थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी संघर्ष तीसरे दिन भी किसी ठहराव के संकेत नहीं दिखा रहा है। सीमा क्षेत्रों में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं और दोनों देशों की सेनाओं ने ड्रोन, रॉकेट, आर्टिलरी और टैंकों सहित अत्याधुनिक हथियारों का खुलकर इस्तेमाल किया है। इस हिंसक टकराव ने इलाके में व्यापक विनाश किया है और लाखों नागरिकों को जान बचाने के लिए अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। अनुमान है कि अब तक करीब 6 लाख लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में पलायन कर चुके हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, संघर्ष में अब तक कम से कम 13 सैनिकों की मौत हो चुकी है, जबकि कई दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सीमा के दो प्रमुख सेक्टरों में लड़ाई सबसे तीव्र बताई जा रही है, जहां भारी गोलाबारी ने गांवों, बाजारों और सार्वजनिक ढांचों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सैन्य सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों ने अपनी-अपनी फॉरवर्ड पोजिशनों पर अतिरिक्त टुकड़ियाँ भेज दी हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
ड्रोन का इस्तेमाल इस संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। थाईलैंड ने निगरानी और सटीक लक्ष्य साधने वाले ड्रोन तैनात किए हैं, जबकि कंबोडिया ने हथियारबंद UAV का उपयोग कर जवाबी कार्रवाई की है। सीमा पर कई स्थानों पर देखा गया कि ड्रोन हमलों के बाद रॉकेट बरसाए गए, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हुई। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों की सेनाओं द्वारा आधुनिक तकनीक के इस स्तर पर उपयोग ने लड़ाई को और खतरनाक बना दिया है।
आर्टिलरी फायरिंग और टैंक मूवमेंट के कारण बॉर्डर गांवों के पास रहना अब असंभव हो गया है। जो परिवार पहले दिन तक संघर्ष विराम की उम्मीद में घरों में ठहरे हुए थे, वे भी अब जोखिम उठाकर सुरक्षित इलाकों की ओर जा रहे हैं। राहत एजेंसियों के अनुसार, पलायन कर रहे लोगों में बड़ी संख्या में महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। अस्थायी शिविर तेजी से भर रहे हैं और खाद्य सामग्री, पीने के पानी और चिकित्सा सुविधा की भारी कमी दिखने लगी है।
कूटनीतिक स्तर पर भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से तुरंत युद्धविराम की अपील की है, लेकिन बातचीत का कोई ठोस आधार अब तक नहीं बन पाया है। संयुक्त राष्ट्र और आसियान (ASEAN) देशों ने मध्यस्थता की पेशकश की है, मगर जमीनी स्तर पर गोलाबारी रुकने के बजाय बढ़ ही रही है।
थाईलैंड का दावा है कि उसके इलाके में अतिक्रमण और हमले पहले कंबोडिया की तरफ से हुए, जबकि कंबोडिया का आरोप है कि थाई सेना ने विवादित भूमि पर कब्जा करने की कोशिश की। दोनों देशों की आक्रामक बयानबाज़ी से यह स्पष्ट है कि संघर्ष जल्द शांत होने के संकेत फिलहाल कमजोर हैं।
इस बीच, विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि युद्ध इसी स्तर पर जारी रहा, तो यह दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। लाखों लोगों के विस्थापन और बढ़ते मानवीय संकट ने क्षेत्र में सुरक्षा की नई चुनौती खड़ी कर दी है।
फिलहाल, दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या दोनों देश बातचीत की मेज पर लौटेंगे या यह लड़ाई आने वाले दिनों में और विकराल रूप ले सकती है।