दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट 24 दिसंबर 2025 को भी थमता नजर नहीं आ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी की हवा आज एक बार फिर बेहद खतरनाक श्रेणी में दर्ज की गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली के अधिकांश इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 के पार बना हुआ है, जो ‘गंभीर’ से भी ऊपर की स्थिति को दर्शाता है। ठंड के मौसम, घने कोहरे और कमजोर हवाओं के कारण प्रदूषक कण वातावरण में ही फंसे हुए हैं, जिससे लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है।
सुबह के समय हालात और ज्यादा बिगड़ जाते हैं। दृश्यता बेहद कम होने के साथ-साथ हवा में PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक दर्ज की गई। डॉक्टरों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और सांस या हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए अत्यंत खतरनाक है। आंखों में जलन, गले में खराश, सिरदर्द और सांस फूलने जैसी शिकायतें आम हो गई हैं।
प्रदूषण के इस गंभीर हालात के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। सर्दियों में पराली जलाने की घटनाएं, वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल और औद्योगिक उत्सर्जन मिलकर दिल्ली की हवा को जहरीला बना रहे हैं। इसके साथ ही मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक तेज हवाओं या बारिश की संभावना कम है, जिससे प्रदूषण से तत्काल राहत मिलने के आसार नहीं हैं।
स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के कड़े प्रावधान लागू कर रखे हैं। स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं पर विचार किया जा रहा है, निर्माण गतिविधियों पर सख्ती बढ़ाई गई है और लोगों से निजी वाहनों के इस्तेमाल से बचने की अपील की जा रही है। बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर असर सीमित ही दिखाई दे रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण अब केवल मौसमी समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह एक संरचनात्मक संकट बन चुका है। जब तक सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय स्तर पर समन्वित प्रयास नहीं किए जाते, तब तक हर सर्दी में राजधानी इसी तरह जहरीली हवा से जूझती रहेगी।