पटना: बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को उस समय तगड़ा झटका लगा जब पार्टी के 15 मुस्लिम नेताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। इन नेताओं का कहना है कि पार्टी अब अपने मूल सिद्धांतों और अल्पसंख्यक हितों से भटक चुकी है।
संगठित असहमति, एकजुट इस्तीफा
इस्तीफा देने वाले नेताओं में जिला और प्रखंड स्तर के प्रभावशाली कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जिनका स्थानीय राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रहा है। इन नेताओं ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि JDU अब अल्पसंख्यक समुदाय की आवाज़ को दबा रही है, और उनकी बातों को संगठन में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
नीतीश कुमार की भूमिका पर उठे सवाल
इस्तीफा देने वाले नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया राजनीतिक रणनीतियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि BJP के साथ बार-बार के गठबंधन और नीतिगत अस्थिरता से पार्टी की विश्वसनीयता पर बुरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि JDU की पहचान अब धूमिल हो रही है और पार्टी जन सरोकारों से दूर जा रही है।
राजनीतिक समीकरणों में हलचल
इस सामूहिक इस्तीफे से बिहार की राजनीतिक समीकरणों में हलचल मच गई है। विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले JDU के इस अंदरूनी संकट का नीतीश कुमार और उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम को “जनता की नाराज़गी की अभिव्यक्ति” बताया है।
क्या होगा अगला कदम?
इस्तीफा देने वाले नेताओं ने अभी अपने भविष्य की राजनीतिक योजना का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वे जल्द ही किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं या फिर नई राजनीतिक पहल की घोषणा कर सकते हैं।