि कंपनी ने इसे पहले “सामान्य उतार-चढ़ाव” बताया था, लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि एयरलाइन की क्षमता में 20–25% तक गिरावट दर्ज की जा रही है। यात्रियों की बढ़ती शिकायतें और घंटों की देरी ने विमानन नियामक DGCA को भी सख्त कदम उठाने को मजबूर किया है।
दिल्ली एयरपोर्ट के लिए समस्या इसलिए और गंभीर है क्योंकि इंडिगो की दैनिक उड़ानों का सबसे बड़ा हिस्सा यहीं से संचालित होता है। उड़ानें रद्द होने से न केवल एयरपोर्ट की कमाई में भारी कमी आई है, बल्कि ग्राउंड सर्विस, रिटेल, पार्किंग, फूड कोर्ट और अन्य कमर्शियल ऑपरेशनों पर भी सीधा असर पड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रति दिन हजारों यात्रियों की आवाजाही प्रभावित होने से एयरपोर्ट पर footfall लगभग 30% तक घट गया है, जिसका सीधा आर्थिक प्रभाव मल्टी-लेवल रेवेन्यू मॉडल पर हो रहा है।
संकट का दूसरा बड़ा प्रभाव दिल्ली की कनेक्टिविटी पर पड़ा है। इंडिगो कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रूटों की सबसे बड़ी ऑपरेटर है। बड़ी संख्या में उड़ानें लगातार प्रभावित होने से बिजनेस ट्रैवल, कार्गो मूवमेंट और टूरिस्ट फ्लो में उल्लेखनीय गिरावट आई है। ट्रेड बॉडीज का कहना है कि इससे दिल्ली-एनसीआर के होटल, टैक्सी सर्विस, कॉन्फ्रेंस इंडस्ट्री और व्यापारिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।
हालांकि, इंडिगो प्रबंधन का दावा है कि स्थिति को जल्द सामान्य करने के लिए “वार-लेवल” प्रयास जारी हैं—अतिरिक्त क्रू बुलाए जा रहे हैं, आउटसोर्स मेंटेनेंस बढ़ाया जा रहा है और DGCA के निर्देशों के तहत उड़ानों की शेड्यूलिंग दोबारा तैयार की जा रही है। लेकिन एविएशन विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी को सामान्य स्थिति में लौटने में अभी कई सप्ताह लग सकते हैं।
फिलहाल, यह साफ दिख रहा है कि इंडिगो संकट ने दिल्ली की अर्थव्यवस्था और देश के उड्डयन तंत्र दोनों की कमजोरियाँ उजागर कर दी हैं—और इसका असर अगले कुछ महीनों तक महसूस किया जाएगा।