म्यांमार में सैन्य अभियान एक बार फिर बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। सेना ने देर रात हवाई हमला करते हुए एक अस्पताल और उसके आसपास के इलाके को निशाना बनाया, जिसके बाद पूरा परिसर मलबे में तब्दील हो गया। इस भीषण एयरस्ट्राइक में 34 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 80 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। मरने वालों में महिलाएं, बच्चे और अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं, जिससे इस हमले की संवेदनशीलता और बढ़ गई है।
स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों और राहतकर्मियों के अनुसार, एयरस्ट्राइक इतनी अचानक और तीव्र थी कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भागने का मौका तक नहीं मिला। रात के सन्नाटे में जब अधिकांश लोग सो रहे थे, तभी आसमान से गिरते बमों ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। अस्पताल की इमारत ध्वस्त हो गई और उसके नीचे कई मरीज दब गए। बचाव दल अभी भी मलबा हटाने में जुटा है और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
अस्पताल जिस क्षेत्र में स्थित था, वह पिछले कई महीनों से सेना और विद्रोही समूहों के बीच संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। म्यांमार सेना का दावा है कि यह इलाका सशस्त्र गुटों का आधार था और हवाई कार्रवाई उनके ठिकानों को निशाना बनाकर की गई। हालांकि, स्थानीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने सेना के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि हमला जानबूझकर नागरिकों पर किया गया, जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
मानवाधिकार संस्थाओं ने इस घटना को युद्ध अपराध करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है। यूनाइटेड नेशंस की टीम स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है। यूएन ने कहा कि अस्पतालों, स्कूलों और शरणस्थलों पर हमला किसी भी स्थिति में मान्य नहीं हो सकता और इसके लिए जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है।
घटना के बाद क्षेत्र में भय और अराजकता का माहौल है। घायल लोगों को पास के अस्थायी चिकित्सा केंद्रों में ले जाया जा रहा है, लेकिन संसाधनों की कमी बड़ी चुनौती बन चुकी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि लगातार हमलों के कारण कई गांवों ने अपना घर-बार छोड़ दिया है और वे जंगलों में या अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास शरण लेने को मजबूर हैं। हजारों नागरिकों का पलायन जारी है, जिससे मानवीय संकट और गहराता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार में सेना और विद्रोही गुटों के बीच चल रहा संघर्ष आने वाले दिनों में और हिंसक हो सकता है। जैसे-जैसे विद्रोही समूह मजबूत होते गए हैं, सेना ने भी अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ा दिया है। इससे नागरिकों की सुरक्षा सबसे बड़ा सवाल बन गई है। एयरस्ट्राइक वाली यह घटना अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा सकती है, लेकिन राजनीतिक समाधान अभी भी दूर दिखाई देता है।
म्यांमार में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और यह ताजा हमला बताता है कि वहां मानवीय संकट किस हद तक पहुंच चुका है। दुनिया अब इस बात पर नज़र लगाए हुए है कि क्या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस हिंसा को रोकने के लिए आगे आती हैं या नागरिकों के लिए मुश्किलें और बढ़ती रहेंगी।