उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी हालिया दिशा-निर्देशों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि आशंका जताई जा रही है कि इस प्रक्रिया के दौरान करीब 2.91 करोड़ मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियाँ तेज़ हो रही हैं और विभिन्न दल मतदाता आधार को सुरक्षित रखने में जुटे हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि फर्जी, दोहरे, मृत, स्थानांतरित या अपात्र मतदाताओं के नामों की बड़े पैमाने पर जांच की जाए। डिजिटल वेरिफिकेशन, घर-घर सत्यापन और आधार से लिंकिंग जैसे उपायों के जरिए यह प्रक्रिया और भी कठोर बना दी गई है। अधिकारियों का मानना है कि लंबे समय से मतदाता सूची में अनियमितताओं की शिकायत मिल रही थी, जिसे दूर करने के लिए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
हालांकि, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने इस कदम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटने की संभावना मताधिकार को प्रभावित कर सकती है। कई दलों ने आशंका जताई है कि गलत सत्यापन या ग़लत प्रविष्टियों के आधार पर लाखों वास्तविक मतदाताओं के नाम भी सूची से मिट सकते हैं। इस मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग भी उठ रही है।
चुनाव आयोग के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि प्रक्रिया निष्पक्ष और तकनीकी मानकों पर आधारित है। उनका कहना है कि प्रत्येक हटाए गए नाम की दोहरी पुष्टि होगी। यदि किसी मतदाता का नाम गलती से हट जाता है, तो उसके पास दावे और आपत्तियों के माध्यम से पुनः शामिल होने का पूरा अवसर रहेगा।
जमीनी स्तर पर बूथ लेवल अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें हर घर पहुंचकर दस्तावेजों और पहचान की पुष्टि करनी है। वहीं, डिजिटल सिस्टम के माध्यम से उन नामों की पहचान की जा रही है जो एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं या जिनके दस्तावेज अधूरे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मतदाता सूची को सटीक बनाना आवश्यक है, लेकिन इस स्तर पर बड़े पैमाने की कार्रवाई तभी उचित मानी जाएगी जब इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर कोई प्रश्न न उठे। आगामी महीनों में इस पुनरीक्षण अभियान का असर सीधे राज्य के चुनावी समीकरणों पर पड़ने की संभावना है।
फिलहाल, पूरे प्रदेश की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि क्या वाकई 2.91 करोड़ नाम हटेंगे या प्रक्रिया के बाद यह संख्या काफी कम हो जाएगी।