मुख्यमंत्री ने श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विराम सत्र को सम्बोधित किया
मुख्यमंत्री ने कथा का श्रवण किया तथा श्रीमद्भागवत महापुराण और व्यासपीठ की आरती उतारी
श्रीमद्भागवत कथा जीवन के ज्ञान का भान कराने वाली, भक्ति से जोड़ने वाली और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली कथा: मुख्यमंत्री
पांच हजार वर्ष पहले प्रथम बार स्वामी शुकदेव जी ने महाराजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, तबसे यह कथा कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों की मुक्ति का माध्यम बन रही
कथा का वास्तविक मर्म यह है कि हम हर हाल में अपने धर्म और देश के प्रति अडिग रहें
लखनऊ: 10 सितम्बर, 2025:ः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन के ज्ञान का भान कराने वाली, भक्ति से जोड़ने वाली और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली कथा है। हर परिस्थिति में सनातन धर्म के प्रति हमारा समर्पण बना रहे, यही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का वास्तविक मर्म है।
मुख्यमंत्री जी आज श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विराम सत्र के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने मन्दिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में कथा का श्रवण किया तथा व्यासपीठ के समक्ष श्रद्धावनत हुए। कथा के विराम पर मुख्यमंत्री जी, संतजन व यजमानगण ने श्रीमद्भागवत महापुराण और व्यासपीठ की आरती उतारी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पांच हजार वर्ष पहले प्रथम बार स्वामी शुकदेव जी ने महाराजा परीक्षित को मृत्यु के भय से अभय करने के लिए श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी। तबसे यह कथा कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों की मुक्ति का माध्यम बन रही है। भारत की ऋषि परम्परा उद्घोष करती है कि यहां जन्म लेना दुर्लभ है। उसमें भी मनुष्य रूप में जन्म लेना और भी दुर्लभ है। सनातन भारत ने ही ज्ञान, भक्ति और मुक्ति की दाता तथा जीवन के रहस्यों का उद्घाटन करने वाली श्रीमद्भागवत कथा का उपहार दिया है। कथा का वास्तविक मर्म यह है कि हम हर हाल में अपने धर्म और देश के प्रति अडिग रहें। किसी भी परिस्थिति में बिना झुके, बिना रुके और बिना डिगे सनातन धर्म और भारत के प्रति समर्पण का भाव बनाए रखें।
मुख्यमंत्री जी ने व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यास, परिधान पीठ गोपाल मन्दिर श्री अयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज की सराहना करते हुए कहा कि स्वामी रामदिनेशाचार्य जी ने अत्यन्त सरलता और सहजता से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया। इसका आनन्द यहां आए श्रद्धालुओं के साथ ही, मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों ने प्राप्त किया। स्वामी रामदिनेशाचार्य जी रामानंदाचार्य परम्परा से आते हैं। अगले वर्ष उनके श्रीमुख से यहां श्रीराम कथा का श्रवण भी कराया जाएगा।
इस अवसर पर मस्तनाथ पीठ रोहतक, हरियाणा के महंत व राजस्थान विधानसभा के विधायक महंत बालकनाथ, जूनागढ़ गुजरात से आए महंत शेरनाथ, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए जगद्गुरु स्वामी संतोषाचार्य ‘सतुआ बाबा’, नैमिषारण्य से आए स्वामी विद्या चैतन्य, हनुमानगढ़ी अयोध्या से आए महंत राजूदास एवं यजमानगण तथा श्रद्धालुजन उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में उ0प्र0 के प्रथम मुख्यमंत्री भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त जी की जयन्ती के अवसर पर उनके चित्र पर
पुष्प अर्पित कर प्रदेशवासियों की ओर से अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी
पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत थे : मुख्यमंत्री
उ0प्र0 के विकास की कार्ययोजना बनाने में पंत जी की अविस्मरणीय भूमिका रही
पं0 गोविन्द बल्लभ पंत जी ने राजभाषा हिन्दी के लिए स्तुतितुल्य प्रयास किये और सरदार वल्लभ भाई पटेल जी द्वारा देश की
एकता और अखण्डता के लिए किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाया
