चंडीगढ़, 10 मार्च:
पंजाब सरकार ने भूमिगत जल संरक्षण और किसानों को धान के अधिक पानी खपत वाली फसल के विकल्प के रूप में उच्च उत्पादकता वाले मक्का हाइब्रिड पी.एम.एच.-17 को पेश करने का निर्णय लिया है। यह नया दोहरे उपयोग का हाइब्रिड बीज न केवल अनाज उत्पादन बल्कि साइलेज उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है।
मक्के की इस हाइब्रिड किस्म की विशेषताएँ
इस नई किस्म की जानकारी देते हुए पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि पी.एम.एच.-17 की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह से जून के अंत तक की जा सकती है और यह 96 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
कम अवधि में पकने की क्षमता किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे एक ही सीजन में अलग-अलग फसलों की बुवाई की जा सकती है।
बेहतर पैदावार और एथेनॉल उत्पादन में उपयोगी
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक और स्टेट वैरायटल अप्रूवल कमेटी फॉर फील्ड क्रॉप्स के चेयरमैन जसवंत सिंह के अनुसार, यह हाइब्रिड बीज पंजाब के किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण है।
- इसमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह एथेनॉल उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
- इसकी औसत पैदावार 25 क्विंटल प्रति एकड़ आंकी गई है।
- यह फॉल आर्मीवॉर्म और मेज़ लीफ ब्लाइट जैसी सामान्य कीट समस्याओं के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखता है।
इसके अतिरिक्त, यह हाइब्रिड किस्म चौड़े, खड़े पत्तों, अर्ध-खुले टेसेल्स, मध्यम लंबाई के फ्लिंट जैसे भुट्टे और पीले-नारंगी दानों के कारण मजबूत और अधिक उत्पादक फसल के रूप में जानी जाती है।
पंजाब की कृषि के लिए बड़ा कदम
कृषि मंत्री ने इस हाइब्रिड बीज की उच्च उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और एथेनॉल उत्पादन में उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पंजाब की कृषि के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी सीजन में किसानों तक इस बीज की समय पर और व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि किसान आसानी से इसे अपनाकर अपने उत्पादन और आय में वृद्धि कर सकें।
पी.एम.एच.-17 का यह हाइब्रिड मक्का न केवल किसानों को एक बेहतर विकल्प देगा, बल्कि पंजाब में जल संरक्षण और कृषि विविधीकरण को भी बढ़ावा देगा।