मेक्सिको ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर टैरिफ़ को 50 फ़ीसदी तक बढ़ाकर एक बड़ा आर्थिक झटका दिया है। इस अप्रत्याशित फैसले ने न केवल भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। मेक्सिको की ओर से लगाए गए इस ऊंचे शुल्क का सीधा असर उन भारतीय उद्योगों पर पड़ सकता है, जिनका प्रमुख निर्यात बाज़ार लैटिन अमेरिकी क्षेत्र रहा है।
जानकारों के मुताबिक, मेक्सिको सरकार ने यह कदम अपने घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के उद्देश्य से उठाया है। बढ़े हुए टैरिफ का दायरा उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जहां भारतीय उत्पाद मेक्सिकन बाजार में मजबूत पकड़ बना चुके थे। इसमें रसायन, दवाइयाँ, स्टील, ऑटो पार्ट्स, प्लास्टिक उत्पाद और इंजीनियरिंग से जुड़ी वस्तुएँ प्रमुख हैं। टैरिफ़ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें मेक्सिको में 20 से 40 फ़ीसदी तक बढ़ सकती हैं, जिससे उनकी मांग कम होने की संभावना है।
भारत के व्यापार विश्लेषक इस निर्णय को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और संरक्षणवादी नीतियों में बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा मान रहे हैं। उनका कहना है कि मेक्सिको द्वारा उठाया गया यह कदम कई बहुपक्षीय समझौतों की भावना के विपरीत है, जिनमें मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने का उद्देश्य शामिल है। हालांकि, अभी तक भारतीय सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि नई दिल्ली जल्द इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर उठाएगी।
उद्योग संगठनों ने भी आशंका जताई है कि यदि इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो भारत को मेक्सिको में अपनी बाज़ार हिस्सेदारी बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कई MSME निर्यातक समूहों ने चिंता व्यक्त की है कि बढ़े हुए शुल्क से उनके ऑर्डर्स पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि खरीदार अब विकल्प तलाश सकते हैं। कुछ विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि यह कदम भारत-मेक्सिको व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जो बीते वर्षों में लगातार बढ़ रहा था।
दूसरी ओर, व्यापार समुदाय का एक वर्ग इसे भारत के लिए अवसर के रूप में भी देख रहा है। उनका मानना है कि यह घटना नई व्यापार नीतियों और वैकल्पिक बाजारों की तलाश को गति दे सकती है। इसके साथ ही भारतीय उद्योगों के लिए गुणवत्ता, ब्रांडिंग और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य निर्धारण को मजबूत करने की आवश्यकता भी और स्पष्ट होती है।
मेक्सिको के इस टैरिफ़ बढ़ोतरी ने वैश्विक व्यापार पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है। अब नजर इस पर रहेगी कि क्या दोनो देश वार्ता के जरिए किसी समाधान पर पहुंच पाते हैं या स्थिति आगे और जटिल होती है।