लखनऊ : 10 सितम्बर, 2025 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त जी की जयन्ती के अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर प्रदेशवासियों की ओर से अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके उपरान्त मुख्यमंत्री जी ने मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत थे। पं0 गोविन्द बल्लभ पन्त का जन्म वर्तमान उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में हुआ था। उन्होंने तत्कालीन संयुक्त प्रान्त, स्वतन्त्र भारत में और देश के प्रथम आम चुनाव के उपरान्त उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा सैकड़ों वर्षों की गुलामी के चलते उस समय काफी चुनौतियां थीं। व्यवस्था अस्त-व्यस्त थी। व्यवस्था को ठीक करने और उत्तर प्रदेश को विकास के अग्रणी पायदान पर पहुंचाने के लिए पं0 गोविंद बल्लभ पंत जी ने अनेक सकारात्मक कदम उठाए। उत्तर प्रदेश के विकास की कार्ययोजना बनाने में पंत जी की अविस्मरणीय भूमिका रही।
मुख्यमंत्री जी कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा देने के बाद पंत जी को वर्ष 1954 में देश के गृहमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राजभाषा हिन्दी के लिए स्तुतितुल्य प्रयास किये और सरदार वल्लभ भाई पटेल जी द्वारा देश की एकता और अखण्डता के लिए किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री ने श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विराम सत्र को सम्बोधित किया
मुख्यमंत्री ने कथा का श्रवण किया तथा श्रीमद्भागवत महापुराण और व्यासपीठ की आरती उतारी
श्रीमद्भागवत कथा जीवन के ज्ञान का भान कराने वाली, भक्ति से जोड़ने वाली और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली कथा: मुख्यमंत्री
पांच हजार वर्ष पहले प्रथम बार स्वामी शुकदेव जी ने महाराजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई, तबसे यह कथा कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों की मुक्ति का माध्यम बन रही
कथा का वास्तविक मर्म यह है कि हम हर हाल में अपने धर्म और देश के प्रति अडिग रहें
लखनऊ: 10 सितम्बर, 2025:ः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन के ज्ञान का भान कराने वाली, भक्ति से जोड़ने वाली और मुक्ति का मार्ग दिखाने वाली कथा है। हर परिस्थिति में सनातन धर्म के प्रति हमारा समर्पण बना रहे, यही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का वास्तविक मर्म है।
मुख्यमंत्री जी आज श्री गोरखनाथ मन्दिर, गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विराम सत्र के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने मन्दिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में कथा का श्रवण किया तथा व्यासपीठ के समक्ष श्रद्धावनत हुए। कथा के विराम पर मुख्यमंत्री जी, संतजन व यजमानगण ने श्रीमद्भागवत महापुराण और व्यासपीठ की आरती उतारी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पांच हजार वर्ष पहले प्रथम बार स्वामी शुकदेव जी ने महाराजा परीक्षित को मृत्यु के भय से अभय करने के लिए श्रीमद्भागवत कथा सुनाई थी। तबसे यह कथा कोटि-कोटि सनातन धर्मावलम्बियों की मुक्ति का माध्यम बन रही है। भारत की ऋषि परम्परा उद्घोष करती है कि यहां जन्म लेना दुर्लभ है। उसमें भी मनुष्य रूप में जन्म लेना और भी दुर्लभ है। सनातन भारत ने ही ज्ञान, भक्ति और मुक्ति की दाता तथा जीवन के रहस्यों का उद्घाटन करने वाली श्रीमद्भागवत कथा का उपहार दिया है। कथा का वास्तविक मर्म यह है कि हम हर हाल में अपने धर्म और देश के प्रति अडिग रहें। किसी भी परिस्थिति में बिना झुके, बिना रुके और बिना डिगे सनातन धर्म और भारत के प्रति समर्पण का भाव बनाए रखें।
मुख्यमंत्री जी ने व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यास, परिधान पीठ गोपाल मन्दिर श्री अयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज की सराहना करते हुए कहा कि स्वामी रामदिनेशाचार्य जी ने अत्यन्त सरलता और सहजता से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया। इसका आनन्द यहां आए श्रद्धालुओं के साथ ही, मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों ने प्राप्त किया। स्वामी रामदिनेशाचार्य जी रामानंदाचार्य परम्परा से आते हैं। अगले वर्ष उनके श्रीमुख से यहां श्रीराम कथा का श्रवण भी कराया जाएगा।
इस अवसर पर मस्तनाथ पीठ रोहतक, हरियाणा के महंत व राजस्थान विधानसभा के विधायक महंत बालकनाथ, जूनागढ़ गुजरात से आए महंत शेरनाथ, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए जगद्गुरु स्वामी संतोषाचार्य ‘सतुआ बाबा’, नैमिषारण्य से आए स्वामी विद्या चैतन्य, हनुमानगढ़ी अयोध्या से आए महंत राजूदास एवं यजमानगण तथा श्रद्धालुजन उपस्थित थे।
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