चंडीगढ़, 6 मई
पंजाब सरकार ने राज्य में कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्री, स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने मालवा क्षेत्र के आठ जिलों के मुख्य कृषि अधिकारियों को किसानों को कपास की आधुनिक खेती तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, उन्होंने कीटों की रोकथाम के उपायों को सख्ती से लागू करने और उनकी निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है।
स. खुड्डियां ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव डॉ. बसंत गर्ग के साथ मिलकर मालवा क्षेत्र के आठ जिलों — फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब, बठिंडा, मानसा, बरनाला, संगरूर, मोगा, और फरीदकोट — में कपास की खेती की ब्लॉक-वार प्रगति की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने राज्य को कपास का प्रमुख उत्पादक बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य ने इस सीजन में 1.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने यह भी बताया कि पंजाब सरकार ने कपास उत्पादकों के लिए लागत में कमी लाने के उद्देश्य से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना द्वारा सिफारिश किए गए बीटी हाइब्रिड बीजों पर 33 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा की है। इससे किसानों को उच्च उपज वाले और कीट प्रतिरोधी बीजों के चयन के लिए प्रेरित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पीएयू ने राज्य के खेतीबाड़ी-मौसमी हालात में बेहतर पैदावार के लिए 87 हाइब्रिड बीज किस्मों की सिफारिश की है।
गुलाबी सुंडी के हमले से बचाव के लिए स. खुड्डियां ने खेतों में फसल के अवशेषों के प्रबंधन और सफाई की स्थिति की समीक्षा की, ताकि गुलाबी सुंडी के प्रजनन स्थल समाप्त किए जा सकें। उन्होंने यह भी बताया कि सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए कपास पट्टी में नदीनों के खात्मे की मुहिम शुरू की गई है। यह मुहिम जि़ला प्रशासन, अन्य विभागों और मनरेगा के सहयोग से चल रही है, जिसका उद्देश्य सड़कों, नहरों और खाली जगहों पर उगे नदीनों को नष्ट करना है।
स. खुड्डियां ने मुख्य कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रुई मिलों में गुलाबी सुंडी की निगरानी रखें और स्टॉक पर कीटनाशक का छिड़काव सुनिश्चित करें।
डॉ. बसंत गर्ग ने बताया कि मई महीने में 961 किसान जागरूकता कैंप आयोजित किए जाएंगे, जिनमें किसानों को धान की तुलना में कम पानी खपत वाली कपास की खेती के लाभ के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को मानक बीजों और खादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा बीज और खाद स्टोरों की नियमित जांच के निर्देश भी दिए। इस पहल का उद्देश्य किसानों को घटिया या संभावित रूप से नुकसानदेह बीजों से बचाना है।
कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि विभाग 1,875 हेक्टेयर क्षेत्र में योग्य कृषि अभ्यासों को प्रदर्शित करेगा, जिससे किसानों को कपास की खेती से संबंधित बेहतर तकनीकों की जानकारी दी जा सके। एक संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी को कपास की कृषि संबंधी नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है, ताकि नीतियों को सही ढंग से लागू किया जा सके।