भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों में 24 दिसंबर 2025 को तनाव और गहराता नजर आया, जब नई दिल्ली में बांग्लादेश के उच्चायुक्त को एक ही सप्ताह में दूसरी बार विदेश मंत्रालय में तलब किया गया। यह कदम दोनों देशों के बीच हालिया घटनाक्रमों और बयानों को लेकर भारत की गंभीर आपत्ति को दर्शाता है। कूटनीतिक हलकों में इसे असामान्य माना जा रहा है, क्योंकि आमतौर पर इस तरह की औपचारिक आपत्तियां सीमित दायरे में ही रहती हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने बांग्लादेशी उच्चायुक्त के समक्ष सीमा सुरक्षा, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, भारत-विरोधी गतिविधियों और कुछ हालिया सार्वजनिक बयानों को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपने आंतरिक मामलों या राष्ट्रीय हितों से जुड़े विषयों पर किसी भी तरह की टिप्पणी या गतिविधि को स्वीकार नहीं करेगा। इससे पहले भी सप्ताह की शुरुआत में उच्चायुक्त को इसी तरह के मुद्दों पर तलब किया गया था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण दोबारा यह कदम उठाया गया।
हाल के दिनों में भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों में तनावपूर्ण घटनाओं और सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक सूचनाओं ने माहौल को और जटिल बना दिया है। भारतीय पक्ष का कहना है कि इन घटनाओं से द्विपक्षीय विश्वास पर असर पड़ता है। इसके साथ ही बांग्लादेश में भारत को लेकर दिए गए कुछ राजनीतिक बयानों को भी नई दिल्ली ने आपत्तिजनक बताया है।
बांग्लादेश की ओर से हालांकि यह संकेत दिए गए हैं कि वह भारत के साथ रिश्तों को महत्व देता है और किसी भी गलतफहमी को बातचीत के जरिए सुलझाने के पक्ष में है। ढाका का कहना है कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बेहद मजबूत हैं और किसी एक मुद्दे के कारण पूरे रिश्ते को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और बांग्लादेश के संबंध केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता से जुड़े हुए हैं। व्यापार, ऊर्जा, कनेक्टिविटी और सुरक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों ने बीते वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। ऐसे में मौजूदा तनाव यदि लंबा खिंचता है, तो इसका असर इन साझेदारियों पर भी पड़ सकता है।
भारत सरकार ने साफ किया है कि वह पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगपूर्ण संबंध चाहता है, लेकिन इसके लिए आपसी सम्मान और संवेदनशीलता जरूरी है। वहीं, कूटनीतिक स्तर पर संवाद के रास्ते खुले रखे गए हैं, ताकि स्थिति और न बिगड़े।
फिलहाल दोनों देशों की नजर आने वाले दिनों में होने वाली कूटनीतिक बातचीत पर टिकी है। यह देखना अहम होगा कि क्या यह तनाव केवल अस्थायी है या फिर भारत-बांग्लादेश संबंधों में किसी बड़े बदलाव का संकेत देता है।