केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घुसपैठ के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए बुधवार को कहा कि देश की जनसांख्यिकी, सुरक्षा और लोकतांत्रिक ढांचे को प्रभावित करने वाली गतिविधियों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अपनी बात रखते हुए ‘3D पॉलिसी’ का उल्लेख किया और स्पष्ट किया कि भारत में घुसपैठियों को न तो राजनीतिक प्रभाव जमाने दिया जाएगा और न ही वे तय करेंगे कि देश का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कौन बनेगा।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि घुसपैठ का मुद्दा केवल सीमा सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की आंतरिक संरचना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के तहत इस संवेदनशील मुद्दे पर आंखें मूंद लेते हैं, जबकि इससे सबसे अधिक नुकसान देश की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को होता है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत की राजनीति भारतीय नागरिक तय करेंगे, घुसपैठिए नहीं। समय आ गया है कि देश की सुरक्षा नीति को और कठोर बनाते हुए हर दिशा में एक समान कार्रवाई की जाए।” इसी क्रम में उन्होंने ‘3D पॉलिसी’ समझाते हुए कहा कि इसमें डिटेक्शन (पहचान), डिलीशन (मतदाता सूची से हटाना) और डिपोर्टेशन (देश से निष्कासन) शामिल है। उनके अनुसार, यह रणनीति सुनिश्चित करेगी कि अवैध रूप से देश में मौजूद लोग न तो चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करें और न ही सुरक्षा तंत्र में सेंध लगा सकें।
गृह मंत्री ने राज्यों और सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि सीमा क्षेत्रों में लगातार निगरानी बढ़ाई जाए और स्थानीय पुलिस को भी खुफिया तंत्र के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित सत्यापन, बायोमेट्रिक रिकॉर्ड और वेरिफिकेशन ड्राइव को तेज़ करना इस नीति का अहम हिस्सा है।
शाह ने अपने वक्तव्य में यह भी जोड़ा कि केंद्र सरकार हर ऐसे कदम को समर्थन देगी जो देश की सुरक्षा और नागरिकता व्यवस्था को मजबूत बनाता हो। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ पार्टियों की चुप्पी ही इस समस्या को बढ़ावा देती रही है, जबकि अब जरूरत है कि सभी दल राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें।
विश्लेषकों का मानना है कि शाह की इस घोषणा का आने वाले चुनावों और जनसंख्या-राजनीति की बहस पर बड़ा असर पड़ेगा। ‘3D पॉलिसी’ को बीजेपी की कड़े रुख वाली सुरक्षा नीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य जनसांख्यिकीय असंतुलन और अवैध प्रवास को रोकना है।
फिलहाल, देश की राजनीति में घुसपैठ का मुद्दा फिर से केंद्र में है और शाह के बयान के बाद इस पर बहस और तेज़ होने के आसार हैं।