दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और लगातार बिगड़ते ट्रैफिक हालात को लेकर सरकार एक बार फिर बड़े फैसलों की ओर बढ़ती दिख रही है। इसी कड़ी में 23 दिसंबर 2025 को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में एक अहम उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें OLA और Uber जैसी ऐप-आधारित कंपनियों की बस सेवाएं शुरू करने के प्रस्ताव पर गंभीर मंथन किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य राजधानी में निजी वाहनों की संख्या कम करना और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना बताया गया।
सूत्रों के अनुसार, सरकार का मानना है कि यदि ऐप-बेस्ड बस सेवाओं को नियमन के साथ अनुमति दी जाती है, तो इससे मेट्रो और डीटीसी बसों पर दबाव कम होगा। साथ ही, निजी कारों और दोपहिया वाहनों के उपयोग में कमी आ सकती है, जिसका सीधा असर प्रदूषण और ट्रैफिक जाम पर पड़ेगा। बैठक में परिवहन, पर्यावरण और शहरी विकास से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी नई व्यवस्था से पहले सुरक्षा, किराया नियंत्रण और रूट प्लानिंग को प्राथमिकता दी जाए। यह भी साफ किया गया कि बस सेवाएं केवल मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि जनहित और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर संचालित हों। सरकार इस मॉडल को “लास्ट माइल कनेक्टिविटी” के समाधान के तौर पर देख रही है, खासकर उन इलाकों में जहां मेट्रो या डीटीसी की पहुंच सीमित है।
बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है। ऐसे में साझा परिवहन को बढ़ावा देना समय की जरूरत है। अधिकारियों ने बताया कि यदि ऐप-आधारित बसें इलेक्ट्रिक या सीएनजी पर आधारित होती हैं, तो इससे प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिल सकती है। सरकार इन सेवाओं को मौजूदा परिवहन नीति के दायरे में लाने पर भी विचार कर रही है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि बिना सख्त नियमों के निजी कंपनियों की एंट्री से अव्यवस्था बढ़ सकती है। इस पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी योजना को लागू करने से पहले स्टेकहोल्डर्स से सुझाव, पायलट प्रोजेक्ट और ट्रैफिक इम्पैक्ट स्टडी कराई जाएगी।
कुल मिलाकर, OLA-Uber बसों का प्रस्ताव अभी विचाराधीन है, लेकिन सरकार का रुख साफ है—दिल्ली में प्रदूषण और ट्रैफिक से निपटने के लिए नए और व्यावहारिक समाधान तलाशे जा रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कोई ठोस नीति सामने आ सकती है।